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Friday, 22 November, 2024
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बांग्लादेश में ‘कोई अल्पसंख्यक’ नहीं, क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत के शुक्रगुजार: मंत्री हसन महमूद

अगले साल देश में होने वाले चुनावों के मद्देनजर बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार का भारत का समर्थन हासिल करने पर फोकस.

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नई दिल्ली: बांग्लादेश का मानना है कि उनके देश में ‘कोई भी अल्पसंख्यक नहीं’, चाहे वह हिंदू हो या दूसरे अल्पसंख्यकों समुदाय ‘हर कोई धरती-पुत्र है.’ मंगलवार को नई दिल्ली में बांग्लादेश के सूचना-प्रसारण मंत्री हसन महमूद ने कहा, ‘वहां हर नागरिक सुरक्षित महसूस करता है.’

भारत की राजधानी के एक दिन के दौरे पर आए महमूद ने पत्रकारों से कहा, ‘हम मानते हैं कि कोई भी अल्पसंख्यक नहीं है. हमारी प्रधानमंत्री कहती हैं कि आप खुद को अल्पसंख्यक मत समझिए, आप धरती-पुत्र हो. यह आपका देश है और हमारे संविधान के अनुसार सभी को समान अधिकार हैं.’

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के करीबी माने जाने वाले महमूद ने कहा, ‘बेशक भारत और बांग्लादेश दोनों देशों में कट्टर लोग हैं और वे कट्टरता को हवा देने की कोशिश करते हैं, धार्मिक समूहों के बीच अमन-चैन का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं. ऐसा हर जगह होता है.’

मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शेख हसीना सरकार ने ऐसे तत्वों के खिलाफ ‘कड़ी’ कार्रवाई की है. उन्होंने इस साल बांग्लादेश में धूमधाम से मनाए गए हिंदू त्यौहार ‘दुर्गा पूजा’ का उदाहरण दिया.

उन्होंने यह भी बताया कि ‘पिछले वर्ष के मुकाबले (इस वर्ष) पूजा पंडालों की संख्या 700 ज्यादा थी. बांग्लादेश सरकार ने (वहां) हिंदुओं की सुरक्षा के इंतजाम किए हैं और मैं उन्हें अल्पसंख्यक नहीं कहना चाहता.’


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बांग्लादेश में पिछले साल दुर्गा पूजा समारोह के दौरान हिंदू मंदिरों और पूजा पंडालों को निशाना बनाया गया था, जिसे भारत ने ‘परेशान करने वाली’ घटना बताया था.

भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों और तीस्ता नदी जल बंटवारे के विवादास्पद मुद्दे पर महमूद ने कहा, ‘हमारे संबंध बहुआयामी हैं और यह सिर्फ तीस्ता जल बंटवारे (मुद्दे) पर निर्भर नहीं है. बेशक, भारत और बांग्लादेश इस मुद्दे में उलझे हुए हैं.’

इस साल सितंबर में, 26 वर्षों में पहली बार, भारत और बांग्लादेश ने प्रमुख सीमावर्ती नदी कुशियारा के पानी को साझा करने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए. हालांकि तीस्ता नदी के जल बंटवारे का मुद्दा लंबे समय से लंबित है और वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना हुआ है.

बांग्लादेश के मंत्री ने भारत और बांग्लादेश के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते के महत्व, क्षेत्रीय स्थिरता कायम रखने में नई दिल्ली की भूमिका और विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून पर भी अपनी राय रखी.

बांग्लादेश को भारत के साथ व्यापार अंतर को दूर करने की जरूरत

मंत्री के मुताबिक, निर्यात के मामले में बांग्लादेश को समस्याएं हैं, क्योंकि दोनों देशों के बीच दोतरफा व्यापार भारत के पक्ष में काफी झुका हुआ है.

महमूद ने कहा, बांग्लादेश बढ़ते व्यापार घाटे के मद्देनजर भारत को अधिक से अधिक माल निर्यात करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन दोनों पक्षों को प्रस्तावित व्यापार संधि, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर करना जरूरी है.

हालांकि, मंत्री ने यह भी कहा कि भारत की वजह से ही बांग्लादेश महामारी के दौर के बावजूद ऊंची जीडीपी विकास हासिल करने और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में कामयाब हुआ.

महमूद ने कहा, ‘बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय स्थिरता का होना जरूरी है और भारत की इसमें अहम भूमिका है.’

उन्होंने कहा, ‘क्षेत्रीय स्थिरता समूचे क्षेत्र की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है. किसी भी देश की राजनीतिक स्थिरता उस देश की समृद्धि के लिए सबसे खास पूर्व-शर्त है… इस क्षेत्र में चीन शामिल नहीं है.’

महमूद की ये टिप्पणियां खास मायने रखती हैं क्योंकि बांग्लादेश में 2023 में चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत का समर्थन हासिल करने पर फोकस कर रही हैं. यह एक वजह है कि उन्होंने इस साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट के लिए भारत दौरे पर आईं.

हालांकि, बांग्लादेश के मंत्री ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बारे में विस्तार से कुछ बोलने से इनकार कर दिया, जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है. वे इसे भारत का ‘आंतरिक मामला’ कहकर टाल गए.

उन्होंने कहा, ‘सीएए आपका आंतरिक मामला है और सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर है इसलिए यह कानूनी मुद्दा भी बन गया है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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