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Wednesday, 20 November, 2024
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दुनिया के 20 सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में भारत के 6 शहर भी शामिल

दुनियाभर में भारत के छह शहर काफी तेजी से विकास की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें दिल्ली, पुणे, हैदराबाद और चेन्नई भी शामिल हैं. चीन के कई शहरों से है टक्कर.

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नई दिल्लीः तब जब दुनिया की वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति चरम पर है इस बढ़ती अर्थव्यवस्था में कई शहर हैं जहां रियल एस्टेट और आर्थिक विकास मजबूत बना हुआ है. इस समय जब वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम वैश्वीकरण 4.0 की जांच कर रहा है, जेएलएल का सिटी मोमेंटम इंडेक्स दुनिया के सबसे अधिक सक्रिय शहरों की गति पर केंद्रित है. आर्थिक, सामाजिक और व्यावसायिक रूप से कम समय में तेजी से आगे बढ़ रहे शहरों के हो रहे विकास पर चर्चा हो रही है. सिटी मोमेंटम इंडेक्स में उन 131 सबसे बड़े, स्थापित और व्यावसायिक हब पर विचार किया गया, जिनमें रियल एस्टेट का बाजार और शहरी अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ी है.

इस वर्ष की रैंकिंग में सबसे तेज शहरी विकास पाया गया है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर खिसक रहा है. इस वर्ष के सूचकांक में एशिया प्रशांत शीर्ष पर है, इसके 20 में 19 शहर इसमें शामिल हैं. इसमें जो बात चौंकाती है वह यह कि दुनिया के 20 शीर्ष शहरों में भारतीय और चीनी शहर रैंकिंग में तीन-चौथाई पर हावी हैं.

अगर इन आंकड़ों पर नजर डालें तो एशिया पैसिफिक क्षेत्र से सिर्फ एक शहर नैरोबी ही अलग है, जो 20 सबसे गतिशील शहरों में शामिल हो पाया है. यहां ये बताना जरूरी है कि नैरोबी का यह शहर भी पूरी तरह से एशिया से प्रभावित है. जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में खासतौर से चीन का निवेश शामिल है.

यहां यह समझना जरूरी है कि कम समय में हो रहे विकास को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए शहर को कई तरह की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा है. मजबूत तेजी आर्थिक और सामाजिक विकास के कई अवसर भी लाती है, लेकिन वहीं कई चुनौतियां भी पैदा करती है. हर अलग शहर अलग-अलग विकास के रास्ते तय करता है. इसमें यह जानना जरूरी हो जाता है कि स्मार्ट, कुशल और उत्पादक अचल संपत्ति और बढ़ी हुई पारदर्शिता के तहत लंबे समय के लिए, टिकाऊ विकास में एक महत्वपूर्ण कारक है.

इंडेक्स में दुनिया के 20 सबसे तेजी से बढ़ते शहर में दिल्ली, बेंगलुरू, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता और चेन्नई शामिल हैं. वहीं चीन के शहरों में बीजिंग, शियां, चेनंग्डू, नांजिंग, शंघाई, हांगजु, गुआंजू, शेंझेन शामिल हैं. इसके साथ ही हनोई, मनीला, होचि मिन्ह शहर, बैंकाक के नाम भी शामिल हैं.

रियल एस्टेट ने इन शहरों के विकास में अहम भूमिका निभाई है

बंद परियोजनाओं का शुरू होना शहरों के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है. यही नहीं नए पड़ोस और मिश्रित उपयोग से नए व्यवसायों के विकास और जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद मिल सकती है. वहीं दूसरी तरफ बड़े स्तर पर आ रहे इंफ्रास्ट्रक्चर के काम कुछ समस्याएं तो खड़ी करते हैं, लेकिन तकनीक लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाती है.

नैरोबी इंडेक्स में छठे स्थान पर है. आने वाले पांच वर्षों में यहां की जनसंख्या सबसे तेजी से बढ़ने वाली है. अथॉरिटी ओवरक्राउडिंग की समस्या से निपटने के लिए उच्च और स्मार्ट तकनीक की मदद से तेजी से बढ़ती जनसंख्या को मैनेज करने की कोशिश में लगी है. इस विकास की बयार में इन शहरों की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण और पर्यावरण है. लेकिन तकनीक की मदद से ग्रीन और स्मार्ट ब्लिडिंग इस समस्या से निपटने में अहम योगदान दे सकती हैं. चीन के शहर शियान जिसे इस इंडेक्स में नौवां स्थान प्राप्त है वह वायु प्रदूषण और किसी भी दूसरे तेजी से विकसित हो रहे शहर की समस्या से जूझ रहा है. इस शहर में 100 मीटर लंबा एक टावर बनाया गया है, जिसका मकसद हवा में फैले जहर को कम करना और शहर के विकास में मदद करना है. तेजी से बढ़ते शहरीकरण के बीच कई तरह की समस्याएं आती रहती हैं.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने के लिए पारदर्शिता बढ़ाने की जरूरत

अर्थव्यवस्था में विकास को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए विदेशी निवेश प्रत्यक्ष तौर पर लाना होगा. और यह तभी संभव है जब निवेशक रियल एस्टेट और बाजार में पारदर्शिता को देखेगा. भारत के तेजी से विकसित होते शहरों में विदेशी निवेश सीधे तौर पर बढ़ा है.

रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 सहित संरचनात्मक सुधारों के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के उच्च स्तर को आकर्षित करने में हाल के वर्षों में भारत के सबसे तेजी से बढ़ते शहर सफल रहे हैं, और यही विदेशी खरीदारों से अधिक रियल एस्टेट निवेश के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

इसी तरह की एक कहानी चीनी शहरों जैसे कि बीजिंग और शंघाई में भी चल रही है, जो दोनों इस साल की शुरुआत में प्रकाशित जेएलएल के ग्लोबल रियल एस्टेट ट्रांसपेरेंसी इंडेक्स 2018 के अनुसार दुनिया के ‘ट्रांसपेरेंट’ रियल एस्टेट बाजारों में शामिल होने की कगार पर हैं.

तेजी से बदलाव की पृष्ठभूमि के खिलाफ, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम वैश्विक विकास 4.0 और चौथी औद्योगिक क्रांति की जांच करेगा, जिसमें वैश्विक विकास को समावेशी और टिकाऊ बनाने के लिए एक निश्चित विचार किया जाएगा. यह विकास टिकाऊ और समावेशी होने के साथ-साथ दीर्घकालिक होना चाहिए. सिटी मोमेंटम इंडेक्स यह भी दर्शाता है कि ऐसा करने के लिए व्यवसाय और सरकारें एक साथ कैसे काम कर सकती हैं.

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