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Tuesday, 19 November, 2024
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सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में तीसरी बार दो महिला जजों की पीठ करेगी सुनवाई

जस्टिस कोहली और त्रिवेदी की पीठ के पास सुनवाई के लिए 32 मामले सूचीबद्ध हैं, जिसमें वैवाहिक मसलों से जुड़ी 10 स्थानांतरण याचिकाएं और 10 ज़मानत से संबंधित मामले शामिल हैं.

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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के 50वें चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के कार्यकाल के दौरान इतिहास में तीसरी बार सभी महिला न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी. चंद्रचूड़ ने महिला न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया है जिसमें हिमा कोहली और एम. त्रिवेदी शामिल हैं.

आज हो रही सुनवाई के लिए 32 मामले सूचीबद्ध हैं, जिसमें वैवाहिक मसलों से जुड़ी 10 स्थानांतरण याचिकाएं और 10 ज़मानत से संबंधित मामले शामिल हैं. इनमें नौ दीवानी और तीन आपराधिक मामले भी सुनेंगी.

भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एन. वी रमण ने दो सितंबर, 2021 के दिन बेला एम. त्रिवेदी, हिमा कोहली, बी. वी. नागरत्ना को शपथ दिलाई थी. इसमें न्यायमूर्ति बनर्जी समेत महिला न्यायाधीशों की संख्या चार हो गई थी, लेकिन जस्टिस बनर्जी इसी साल 23 सितंबर को सेवानिवृत्त हो गईं.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज तक लगभग 11 महिला न्यायाधीश रही हैं. देश की पहली महिला न्यायाधीश 1989 में फातिमा बीबी बनीं थीं. इसके अलावा वर्तमान में शीर्ष अदालत के कुल 33 न्यायाधीशों में से केवल चार महिला जज हैं. हाई कोर्ट के कुल 627 जजों में से 66 महिला न्यायाधीश हैं.

बता दें कि इससे पहले साल 2018 में न्यायाधीश आर. भानुमति और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने और साल 2013 में न्यायाधीश सुधा मिश्रा और न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने तीसरी महिला न्यायाधीश की अनुपस्थिति में सुनवाई पूरी की थी.

सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान महिला न्यायाधीशों में जस्टिस कोहली का कार्यकाल सितंबर 2024 तक है, जस्टिस त्रिवेदी जून 2025 तक पद को संभालेंगी. जस्टिस नागरत्ना के 2027 में देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना है.

सुप्रीम कोर्ट में कुल 34 न्यायाधीशों की कार्य क्षमता के मुकाबले 27 न्यायाधीश मौजूद हैं. अगले साल सात और न्यायाधीशों का कार्यकाल पूरा होने वाला है.

कौन है महिला पीठ की दोनों न्यायाधीश

जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी को 2004 से 2006 के बीच गुजरात राज्य सरकार के कानून सचिव के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था. इस दौरान उन्होंने न्यायिक सेवाओं के सदस्य के रूप में कार्य किया. इसके बाद साल 2011 में, उन्हें गुजरात हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. कुछ महीनों बाद उन्हें राजस्थान हाई कोर्ट (2011) में ट्रांसफर किया गया. नियुक्ति के दो साल बाद, 2013 में उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. तीन साल बाद, 2016 में उन्हें दोबारा से गुजरात हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया. वह पांच साल तक इसी अदालत में रहीं. 2021 में, उन्हें सुप्रीम कोर्ट की 11वीं न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया.

जस्टिस हिमा कोहली को 2006 में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में दिल्ली हाई कोर्ट में नियुक्त किया गया. अगले साल, 29 अगस्त, 2008 को उन्हें एक स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वे कानूनी सहायता, जेलों की भीड़भाड़, मध्यस्थता और दिल्ली न्यायिक अकादमी सहित विभिन्न समितियों का हिस्सा रहीं.

इसके बाद साल 2021 में, उन्होंने तेलंगाना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. वे इस न्यायालय की पहली महिला चीफ जस्टिस थीं। उन्हें 2021 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत किया गया उनका कार्यकाल एक सितंबर 2024 तक है।

हाई कोर्ट के जज 62 साल की आयु पूरी करने से एक दिन पहले सेवानिवृत्त होते हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में 65 साल पूरे करने से एक दिन पहले रिटायरमेंट होता है.


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