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Tuesday, 26 November, 2024
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मोदी-शाह के घर में फिर से खिला कमल, BJP ने ऊंझा और मानसा सीटें कांग्रेस से छीनी

ऊंझा और मानसा क्रमशः पीएम मोदी और अमित शाह का गृह नगर है और यह हमेशा से बीजेपी के लिए नाक का सवाल रहा है. पहले बार के कैंडीडेट कीर्तिकुमार ने ऊंझा से 51 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है.

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नई दिल्लीः 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपमानजनक झटका लगा जब वह ऊंझा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस से हार गई, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहनगर वडनगर पड़ता है. इसमें जले पर नमक छिड़कने वाली स्थिति तब हो गई जब बीजेपी मानसा में भी हार गई, जहां से पार्टी के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह हैं.

अगर बात करें 2022 की तो ऐसा लगता है कि पार्टी ने इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी इज़्जत बचा ली है. बीजेपी के पहले बार के कैंडीडेट कीर्तिकुमार केशवलाल पटेल ऊंझा से 51,468 वोटों से जीत गए हैं. वहीं मानसा में बीजेपी के जेएस पटेल ने 39,266 वोटों से जीत दर्ज की है.

दोनों निर्वाचन क्षेत्र मोदी-शाह की जोड़ी के लिए प्रतिष्ठा की बात हैं, जिन्होंने भाजपा को पूरे देश में अविजेय बना दिया लेकिन अपने ही घर में हार गए थे.

2017 में ऊंझा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार आशा पटेल ने भाजपा के नारायणभाई पटेल के खिलाफ 19,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो कि 1995 से इस सीट से विधायक थे. आशा पटेल बाद में भाजपा में शामिल हो गईं जिनका पिछले दिसंबर में निधन हो गया.

मानसा के लिए, पार्टी के तथाकथित ‘इलेक्शन मशीन’ कहे जाने वाले अमित शाह का होम टाउन होने के बावजूद 2012 से भाजपा को नुकसान ही लगा है.

ऐसा लगता है कि इस बार भाजपा के लिए इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में रणनीति में एक सुविचारित बदलाव हुआ है.


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ऊंझा में RSS फैक्टर

ऊंझा विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार कीर्तिकुमार कीर्तिभाई केशवलाल पटेल, पहली बार चुनावी मैदान में हैं. चुनाव आयोग द्वारा दोपहर के 1:15 बजे तक साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक उन्हें 57,574 वोट मिलें हैं वहीं कांग्रेस के अरविंद अमृतलाल पटेल उनसे 44,325 मतों से पीछे हैं. वहीं आम आदमी पार्टी के उर्विश पटेल को 13,084 वोट मिले हैं.

आरएसएस से लंबे समय से जुड़े रहे 67 वर्षीय कीर्तिभाई, पेशे से सिविल इंजीनियर हैं जो कि जिले में गरीब बच्चों के लिए स्कूल और कॉलेज चलाते हैं. साथ ही गुजरात में आरएसएस से जुड़े विद्या भारती के ट्रस्टी भी हैं. पटेल सरस्वती शिशु मंदिर के भी सदस्य हैं, जो कि संघ द्वारा चलाए जाने वाला स्कूलों का नेटवर्क है.

आरएसएस से जुड़े व्यक्ति को मैदान में उतारना इस बात को सुनिश्चित करना है कि ऊंझा में 2017 के नतीजे दोहराए न जाएं. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को 19 हजार वोटों से हराया था.

मानसा में 10 साल बाद मिली जीत

2012 से भाजपा मानसा विधानसभा सीट हारती रही है. मानसा मेहसाणा संसदीय क्षेत्र में आता है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार चर्चा में इसलिए रही क्योंकि यह इलाका पार्टी का गढ़ माना जाता है, जहां उसने 1995 से लेकर 2007 तक लगातार जीत हासिल की.

यही कारण है कि मानसा में मिली जीत पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है. दोपहर के 1:15 बजे तक चुनाव आयोग के अनुसार भाजपा के जेएस पटेल को 80,327 वोट मिल चुके हैं. वहीं कांग्रेस के बाबूजीसिंह जी ठाकोर को 44,325 वोट मिले हैं. पटेल पाटीदार समुदाय से आते हैं और निर्माण कार्यों के बिजनेस से जुड़े हैं. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार परिवहन उद्योग से जुड़े हैं.

(अनुवाद: शिव पाण्डेय और कृष्ण मुरारी | संपादन: शिव पाण्डेय)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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