नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) विश्लेषकों का कहना है कि सितंबर तिमाही के चुनौतीपूर्ण हालात के बाद घरेलू इस्पात उत्पादकों की लाभ कमाने की क्षमता मांग बढ़ने और लागत कम होने से दिसंबर तिमाही में सुधरने की उम्मीद है।
विश्लेषकों को अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में भारतीय इस्पात कंपनियों के लिए हालात बेहतर होने की संभावना दिख रही है। इसके पीछे घरेलू मांग में सुधार के बनते हुए हालात अहम हैं।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कहा, ‘दूसरी तिमाही में इस्पात कीमतों में गिरावट के रुख और कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से भारतीय इस्पात कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर पड़ा। लेकिन तीसरी तिमाही में उनकी लाभपरकता में सुधार होने की उम्मीद है। कोकिंग कोल की लागत कम होने और घरेलू मांग बेहतर होने से क्षमता उपयोग बढ़ने से कंपनियों का लाभ भी बढ़ सकता है।’
जुलाई-सितंबर तिमाही में प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों की वजह से देश की पांच प्रमुख इस्पात कंपनियां या तो घाटे में रहीं या फिर उनके मुनाफे में भारी गिरावट दर्ज की गई।
मूडीज इंवेस्टर सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (कंपनी वित्त) कौस्तुभ चौबल ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में मांग कमजोर रहने से कंपनियों की आय पर असर पड़ा। इसके अलावा इस्पात कंपनियों को कच्चे माल की लागत बढ़ने और इस्पात की कीमतें गिरने का भी नुकसान उठाना पड़ा।
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा, ‘कच्चे माल की आपूर्ति कम होने से दूसरी तिमाही में उनके दाम बढ़ गए थे लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसमें नरमी आने की संभावना है। इसके अलावा मौसमी मांग आने से भी इस्पात कीमतों को समर्थन मिलेगा।’
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि दूसरी छमाही में इस्पात कीमतों को घरेलू मांग सुधरने से समर्थन मिलने की उम्मीद है।
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