नई दिल्ली: सोमवार को शुरुआती सत्र के दौरान भारतीय रुपया में तेजी आई और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 48 पैसे की गिरावट के साथ 81.26 पर बंद हुआ.
शुक्रवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 62 पैसे की तेजी के साथ 80.78 पर बंद हुआ था. यूएई दिरहम के मुकाबले घरेलू मुद्रा 22.05 पर कारोबार कर रही है.
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि सोमवार को एक आशाजनक शुरुआत के बाद रुपए में तेज गिरावट इंडिया इंक के एक बड़े हिस्से की डॉलर की खरीद के कारण थी. कॉरपोरेट्स की ओर से डॉलर की मांग बढ़ी.
डॉलर इंडेक्स 0.75 फीसदी चढ़कर 107.09 पर पहुंच गया. यूएस डॉलर इंडेक्स (यूएसडीएक्स) छह प्रभावशाली मुद्राओं के बास्किट के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत का एक सापेक्ष माप है. इस बास्किट में यूरो, स्विस फ्रैंक, जापानी येन, कैनेडियन डॉलर, ब्रिटिश पाउंड और स्वीडिश क्रोना मुद्राएं शामिल हैं.
घरेलू बाजारों में, एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 170 अंकों की गिरावट के साथ 61,624.15 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 20 अंकों की गिरावट के साथ 18,329.15 के स्तर पर बंद हुआ.
फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध खरीदार थे क्योंकि उन्होंने एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार सोमवार को 3,958.23 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे थे.
एस्सेट मैनेजमेंट कंपनी, अल्केमी कैपिटल मैनेजमेंट में हेड ऑफ रिसर्च शेषाद्री सेन ने कहा, ‘रुपया थोड़ी देर के लिए कमजोर-से-अस्थिर रह सकता है, लेकिन हमें लगता है कि मुद्रा के लिए सबसे खराब स्थिति खत्म हो गई है.’
सेन ने कहा कि फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स द्वारा भारी बिकवाली, यूएस फेड द्वारा मौद्रिक नीति को सख्त करने और यूक्रेन में चल रहे युद्ध, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ीं, के कारण भारतीय मुद्रा ने ‘तूफान’ का सामना किया है.
अक्टूबर में रुपया इतिहास में पहली बार 83 अंक के पार गया था. इस साल अब तक रुपए में करीब 8-9 फीसदी की गिरावट आई है.
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