नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से स्काई रूट एयरोस्पेस द्वारा पहला निजी रॉकेट शुक्रवार सुबह 11:30 बजे श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से छोड़ा गया. ‘आरंभ’ नाम के इस ऐतिहासिक मिशन रॉकेट ‘विक्रम-एस’ के तीन पेलोड के साथ यह एक उप कक्षीय उड़ान का प्रदर्शन करेगा. साथ ही रॉकेट की तकनीक का परीक्षण और सत्यापन भी होगा.
रॉकेट बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले 81.5 किमी की ऊंचाई तक उड़ने भरेगा. इस उड़ान की सफलता के साथ ही हैदराबाद स्थित स्काई रूट एयरोस्पेस में रॉकेट लॉन्च करने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी बन गई.
इसरो के नए नियामक प्राधिकरण ‘इन- स्पेस’ ने देश में निजी स्टार्टअप के लिए इसरो के संसाधन को सुविधाजनक बनाने में सहयोग किया है.
सिंगल-स्टेज सब-ऑर्बिटल रॉकेट कंपनी कलाम 80 प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग करता है. इसका वजन 545 किलोग्राम है. स्काई रूट द्वारा ट्विटर पर जारी सीमित मिशन प्रोफाइल के मुताबिक यह स्पेस किड्ज इंडिया, एन-स्पेस टेक इंडिया और बजूमक अर्मेनिया के कुल 80 किलोग्राम वाले तीन पेलोड ले जाएगा.
Mission set. Happy to announce the authorization received from IN-SPACe yesterday for 18 November ’22, 11:30 AM, after final checks on readiness and weather. Here’s our #Prarambh mission brochure for you. Watch this space for the launch live link.#OpeningSpaceForAll pic.twitter.com/IKAYeYKAYp
— Skyroot Aerospace (@SkyrootA) November 17, 2022
रॉकेट के नोज कोन से किसी भी पेलोड को बाहर नहीं निकाला जाएगा. बल्कि पेलोड फायरिंग के अलग होने के बाद दिखने लगेगा और रॉकेट से जुड़ा ही रहेगा, और यह बंगाल की खाड़ी में ही गिरेगा.
केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी मंत्री (राज्य) जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि प्रक्षेपण प्रवेश बाधाओं को कम करके उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं के लिए एक स्तरीय खेल मैदान बनाने में मदद करेगा. उन्होंने कहा, ‘अनुसंधान, विकास और उद्योग के एकीकरण के साथ एक नई अंतरिक्ष क्रांति क्षितिज पर है.’
स्काई रूट के सीईओ और सह-संस्थापक पवन चंदना ने दिप्रिंट को बताया था कि वह उत्साहित और नर्वस महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा था, ‘स्काईरूट को इस अभूतपूर्व काम तक पहुंचने में चार साल से अधिक समय लगा.’
इस लॉन्च को कंपनी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव देखा जा सकता है.
भारत और अर्मेनिया का पेलोड
विक्रम-एस इंजन लॉन्च के दौरान 24.77 सेकेंड तक जलने के लिए निर्धारित है. रॉकेट उड़ान के बाद 139 सेकेंड में अपने अधिकतम ऊंचाई तक पहुंच जाएगा.
लॉन्च के 290 सेकेंड के बाद 6 मीटर लंबे वाहन अपने पेलोड के साथ समुद्र में गिरने की उम्मीद है.
सीईओ और संस्थापक श्रीमथी केसन ने दिप्रिंट को बताया कि कि 2.5 किलोग्राम का स्पेस किड्ज इंडिया पेलोड भारत, इंडोनेशिया, सिंगापुर, सेशेल्स और अमेरिका के मिडिल स्कूल के छात्रों द्वारा बनाया गया एक उपग्रह है. इसमें एक माइक्रोकंट्रोलर और अस्सी 4 सेमी x 4 सेमी मुद्रित सर्किट बोर्ड (पीसीबी बोर्ड) पर डिजाइन किए गए दस सेंसर शामिल हैं. सेंसर तापमान, आर्द्रता, दबाव, वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों और गैसों, प्रकाश और हॉल प्रभाव को मापने के लिए हैं. रॉकेट में इंफ्रारेड सेंसर, जायरोस्कोप, एक्सेलेरोमीटर और मैग्नेटोमीटर भी हैं.
केसन ने कहा, ‘अंतरिक्ष को सुलभ, किफायती और बच्चों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए हमने उपग्रह को फनसैट नाम दिया है.
अन्य भारतीय पेलोड को लक्ष्यसेट-2 कहा जाता है और सेंसर के साथ तेनाली-आधारित स्टार्टअप एन-स्पेश टेक द्वारा निर्मित 200 ग्राम का 1 यूनिट क्यूबसैट है.
संस्थापक और निदेशक दिव्या कुरापति ने कहा, ‘मिशन का उद्देश्य यह परीक्षण करना है कि क्या पेलोड कठोर अंतरिक्ष वातावरण का पार सकता है. अगला संस्करण भविष्य में स्काई रूट के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा में उड़ान भरेगा.’
तीसरा पेलोड अर्मेनिया के येरेवन के एक गैर-लाभकारी बाजूमक स्पेस रिसर्च लैब का एक अंतरराष्ट्रीय उपग्रह है.
स्काई रूट एयरोस्पेस की स्थापना 2018 में हुई थी और विक्रम-एस को विकसित करने का काम 2020 में शुरू हुआ था.
रॉकेट ठोस ईंधन द्वारा संचालित होता है और सभी मिश्रित सामग्रियों का उपयोग करता है. यह स्पिन स्टेबिलिटी के लिए 3डी-मुद्रित थ्रस्टर्स का उपयोग करता है.
मिशन ऑन-बोर्ड और भविष्य की उड़ानों के लिए यह एवियोनिक्स सिस्टम का प्रदर्शन और परीक्षण करेगा, जैसे टेलीमेट्री, ट्रैकिंग, जड़त्वीय माप, जीपीएस, एक ऑन-बोर्ड कैमरा, डाटा अधिग्रहण और पावर सिस्टम आदि.
कंपनी का अगला कदम 2023 के अंत तक तीन सॉलिड स्टेज और एक लिक्विड के साथ विक्रम-1 वाणिज्यिक वाहन का प्रक्षेपण करना है.
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