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Thursday, 19 December, 2024
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जनसंपर्क, स्टार प्रचारक- आंतरिक आकलन में MCD में घटती सीटों के संकेत, BJP ने तेज किया चुनावी अभियान

अगले महीने होने वाले नगर निगम चुनाव से पहले किए गए पार्टी के एक आंतरिक सर्वे से संकेत मिले हैं कि भाजपा को 250 में से 120 सीटें मिलने की संभावना है. यह 126 के जरूरी बहुमत के आंकड़े से थोड़ा सा कम हैं.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी का ओर से किए गए एक आंतरिक आकलन में अगले महीने होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनाव में संभावित उलटफेर का संकेत मिला है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, इसके बाद से पार्टी अपने प्रचार अभियान को और तेज करने जा रही है. भाजपा आलाकमान ने पार्टी नेताओं को रविवार से जनसंपर्क अभियान के तहत मैदान में उतरने को कहा है.

भाजपा 2007 से एमसीडी में सत्ता में है. 2012 से लेकर 2022 तक नगर निकाय तीन अलग-अलग निगमों – उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) में विभाजित रहा था. तीनों को इस साल की शुरुआत में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने फिर से एक कर दिया था.

2017 में दिल्ली में हुए पिछले नगरपालिका चुनावों में भाजपा ने तीन पहले के नगर निकायों में कुल 272 सीटों में से 181 सीटें जीती थीं.

पार्टी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य के मंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य के मुख्यमंत्रियों समेत कुछ राष्ट्रीय नेता भी डोर-टू-डोर जाकर प्रचार करेंगे. पार्टी को राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 50 लाख मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने की उम्मीद है.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘रविवार को सुबह 8 से रात 8 बजे के बीच हमारे कई राष्ट्रीय और दिल्ली के नेता पार्टी के लिए प्रचार करने और अभियान को अंतिम रूप देने के लिए सड़कों पर होंगे. कम से कम 12 लाख घरों तक पहुंचने का लक्ष्य है.’

जनसंपर्क कार्यक्रम के अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री रोड शो और रैलियां भी करने जा रहे हैं. असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर सहित कई मुख्यमंत्री पहले ही चुनाव प्रचार के पहले चरण में रैलियां कर चुके हैं. सूत्रों ने कहा कि अंतिम चरण में भाजपा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी लेकर आएगी.


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एमसीडी चुनाव 4 दिसंबर को होने हैं और नतीजे 7 दिसंबर को घोषित किए जाने हैं. एमसीडी के लिए इस साल की लड़ाई मुख्य रूप से भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच है. भाजपा ने अपने प्रतिद्वंद्वी को पीछे छोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

सूत्रों में से एक के अनुसार, भाजपा के आंतरिक सर्वे ने संकेत दिया है कि आगामी चुनावों में पार्टी को 250 में से 120 सीटें मिलने की संभावना है, जो कि जरूरी 126 बहुमत से थोड़ा कम है.

सूत्र ने बताया, ‘लगभग 25 और सीटों की पहचान की गई है, जहां हमें ज्यादा पहुंच बनाने की जरूरत है. इन सीटों पर हम आगे आ सकते हैं. कुछ अन्य सीटें भी हैं जहां जीत का अंतर बहुत कम है और इसलिए वहां ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है.’

सूत्रों ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिल्ली में सभी सांसदों, विधायकों और राष्ट्रीय राजधानी में पदाधिकारियों को मतदाताओं से संपर्क करने और उनके साथ व्यक्तिगत रूप से संवाद करने के लिए घर-घर जाने का निर्देश दिया है.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिल्ली भाजपा के सभी सांसदों और विधायकों को साफतौर पर कहा है कि सभी को चुनाव के दिन तक दिल्ली में बने रहना है. एमसीडी की चुनावी रणनीति के तहत बीजेपी ने 27 नवंबर (रविवार) से व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू करने का फैसला किया है.

एमसीडी चुनाव भाजपा के लिए ‘प्रतिष्ठा की लड़ाई’

पिछले तीन कार्यकालों से सत्ता में रही पार्टी के लिए नगरपालिका चुनाव एक ‘प्रतिष्ठा की लड़ाई’ बन गए हैं.

भाजपा के एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हम 100 का आंकड़ा तो आसानी से पार करने की उम्मीद कर रहे हैं और फिर दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होने की स्थिति में हम आसानी से बहुमत तक पहुंच पाने में सक्षम हो जाएंगे. हमारे कुछ नेता टिकट न मिलने के बाद स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. हमें उनका साथ मिल सकता है.’

दलबदल विरोधी कानून, संविधान की 10वीं अनुसूची में निहित, राजनीतिक दल बदल को रोकने के लिए 1985 में लाया गया था और उस आधार पर निर्वाचित प्रतिनिधि को अयोग्य घोषित करने की अनुमति देता है. हालांकि यह दिल्ली नगरपालिका चुनावों में लागू नहीं होता है.

यह बताते हुए कि कैसे भाजपा अपने ‘वफादार मतदाताओं’ के वोट पाने के लिए पोल बूथ प्रबंधन पर भरोसा कर रही है, पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि वे यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि कांग्रेस का वोट शेयर बरकरार रहे. बीजेपी के एक पदाधिकारी ने बताया कि 2017 के चुनावों में आप का वोट शेयर 26 फीसदी था, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 21 और बीजेपी का 36 फीसदी था.

ऊपर जिक्र किए गए अधिकारी ने कहा, ‘अगर कांग्रेस का वोट शेयर कमोबेश यही रहता है, तो हम सेफ जोन में रहेंगे, क्योंकि किसी विशेष पार्टी के लिए कोई लहर नहीं है. यह एक खुला चुनाव है. जब मतदान बूथ प्रबंधन की बात आती है तो हमें इसका फायदा मिलता है. टिकट बंटवारे और पार्टी के भीतर भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद आप कार्यकर्ता अलग-थलग हैं.’

चुनाव प्रबंधन पर केंद्रीय नेतृत्व के अलावा कई वरिष्ठ भाजपा नेता, सांसद और मंत्री एक साथ प्रत्याशियों के प्रचार में जुट गए हैं. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस सप्ताह दिल्ली में भाजपा सांसदों और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ दो अलग-अलग बैठकें कीं, जिसमें मौजूदा स्थिति और प्रचार के अंतिम चरण में क्या करने की आवश्यकता है, इस पर चर्चा की गई.

पार्टी के पदाधिकारी ने बताया, ‘चुनावी रणनीति के तहत, पार्टी ने पहले दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों के लिए प्रभारी नियुक्त किए थे. लेकिन अब पार्टी द्वारा शुरू किए जा रहे जनसंपर्क कार्यक्रम को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी नियुक्त किए गए हैं. ये प्रभारी अपने विधानसभा (निर्वाचन क्षेत्र) में प्रत्येक (नगरपालिका) वार्ड की स्थिति पर नजर रखेंगे और भाजपा उनकी रिपोर्ट के आधार पर कदम उठाएगी.’

भाजपा के एक तीसरे वरिष्ठ नेता के अनुसार, एमसीडी चुनावों के नतीजों को लेकर पार्टी के लिए थोड़ी सी ‘चिंता’ की वजह यह कि वे आप द्वारा दी जा रही मुफ्त सुविधाओं का मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं.

दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का एक अलग वोट बैंक है, जिस पर सभी राजनीतिक दलों की नजर होती है. अनुमानित 20 लाख लोग शहर की मलिन बस्तियों में रहते हैं. झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को लंबे समय से दिल्ली सरकार में सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी के पक्ष में माना जाता रहा है.

पार्टी के पदाधिकारी ने कहा, ‘हम दिल्ली में विधानसभा स्तर पर सत्ता में नहीं आ पाए हैं और इन चुनावों को हारने का जोखिम नहीं उठा सकते. इसलिए ये (एमसीडी चुनाव) केंद्रीय नेतृत्व के लिए भी एक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गए हैं.’

ऊपर जिक्र किए गए पार्टी सूत्र के अनुसार, चुनाव में एक पखवाड़े से भी कम समय बचा है. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल भी तैयारी पर नजर रखने के लिए कई बैठकें कर रहे हैं और रोजाना इसका आकलन भी करेंगे.

भाजपा की दिल्ली इकाई के नेताओं ने कहा कि उन्हें इस बात का ‘विश्वास’ है कि इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के कालकाजी एक्सटेंशन में झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3,000 से अधिक फ्लैटों का उद्घाटन, पार्टी को झुग्गी-झोपड़ियों से जुड़ने में मदद करेगा.

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कालकाजी एक्सटेंशन स्लम पुनर्वास परियोजना 376 झुग्गी-झोपड़ी निवासियों के पुनर्वास के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की बड़ी योजना का हिस्सा है. यह प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत आती है. पीएमएवाई 2015 में शुरू की गई एक हाउसिंग-फॉर-ऑल योजना है, जिसका लक्ष्य 2022 तक भारतीय शहरों को स्लम-मुक्त बनाना था.

कार्यकर्ता ने कहा, ‘जिन वार्डों में झुग्गी-झोपड़ी का बोलबाला है, वहां उनका समर्थन जुटाना मुश्किल हो गया था. लेकिन परिसीमन के कारण (एमसीडी एकीकरण के बाद), दिल्ली के कुल 250 नगरपालिका वार्डों में से अब (सिर्फ) 30-50 वार्डों में झुग्गियों का ज्यादा दबदबा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत आने वाले परिवारों के लिए 3,024 फ्लैटों का हाल में ही किया गया उद्घाटन का भी असर पड़ा है और हमारे कार्यकर्ता भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र के ऐसे प्रयासों को लोगों के सामने ला रहे हैं.’

एक चौथे भाजपा नेता ने इस तथ्य पर जोर दिया कि आम आदमी पार्टी के विधायकों की सत्ता विरोधी लहर भी चुनाव में एक कारक हो सकती है. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली के कुछ हिस्सों में कुछ समय तक हम नगर निकाय चुनाव की दौड़ से बाहर थे, लेकिन आज हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हम दौड़ में बने हुए हैं और हमें 130-140 सीटें मिलने का भरोसा है.

पार्टी के चौथे वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘बैठक में (सोमवार को नड्डा के साथ) कुछ सांसदों ने कहा था कि स्थिति बहुत अनुकूल नहीं है (पहले). हालांकि पिछले कुछ दिनों में चीजों में सुधार हुआ है. उन्होंने टिकट वितरण पर भी चिंता जाहिर की थी. नड्डा जी ने सभी से अब प्रचार के अंतिम चरण पर ध्यान केंद्रित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि पार्टी अपनी जीत का सिलसिला जारी रखने में सक्षम है.’

नड्डा और बंसल के साथ इस सप्ताह की बैठक के बाद पार्टी ने पूरी दिल्ली में 10,000 से अधिक छोटी और बड़े पैमाने पर बैठकें करने का भी फैसला किया है.

नेता ने कहा, ‘तारीखों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन हम दिल्ली के दो लोकसभा क्षेत्रों में योगी आदित्यनाथ की कम से कम दो बड़ी जनसभाएं करने का इरादा रखते हैं, जो आसपास के निर्वाचन क्षेत्रों पर असर डालेंगी.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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