नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछले कुछ महीनों से तेलंगाना में अपने कदम मजबूती से जमाती जा रही है. मुनुगोड़े उपचुनाव में खासे वोट बटोरकर उत्साहजनक प्रदर्शन करने के बावजूद पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष का कहना है कि यद्यपि राज्य में स्थानीय नेताओं की ‘कोई कमी नहीं’ है, फिर भी अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही पार्टी का चेहरा होंगे.
पिछले हफ्ते आए मुनुगोड़े उपचुनाव के नतीजे में भाजपा राज्य में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के बाद दूसरे स्थान पर रही, और कांग्रेस को उसने तीसरे स्थान पर धकेल दिया.
राज्य भाजपा अध्यक्ष के. लक्ष्मण के मुताबिक, टीआरएस ने इसे अपनी ‘प्रतिष्ठा’ की लड़ाई बना लिया था और हर हाल में जीत सुनिश्चित करने के लिए उसने करीब 500 करोड़ रुपये पानी की तरह बहाए. वहीं 2023 में प्रस्तावित चुनावों पर उन्होंने कहा कि भाजपा जनता के बीच पीएम मोदी की व्यापक अपील पर ही ध्यान केंद्रित करेगी.
लक्ष्मण ने कहा, ‘केसीआर का चेहरा अब नाकाम हो चुका है. लोग उनकी बातों पर भरोसा नहीं करते. उनकी कथनी और करनी में अंतर है. हमारे पास मोदीजी का शानदार चेहरा है. यह पूरे देश में कारगर है, न केवल राज्य चुनावों में बल्कि राष्ट्रीय चुनावों में भी.’
उन्होंने कहा, ‘चुनावों के बाद निश्चित पर पार्टी आलाकमान ही सभी सामाजिक और क्षेत्रीय पहलुओं को ध्यान में रखकर यह तय करेगा कि किस चेहरे को आगे करना है. हमारे पास तेलंगाना में एक से बढ़कर एक नेता हैं. लेकिन मोदीजी के विकास के मुद्दे, गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं और ऐतिहासिक फैसलों को ही प्रमुखता से सामने लाया जाएगा.’
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‘तेलंगाना में भाजपा ही विकल्प’
भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी डबल इंजन वाली सरकार देगी और राज्य में कल्याणकारी योजनाओं पर पूरी तौर पर फोकस करेगी. लक्ष्मण ने कहा, ‘चाहे हुजूराबाद और मुनुगोड़े के उपचुनाव हों या फिर जीएचएमसी (ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम) के चुनाव, इन पिछले कुछ चुनावों ने दिखा दिया है कि राज्य में भाजपा ही एकमात्र विकल्प है. हम तेलंगाना में उत्तर प्रदेश और गुजरात मॉडल लागू करेंगे. हमारे चुनावी मुद्दे विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर ही केंद्रित होंगे.’
मुनुगोड़े उपचुनाव के दौरान पूरी जोरदारी से प्रचार करने वाले भाजपा नेता ने कहा कि हालांकि ‘तकनीकी तौर पर’ तो भाजपा को यहां हार ही मिली है लेकिन बड़ी संख्या में वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहना उसके लिए एक ‘मॉरल विक्ट्री’ की तरह है.
उन्होंने कहा, ‘मुनुगोड़े कांग्रेस की सीट थी और मौजूदा विधायक ने इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्हें समझ आ गया कि केवल मोदीजी और भाजपा की तरफ से ही केसीआर (मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) से टक्कर ली जा सकती है. वही देश को आगे ले जा सकते हैं. इसीलिए वह भाजपा में शामिल हो गए.’
उन्होंने कहा, ‘हम पूरी मजबूती से लड़े, लेकिन टीआरएस सरकार और पार्टी ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा था. आपने देश में सात उपचुनाव देखे होंगे, लेकिन मुनुगोड़े की तरह कहीं भी सत्ताधारी पार्टी ने उपचुनाव पर इतना पैसा नहीं बहाया होगा. यहां तो पूरी सरकार, सांसद, एमएलसी और पूरा प्रशासन पूरे एक महीने तक डेरा डाले रहा. टीआरएस ने चुनाव पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च किए और तमाम वादे भी किए.’
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद लक्ष्मण ने बताया कि भाजपा को 87,000 वोट मिले और वह दूसरे स्थान पर रही. टीआरएस ने बहुत कम अंतर से यह जीत हासिल की है. उन्होंने कहा, ‘तकनीकी तौर पर हम भले ही हारे हों लेकिन नैतिक रूप से हम जीतें है. हमने कांग्रेस पार्टी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया. कांग्रेस प्रत्याशी ने ऐसे समय पर अपनी जमानत तक जब्त करा दी है जब राहुल गांधी तेलंगाना में भारत जोड़ो यात्रा पर थे.’ उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस का पूरे देश में सफाया हो चुका है और तेलंगाना के लोगों के लिए टीआरएस से मुकाबले के लिए अकेले भाजपा ही ‘व्यावहारिक विकल्प’ है.
‘मोदीजी की वजह से ही मिला ईडब्ल्यूएस आरक्षण’
मुनुगोड़े की जीत टीआरएस के लिए काफी मायने रखती है, खासकर यह देखते हुए कि 2020 में जीएचएमसी चुनावों में भाजपा ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया था. भाजपा ने जीएचएमसी के 150 वार्डों में टीआरएस के 55 और एआईएमआईएम के 44 के मुकाबले 48 सीटों पर जीत हासिल की थी.
मुनुगोडे उपचुनाव में, टीआरएस उम्मीदवार कूसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी को 97,006 वोट मिले, उन्होंने भाजपा प्रत्याशी कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी को 10,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया, जिन्हें 86,697 वोट मिले. कांग्रेस केवल 23,906 वोट पाने में सफल रही, जबकि यह सीट पहले कांग्रेस के ही खाते में थी और राजगोपाल रेड्डी ही पार्टी प्रत्याशी के तौर पर यहां से जीते थे.
राजगोपाल रेड्डी के कांग्रेस छोड़ने और अगस्त में विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद ही यहां उपचुनाव की नौबत आई. रेड्डी इसके बाद चुनाव मैदान में उतरने के लिए भाजपा में शामिल हो गए.
केंद्र सरकार की तरफ से दक्षिणी राज्यों में हिंदी थोपने के विपक्ष के आरोपों पर लक्ष्मण ने कहा कि वह किसी भी राज्य में कोई भाषा थोपने की कोशिश कतई नहीं कर रही. उन्होंने कहा, ‘भाजपा और (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह दोनों ने तो नई शिक्षा नीति में भी क्षेत्रीय भाषाओं पर जोर दिया है.’
विधायकों की खरीद-फरोख्त के टीआरएस के आरोप पर उन्होंने बस इतना कहा कि न्यायिक जांच होनी चाहिए क्योंकि टीआरएस इस प्रकरण को लेकर भाजपा को बदनाम करने की कोशिश कर रही है.
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण बरकरार रखने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ‘ईडब्ल्यूएस आरक्षण मोदीजी की वजह से ही संभव हो पाया है’ और पार्टी ईडब्ल्यूएस के साथ-साथ ओबीसी को भी पूरी अहमियत दे रही है. उन्होंने कहा, ‘द्रमुक का एक तय एजेंडा है और इसके तहत ही उसकी तरफ से ईडब्ल्यूएस आरक्षण की आलोचना की जा रही है.’
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