गुवाहाटी: हॉर्नबिल से प्रेरित 23 फीट लंबा और 82 फीट चौड़ा बांस का गेट भारत के सबसे पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में बदलाव के अग्रदूत जैसा दिखता है. 2,500 वर्ग फुट के रकबे में फैला और राज्य की राजधानी ईटानगर के करीब स्थित होलोंगी में नव-निर्मित डोनी पोलो हवाई अड्डे के ऊपर इसका विस्मयकारी आर्क टॉवर बन हुआ है.
उत्तर और पूर्वोत्तर में चीन के साथ, पूर्व में म्यांमार और पश्चिम में भूटान के साथ अपनी सीमायें साझा करने वाले और चारों तरफ से जमीन से घिरे इस राज्य के लिए इस हवाईअड्डे के एक गेम चेंजर (बड़ा बदलाव लाने वाला) साबित होने की उम्मीद है. बेहतर कनेक्टिविटी (संचार और संपर्क से जुड़ाव), पर्यटन और आर्थिक विकास से जुडी ढेर सारी उम्मीदें डोनी पोलो हवाई अड्डे पर टिकी हैं.
डोनी पोलो हवाई अड्डे से पहले, पिछले महीने तक, इस राज्य में पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट, लोहित जिले के तेजू और लोअर सुबनसिरी जिले के जीरो स्थित तीन हवाई अड्डे थे.
अरुणाचल सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग के सचिव स्वप्निल नाइक ने कहा, ‘राजधानी वाला शहर (ईटानगर) पहले किसी हवाई अड्डे से जुड़ा नहीं था. अभी, हमारे पास पश्चिमी और पूर्वी पट्टी वाले इलाकों में ही पर्यटक आ रहे हैं. इसलिए, सेंट्रल बेल्ट (केंद्रीय पट्टी) में पर्यटन के लिए यह हवाई अड्डा बहुत अच्छा साबित होगा.’
बांस के गेट की अवधारणा तैयार करने वाले वास्तुकार एरोटी पानयांग ने कहा, ‘बड़ी व्यावसायिक उड़ानें पासीघाट और तेज़ू पर नहीं उतर पातीं हैं यह [डोनी पोलो एयरपोर्ट] हमारे राज्य और लोगों के लिए बहुत अच्छा है. यह हर चीज को और अधिक सुलभ और कनेक्टेड बना देगा.‘
शुरुआती चरण में कम लागत वाली एयरलाइन्स – इंडिगो और फ्लाईबिग – होलोंगी से अपनी उड़ानें शुरू करेंगीं. इंडिगो 28 नवंबर को कोलकाता और मुंबई के लिए उड़ानें शुरू करेगा जो बुधवार को छोड़कर बाकी सभी दिन उपलब्ध होंगीं. इस खबर के प्रकाशन के समय इन उड़ानों में टिकट की कीमत क्रमशः लगभग 4,000 रुपये और 10,000 रुपये थी.
फ्लाईबिग गुवाहाटी के लिए उड़ानें संचालित करेगा, लेकिन इसके तयशुदा समय तालिका की घोषणा अभी बाकी है.
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17 साल का सफर
साल 2005 में परिकल्पित इस हवाई अड्डे को जनवरी 2019 में सैद्धांतिक अनुमति मिली थी. इस साल सितंबर में इसका काम पूरा होने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य में प्रचलित एक प्रमुख आदिवासी धर्म के आधार पर इसका नाम ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे से बदलकर ‘डोनी पोलो’ करने का फैसला किया.
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मंगलवार को कहा कि यह हवाईअड्डा ‘कनेक्टिविटी में सुधार करेगा और नई आर्थिक राहें खोलेगा.’
Donyi Polo Airport, whose foundation was laid by Hon PM Shri @narendramodi Ji, will improve connectivity & open new economic avenues.
Shri @aadityahbti, a bright young officer, throws light on how the Airport will fulfil aspirations of people.
— Pema Khandu པདྨ་མཁའ་འགྲོ་། (@PemaKhanduBJP) November 8, 2022
इसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया-एएआई) के द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों की सहायता के साथ 645 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है.
नाइक ने कहा कि टर्मिनल वाले भवन के आतंरिक कार्यों की जिम्मेदारी एएआई जिम्मेदार की थी, लेकिन राज्य सरकार ने अन्य कई चीजों का निर्माण किया जिनमें हवाई अड्डा तक जाने वाली सड़क और इसके परिसर की दीवार शामिल थी.
इस टर्मिनल में व्यस्त समय के दौरान 300 यात्रियों को संभालने की क्षमता है.
एएआई द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि इस हवाई अड्डे के पास 2,300 मीटर लंबा रनवे है जो इसे एयरबस ए320 जैसे विमानों के संचालन के लिए भी उपयुक्त बनाता है. इस प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, तीन एयरबस ए 320 को समायोजित करने वाले टरमैक के अलावा, इस हवाई अड्डा के पास चार एमआई -17 हेलीकॉप्टरों को भी समायोजित करने में सक्षम होगा.
हॉर्नबिल पक्षी का सांस्कृतिक महत्त्व
इस हवाई अड्डे के उद्घाटन से पहले ही इसके गेट की तस्वीरें वायरल हो गईं. यह विस्मयकारी द्वार स्पष्ट तौर पर अरुणाचल प्रदेश का राज्य पक्षी माने जाने वाले ग्रेट हॉर्नबिल से प्रेरित है
The construction work of Donyi Polo Airport, Itanagar @aaihollongi is completed and the airport will soon commence flight operations. The huge state-of-the-art entry gate at the airport is built up of bamboo showcasing the shape of the state bird- the Great Hornbill. pic.twitter.com/UTzmBwtudl
— Airports Authority of India (@AAI_Official) November 8, 2022
पनयांग, जो स्वयं पूर्वी सियांग जिले के रहने वाले हैं, ने कहा, ‘हम एक ऐसी अवधारणा चाहते थे जिससे स्थानीय लोग जुड़ाव महसूस कर सकें. हमने ज्यादातर बांस का इस्तेमाल किया है और इसके इंटीरियर (आन्तरिक भाग) में हमने बेंत का इस्तेमाल किया है. 15 कारीगरों के साथ इस गेट को बनाने में हमें 5 महीने लगे.’
इसका आकार भारी वाहनों की बेरोकटोक आवाजाही की अनुमति देता है.
हॉर्नबिल पक्षी अरुणाचल प्रदेश के लिए काफी अधिक सांस्कृतिक महत्व रखता है – विशेष रूप से इसकी न्यिशी जनजाति जो इस राज्य का सबसे बड़ा जातीय समूह है. पहले के समय में अधिकांश न्यीशी पुरुष एक टोपी पहनते थे जिसमें हॉर्नबिल के ऊपरी चोंच और शिरस्त्राण के साथ बुनी हुई बेंत की टोपी होती थी. हाल के वर्षों में, इस पक्षी की ‘असुरक्षित‘ स्थिति को देखते हुए, इस समुदाय ने इसके प्लास्टिक और फाइबरग्लास से बने विकल्पों की ओर रुख किया है.
(अनुवाद: राम लाल खन्ना)
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