नई दिल्ली: चीन की शून्य-कोविड नीति के खिलाफ सैकड़ों छात्रों ने रविवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अल्मा मेटर, सिंघुआ विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन किया.
खबरों के अनुसार, विरोध प्रदर्शन शी जिनपिंग के अल्मा मेटर सिंघुआ तक फैल गया है. एक छात्र ने कहा, ‘अगर हम डर के कारण नहीं बोलते हैं, तो मुझे लगता है कि हमारे लोग निराश होंगे. एक सिंघुआ छात्र के रूप में, मैं मुझे जीवन भर इसका पछतावा रहेगा. इस दौरान भीड़ ने नारा दिया कि डरो मत!’
हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी शंघाई की सड़कों पर उतर आए, जहां लोगों को पुलिस की कारों में भरा जा रहा था. छात्रों ने बीजिंग और नानजिंग के विश्वविद्यालयों में भी प्रदर्शन किया है.
बीजिंग के सिंघुआ विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों ने रविवार को कैंपस में रैली निकाली.
एमिली फेंग ने ट्वीट किया, ‘सिंघुआ विश्वविद्यालय के बाद अब छोटे- बड़े शहर जीरो कोविड नीतियों और कम्युनिस्ट पार्टी के शासन की ज्यादतियों के खिलाफ विरोध देख रहे हैं.’
एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रदर्शनकारी कागज के कोरे टुकड़े और सफेद फूल लेकर कई चौराहों पर चुपचाप खड़े रहे. इसके बाद इन्हें पुलिस अधिकारियों द्वारा सड़कों से हटा दिया गया.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, देश के सुदूर पश्चिम में घातक आग लगने के बाद बीजिंग के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक में रविवार को शंघाई में फैले भारी विरोध प्रदर्शन हुए.
नए प्रदर्शन उरुमकी के सुदूर उत्तर-पश्चिम शहर में देखे गए जहां एक टॉवर ब्लॉक में आग लगने से 10 लोगों की मौत के बाद लॉकडाउन नियमों को जिम्मेदार बताया गया.
चीन, कोविड के बढ़ते मामलों से जूझ रहा है जिसके कारण देश भर के शहरों में लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों लगे हैं. बीजिंग एक शून्य-कोविड -19 नीति का पालन कर रहा है.
शिनजियांग क्षेत्र की राजधानी उरुमकी में गुरुवार को एक ऊंची इमारत में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई. लोगों ने आरोप लगाया कि आग में झुलसे लोग इसलिए नहीं भाग पाए क्योंकि लॉकडाउन के कारण इमारत को बंद कर दिया गया था. हालांकि अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया है.
शंघाई में, चीन का सबसे अधिक आबादी वाला शहर के निवासी शनिवार की रात को सड़कों पर उतर आए.
अधिकारियों ने बढ़ते विरोध प्रदर्शन के बावजूद जीरो कोविड नीति जारी रखने की कसम खाई है.
शंघाई के 25 मिलियन लोगों को इस साल की शुरुआत में दो महीने के लिए लॉकडाउन में रखा गया था, जिसके कारण लोगों का गुस्सा और विरोध भड़क उठा.
तब से चीनी अधिकारियों ने अपने कोविड-19 प्रतिबंधों में अधिक लक्षित होने की मांग की है.
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