(अभिषेक सोनकर)
नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार एक ‘कोकिंग कोल मिशन’ तैयार कर रही है। इसका मकसद इस्पात बनाने में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख कच्चे माल के स्रोतों में विविधता लाना है, जिसके लिए देश काफी हद तक आयात पर निर्भर है।
सिंधिया ने एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा को बताया कि यह मिशन कोकिंग कोयले के लिए आयात पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा। इसके तहत गैसीकरण प्रक्रिया के जरिए इस्पात निर्माण में स्थानीय रूप से उपलब्ध कोयले के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
उन्होंने देश में कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ाने की सरकार की पहल पर एक सवाल के जवाब में कहा, ”हम (सरकार) इसे (कोकिंग कोल मिशन) बनाने की प्रक्रिया में हैं। यह कोयला मंत्रालय का कार्यक्षेत्र है।”
भारत अपनी जरूरत का करीब 90 फीसदी कोकिंग कोल आयात से हासिल करता है। इस्पात मंत्री ने कहा कि देश के भीतर उत्पादित कोयले में राख की मात्रा अधिक होती है।
अधिक राख वाला कोयला ब्लास्ट फर्नेस के जरिए स्टील बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है।
सिंधिया ने कहा, ”हम कोकिंग कोल मिशन के जरिए दो लक्ष्य पाना चाह रहे हैं… सबसे पहले, हमारे कोकिंग कोल स्रोतों में विविधता लाना… और दूसरा कोयला गैसीकरण प्रक्रिया को बढ़ावा देना।”
उन्होंने किसी भी देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत कुछ देशों के साथ कोकिंग कोल सोर्सिंग में विविधता लाने के लिए काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2021 में कोकिंग कोल पर सहयोग के लिए भारत और रूस के बीच एक समझौते को मंजूरी दी थी।
भाषा पाण्डेय
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