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बुधवार, 2 जुलाई, 2025
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ओटीएस योजना के तहत अधिकार के रूप में अतिरिक्त समय की मांग नहीं कर सकता कर्जदार : न्यायालय

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नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि एक बारगी निपटान (ओटीएस) योजना के तहत कोई कर्जदार अधिकारों का हवाला देते हुए भुगतान के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग नहीं कर सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा है कि कर्जदार को अधिकार के रूप में समय विस्तार का दावा करने के लिए अपने पक्ष में कोई अधिकार स्थापित करना होगा।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मार्च 2022 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें एक कर्जदार कंपनी को ओटीएस के स्वीकृत पत्र के तहत भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को ब्याज सहित शेष राशि का भुगतान करने के लिए छह सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया गया था।

न्यायालय ने कहा कि ओटीएस योजना के तहत भुगतान की अवधि को पुनर्निर्धारित करना और समय को विस्तारित करना ‘अनुबंध को फिर से लिखने’ के समान होगा, जो संविधान के अनुच्छेद-226 में प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते समय स्वीकृत नहीं है।

न्यायालय ने कहा कि अनुबंध में कोई भी बदलाव भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा-62 के तहत आपसी सहमति से ही किया जा सकता है।

संविधान का अनुच्छेद-226 कुछ विशेष रिट जारी करने के उच्च न्यायालयों के अधिकारों से संबंधित है।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘कर्जदार अधिकार का हवाला देते हुए यह मांग नहीं कर सकता कि उसने भले ही स्वीकृत ओटीएस योजना के तहत भुगतान नहीं किया है, फिर भी इसे अधिकार के रूप में और विस्तार दिया जाए। किसी भी गलत दावे को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।’’

भाषा पारुल सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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