हैदराबाद: तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में राज्य सरकार की तरफ से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने हाईकोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है कि वरिष्ठ भाजपा नेता बीएल संतोष इस मामले के मुख्य आरोपी को लंबे समय से जानते थे और उन्होंने कई बार व्हाट्सएप पर इस बारे में चैट की थी कि अन्य नेताओं को पार्टी बदलने के लिए कैसे राजी करें.
एसआईटी ने बुधवार को कोर्ट के समक्ष पेश ‘साक्ष्यों’—जिन्हें दिप्रिंट ने एक्सेस किया है—में दावा किया है कि 15 अक्टूबर को दिल्ली में संतोष के आवास—जो कि एक ‘सरकारी क्वार्टर’ है—में अधिकांश अभियुक्त मौजूद थे और यहीं पर इस साजिश से जुड़े ‘सबसे अहम मंत्रणा’ की गई.
रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा इस मामले के मुख्य आरोपी हैं. भारती को अन्य दो आरोपियों हैदराबाद के व्यवसायी नंदू कुमार और आंध्र प्रदेश के मंदिरों के शहर तिरुपति के एक पुजारी सिम्हाजी स्वामीजी के साथ अक्टूबर में उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने सत्तारूढ़ टीआरएस के चार विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए कथित तौर पर लुभाने की कोशिश की थी. तेलंगाना पुलिस ने हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित एक फार्महाउस से तीन ‘भाजपा एजेंटों’ को गिरफ्तार किया था.
हालांकि, ऐसे आरोप लगे थे कि भारती और दोनों अन्य आरोपियों ने टीआरएस के चार विधायकों को 100 करोड़ रुपये की पेशकश की लेकिन ऑपरेशन के दौरान कोई नकदी जब्त नहीं हुई थी.
तेलंगाना हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की कथित कोशिश के मामले में गुरुवार को तीन आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी, जिसकी जांच हैदराबाद पुलिस आयुक्त सी.वी. आनंद की निगरानी में चल रही है.
एसआईटी का कहना है कि उसने मुख्यत: ‘साजिश की मंत्रणा’ के दौरान संतोष के घर पर मौजूद रहे आरोपियों की तस्वीरें हासिल की है, साथ ही उनके यात्रा दस्तावेज यह बताने के लिए काफी हैं कि वह उनसे मिलने के लिए दिल्ली कब गए. और मुंजागला विजय कुमार के मोबाइल फोन से संतोष के घर का वीडियो भी मिला है.
विजय कुमार आरोपियों के साथ संतोष से मिलने के लिए दिल्ली गए थे और एसआईटी ने उनसे पूछताछ भी की थी. विजय कुमार कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आए थे.
सबूत के तौर पर संतोष और भारती की 11 अप्रैल को हरिद्वार में हुई मुलाकात के दौरान की एक कथित तस्वीर भी पेश की गई है.
गौरतलब है कि अगले साल प्रस्तावित चुनावों से पहले तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस और विपक्षी भाजपा के बीच लगातार राजनीतिक खींचतान जारी है. दोनों पार्टियों ने पिछले महीने मुनुगोड विधानसभा उपचुनाव में एक-दूसरे पर नकदी और शराब बांटने का आरोप लगाया था.
भाजपा महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष ने इस मामले में टिप्पणी के लिए दिप्रिंट की तरफ से किए गए फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज पर कोई जवाब नहीं दिया. उनका जवाब आने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
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‘टीआरएस सरकार को गिराने की साजिश’
एसआईटी ने पिछले हफ्ते जांच का दायरा बढ़ाते हुए संतोष और तुषार वेल्लापल्ली को इस मामले में क्रमश: चौथा और पांचवां आरोपी बनाया था. केरल में भारत धर्म जन सेना के प्रमुख वेल्लापल्ली ने 2019 में वायनाड में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था.
वेल्लापल्ली ने तेलंगाना की एसआईटी जांच प्रक्रिया को असंवैधानिक घोषित करने की अपील के साथ हाई कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि मामला एसआईटी से लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया जाए.
वेल्लापल्ली से काफी पहले भाजपा की तेलंगाना इकाई ने अक्टूबर में गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही कोर्ट से मामला सीबीआई को सौंपने की गुहार लगाई थी. हालांकि, अदालत ने यह अनुरोध ठुकरा दिया था.
गिरफ्तारी के तुरंत बाद दायर रिमांड रिपोर्ट में पुलिस ने इस बात का उल्लेख किया था कि उसने भारती और संतोष के बीच ‘व्हाट्सएप चैट’ का ब्यौरा हासिल किया है और यह कि कैसे उसने उल्लेख किया कि तेलंगाना में 25 से अधिक विधायक भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं.
रिमांड रिपोर्ट में कहा गया है कि चैट किसी ‘संतोष बीजेपी’ के साथ की गई थी जो पुलिस के मुताबिक भाजपा के संगठन महासचिव के अलावा कोई और नहीं था.
इसमें कहा गया है कि मुख्य आरोपी भारती—जो फर्जी पासपोर्ट को लेकर हैदराबाद में अलग मामलों का सामना कर रहा है—ने अप्रैल में संतोष को मैसेज भेजकर ‘तेलंगाना ऑपरेशन’ के बारे में जानकारी दी थी.
इस बीच, पुलिस ने यह दावा भी किया कि आरोपी तेलंगाना में टीआरएस सरकार को ‘गिराने’ की साजिश रच रहे थे. नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुख्य आरोपी बीएल संतोष के साथ रेग्युलर और व्हाट्सएप कॉल दोनों के जरिये लगातार संपर्क में रहा है. वह उन्हें तेलंगाना की स्थिति के बारे में अपडेट देने के लिए कॉल करता था.’
जांच के दौरान एसआईटी ने संतोष को पूछताछ के लिए नोटिस दिया था, लेकिन तेलंगाना हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर तक नोटिस पर रोक लगा दी थी. अभी तक, संतोष एसआईटी के सामने पेश नहीं हुए हैं.
दूसरी तरफ, भारती, कुमार और सिम्हाजी ने भी अलग-अलग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर देने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई. शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट से इस आग्रह पर गौर करने को कहा था. एसआईटी ने इस मामले में कुल मिलाकर सात आरोपियों को नामजद किया, जिसमें केरल का एक डॉक्टर और एक वकील भी शामिल है.
अनुवाद: रावी द्विवेदी
संपादन: इन्द्रजीत
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