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Friday, 22 November, 2024
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पत्रकार हत्याकांड मामले में गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सजा

राम रहीम सहित सभी चारों आरोपियों को पत्रकार मर्डर केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. चारों को आईपीसी की धारा 302 व 120 बी के तहत दोषी ठहराया जा चुका है.

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हरियाणा : पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई. राम रहीम सहित सभी चारों आरोपियों को पत्रकार मर्डर केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. मारे गए पत्रकार के परिवार ने दोषियों को मृत्युदंड दिए जाने की मांग की थी. राम रहीम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सजा सुनाई गई.

11 जनवरी को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में सजा भुगत रहे गुरमीत राम रहीम और उनके तीन अन्य साथियों, किशन लाल, कुलदीप और निर्मल को विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी माना था. चारों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया जा चुका है. राम रहीम को को सजा सुनाए जाने से पहले पंजाब व हरियाणा के कुछ हिस्सों में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. चंडीगढ़ से लगे पंचकूला के सेक्टर एक के अदालत परिसर में सुरक्षा के खास व्यवस्था की गई थी.

क्या है मामला

2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार ‘पूरा सच’ में गुरमीत राम रहीम के डेरे में हुए रेप केस की खबर छापी थी. इस खबर के छपने के कुछ महीने बाद ही छत्रपति की गोली मार कर हत्या कर दी गई. परिजनों ने राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज कराया और बाद में इस केस को सीबीआई के हवाले कर दिया गया. सीबीआई ने 2007 में चार्जशीट दाखिल की थी और गुरु राम रहीम को पत्रकार की हत्या का दोषी माना था.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने हरियाणा के सिरसा में साल 2000 में वकालत छोड़ कर ‘पूरा सच’ नाम से एक अखबार शुरू किया था. साल 2000 में उनके हाथ एक गुमनाम चिठ्ठी लगी, जिसमें डेरा सच्चा सौदा में हो रहे यौन शोषण के बारे में जानकारी थी. रामचंद्र ने उस पत्र को छाप दिया, जिसके कुछ दिनों बाद पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई. छत्रपति अपने अखबार में डेरे से जुड़ी अच्छी-बुरी खबरें छापते थे. उन्हे लगातार धमकियां मिलती थी.

कौन है गुरमीत राम रहीम

गुरमीत राजस्थान के श्रीगंगानगर में 15 अगस्त 1967 को पैदा हुए थे. पिता मगहर सिंह जमींदार थे और घर में पूजा-पाठ का माहौल बना रहता था. गुरमीत के पिता शुरुआती दिनों में ही डेरा सच्चा सौदा के संपर्क में आ गए थे. डेरे की स्थापना शाह मस्ताना ने 1948 में की थी. डेरा समाज के उन लोगों को ज्यादा आकर्षित करता था, जिन्हें सिख धर्म में बराबर स्थान नहीं मिला था. गुरमीत का मन पूजा-पाठ में कुछ खास नहीं लगता था, लेकिन अपने पिता के साथ डेरे में आते-जाते डेरे के संपर्क में आ गए थे. गुरमीत वहां मन लगाकर काम करते रहे और एक दिन उन्हें उनकी मेहनत का ईनाम मिलता है और तब के डेरा प्रमुख उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर देते हैं और नाम देते हैं – ‘हुजूर महराज गुरु राम रहीम.’

बाकी बाबाओं से अलग

गुरमीत राम रहीम बाकी अन्य धर्मगुरुओं और बाबाओं से काफी अलग थे. उन्हें शानों शौकत काफी पसंद था. महंगी गाड़ियों में घूमना, भोग-विलास करना, और हमेशा चाक-चौबंद में रहना उनको पसंद था. बाबाओं के पारंपरिक कपड़े की जगह उसे मॉडर्न कपड़े पहनना पसंद था. स्पोर्ट्स बाइक्स चलाने का शौकीन बाबा राम रहीम ने एक पिक्चर भी बनाई. मैसेंजर ऑफ गॉड. खुद ही एक्टिंग की. डांस किया. गाने गाए. अपनी सारी इच्छाओं को पूरा किया. वहां उसने हनीप्रीत नाम की लड़की को अपनी मुंह बोली बेटी बना लिया था. लेकिन हनीप्रीत के साथ भी उसके संबंधों की हवा उठी थी.

काले कारनामे

उसने लड़कियों से यौन शोषण करने के लिए डेरे के अंदर ही एक अंडरग्राउंड गुफा बनवा लिया था. इसमें वो अपने मनपसंद की कोई लड़की चुनता और उनसे देह समर्पित करने के नाम पर उनका यौन शोषण करता. डेरे के अंदर बलात्कार आम बात हो गई थी. छोटी सी भी गलती की सजा बलात्कार होती थी.

सफेद कारनामे

अपने काले कारनामों को ढकने के लिए राम रहीम ने सामाजिक कार्य करना भी जारी रखा. डेरा सच्चा सौदा से भारी संख्या में वे सिख दलित जुड़ते चले गए, जो समाज में फैली असमानता, जात-पात से हाशिए पर चले गए थे. डेरे के अंदर एक अस्पताल था, जिसमें लोगों का फ्री में इलाज होता था. नशामुक्ति कार्यक्रम चलाकर उसने सिरसा की उन औरतों का ध्यान अपने डेरे की ओर खींचा, जिनके पति उन्हें शराब पी कर पीटते थे. स्वच्छता और रक्तदान जैसे कार्य भी डेरे में होते रहे.

नेताओं से तगड़े संबंध

देखते ही देखते उन्होंने लाखों की संख्या में अपने कट्टर समर्थक जुटा लिए. उसके भक्त उसे भगवान का दूसरा रूप मानते हैं. अक्सर देखा गया है कि जिसके पास लोगों का हुजूम होता है, हमारे देश के नेता भी उससे अपने संबध अच्छे बना कर रखते हैं. राम रहीम के साथ भी यही हुआ. क्या बीजेपी, क्या कांग्रेस, हर दल के नेता राम रहीम के दरबार में ‘माथा टेकने’ पहुंच जाते थे. राम रहीम का भरोसा यहीं से बढ़ता गया. वह अपने कुकर्म करता गया. उसे अति आत्मविशवास हो गया था कि कोई भी उसका बाल बांका नहीं कर सकता. अपने खिलाफ उठ रही हर आवाज को वो दबाता चला गया. 2014 में राम रहीम ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन दिया था.

सामने आया विवाद

2002 ने नरेंद्र मोदी और सलमान खान के अलावा बाबा राम रहीम के भी पसीने छुड़ा दिए. एक गुमनाम महिला ने तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा. पत्र में उसने डेरे के अंदर अपने साथ हुए कुकर्मों के बारे में लिखा था. बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई. सीबीआई के सामने महिला ने बताया कि कैसे बाबा राम रहीम ने उसे एक रात अपनी गुफा में बुलाया और किस तरह साथ नहीं देने पर रेप और जान से मारने की धमकी दी और उसके साथ दुष्कर्म किया.

इसी साल राम रहीम के डेरे के बारे में लगातार खबर लिख रहे पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को गोली मारी गई. उनकी हत्या से बाबा के काले कारनामों की पोल खुलने लगी. उसका असली चेहरा लोगों के सामने आना शुरू हुआ.

इसके बाद आया साल 2007 जब राम रहीम सिखों के 10वें गुरु श्री गुरुगोविंद सिंह की नकल करते हुए उनकी वेश-भूषा धारण की, जिससे उसके ऊपर सिखों की भावना को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा था.

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