हैदराबाद: दिप्रिंट को कुछ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, जो अपनी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का लक्ष्य बना कर चल रहे हैं, गुजरात में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करने के लिए अपनी पार्टी के विधायकों की एक टीम भेजने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं.
अगले महीने, गुजरात में दो चरणों में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को – मतदान होना है. चुनावी नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.
सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि हैदराबाद में मुख्यमंत्री केसीआर की उनके कार्यालय-सह-निवास ‘प्रगति भवन’ में उनके करीबी सहयोगियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है.
केसीआर के करीबी सहयोगी और तेलंगाना राष्ट्र समिति के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को दिप्रिंट को बताया, ‘हमारा विचार किसी पार्टी का समर्थन करने का नहीं है, बल्कि भाजपा के खिलाफ प्रचार करने का है और अगर हम भाजपा के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं, तो इससे आम आदमी पार्टी को स्वत: लाभ हो सकता है, मगर यह अभी हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं है. इस बारे में कोई अंतिम निर्णय लिए जाने के बाद संभवत: विधायकों, सांसदों और विधान पार्षदों की एक टीम गुजरात जाएगी.’
इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए, टीआरएस के राज्यसभा सदस्य केशव राव ने कहा कि इस बारे में अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है. राव ने दिप्रिंट को बताया, ‘वह (केसीआर) इसके (गुजरात में प्रचार के लिए एक टीम भेजने) बारे में अभी सोच रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि उन्होंने अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय लिया है.’
इससे पहले, अक्टूबर में, टीआरएस का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) कर दिया गया था, जिसका उद्देश्य इसे एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करना और भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस का एक मजबूत विकल्प तैयार करना है.
हालांकि, हाल के दिनों में भाजपा को निशाना बनाने पर अधिक ध्यान दिया गया है. मुख्यमंत्री केसीआर भगवा पार्टी के कट्टर आलोचक बन गए हैं और उनका कहना है कि देश के लोकतंत्र – जो उनके अनुसार, भाजपा के शासन में खतरे में है – की रक्षा के लिए केंद्र में एक वैकल्पिक पार्टी के उभरने की आवश्यकता है.
यह भी पढ़ें: ‘राजीव की यादें वापस आ गईं’: राहुल वहां पहुंचे और पूरा गांव उनके पिता की यादों में खो गया
गुजरात के लिए बीआरएस की ‘कार्य योजना’
ऊपर उद्धृत पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जब भी हम वहां प्रचार करेंगे, तो इसे बीआरएस के पक्ष में एक प्रचार अभियान के रूप में पेश किया जाएगा और सीधे तौर पर किसी अन्य पार्टी का समर्थन नहीं किया जाएगा. हमारा विचार टीआरएस विधायकों को अवैध रूप से तोड़ने की कोशिश करने वाले कांड को प्रचारित करना, सोशल मीडिया पर इसका वीडियो जारी करना और यह सुनिश्चित करना है कि यह बड़ी संख्या में गुजरात के दर्शकों तक पहुंचे.‘ पार्टी के यह नेता भाजपा के उन तीन कथित एजेंटों की गिरफ्तारी का जिक्र कर रहे थे जो कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रहे थे.
पिछले हफ्ते, मुख्यमंत्री केसीआर ने एक संवाददाता सम्मेलन में इन कथित भाजपा एजेंटों द्वारा उनके विधायकों के साथ बातचीत करने और उन्हें 100 करोड़ रुपये के प्रलोभन के साथ भाजपा में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश करने के वीडियो साझा किए थे. भाजपा ने विधायकों को तोड़ने के इन आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि यह वीडियो का ‘गढ़ा’ गया है .
उधर, केसीआर ने कहा कि इस वीडियो को देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को इस विचार के साथ भेजा गया है ताकि यह उजागर किया जा सके कि ‘भाजपा कितने अलोकतांत्रिक तरीके से काम कर रही है.’
इस सारे घटनाक्रम से परिचित एक अन्य नेता ने कहा कि गुजरात में प्रचार अभियान के दौरान लक्षित की गई आबादी, शिक्षित लोगों के समूह और राज्य में बसी ‘महत्वपूर्ण तेलुगु मूल के लोगों की आबादी’ होगी.
इस नेता ने कहा, ‘हम बखूबी समझते हैं कि गुजरात में गहरा ध्रुवीकरण है, लेकिन हम शिक्षित आबादी और तेलुगु समुदाय के लोगों को लक्षित कर रहे हैं जो भाजपा के कट्टर, अंध समर्थक नहीं हो सकते हैं.’ साथ ही, उन्होंने कहा कि हैदराबाद में रह रहे गुजराती समुदायों के प्रभावशाली लोगों से भी बातचीत की जाएगी.
इसके अलावा, तेलंगाना के मुख्यमंत्री की टीम ने अपने विशेषज्ञों से गुजरात के जमीनी हालात की रिपोर्ट भी हासिल की है. चुनावी सर्वे करने वाली फर्म ‘पीपल्स पल्स’ के रविचंद ने कहा कि गुजरात में तेलुगु भाषी लोगों की आबादी 2 प्रतिशत से कम हो सकती है, जो मुख्य रूप से सूरत, अहमदाबाद, जामनगर, बड़ौदा और राजकोट जैसे बड़े शहरों में बसे हैं. उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में करीब 50,000 तेलुगू भाषी लोग हैं.
रविचंड ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि (गुजरात में) 7 लाख तेलुगु भाषी लोग हो सकते हैं, जिनमें से 3-4 लाख वहां के मतदाता हो सकते हैं. राज्य में कई तेलुगु भाषी संघ हैं और वे काफी सक्रिय हैं, मगर उनका वोट निर्णायक नहीं हैं. उनका वोट ठीक उसी तरह से जीतने वाली पार्टी के तरफ झुक जाता है जैसे कि सूरजमुखी का फूल सूरज के साथ अपनी दिशा बदल लेता है.’
रविचंद ने कहा, ‘वैसे भी भाजपा के खिलाफ वोट बैंक जैसा रहा है वैसा ही बना रहेगा. भाजपा के समर्थक भी अपना रुख नहीं बदलेंगे. गुजरात में लोगों की धारणा को बदलना मुश्किल है क्योंकि वहां भाजपा कई कार्यकाल से सत्ता में रही है… इसलिए, (बीआरएस के) इस अभियान से जमीन पर कोई वास्तविक फर्क नहीं पड़ेगा. ‘
बीआरएस द्वारा अपने विधायकों को गुजरात भेजने की योजना को ‘फालतू कवायद’ करार देते हुए तेलंगाना भाजपा के प्रवक्ता एन.वी. सुभाष ने कहा, ‘टीआरएस विधायकों को गुजरात भेजना, वहां की जनता को विधायकों को तोड़े जाने के (झूठे) वीडियो दिखाना,एक बेकार की कवायद है.
यहां तक कि तेलंगाना के लोगों ने भी केसीआर और उनकी टीम पर पिछले आठ सालों से किए जा रहे झूठे वादों की वजह से विश्वास करना बंद कर दिया है. फिर गुजरात के लोग केसीआर की बात पर कैसे विश्वास कर सकते हैं? भाजपा पर झूठे आरोप लगाने और मामूली मुद्दों पर समय बर्बाद करने के बजाय केसीआर को राज्य के विकास पर ध्यान देना चाहिए. अगर वह आज पीएम मोदी से मिले होते, तो तेलंगाना के लोग बहुत खुश होते क्योंकि केंद्र सरकार राज्य को विकास के लिए असीमित धनराशि देने की प्रक्रिया में है.’
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार को तेलंगाना में थे जहां उन्होंने कई परियोजनाओं का शुभारंभ किया.
(अनुवाद: राम लाल खन्ना)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: नेता जब आरक्षण को रेवड़ियों की तरह पेश कर रहे हों तब ‘EWS’ को आरक्षण देने से कैसे बचते