ब्रिटेन: प्रधानमंत्री थेरेसा मे के प्रधानमंत्री पद और ब्रेक्सिट डील दोनों पर मंगलवार को अनिश्चितता की तलवार लटक गई है. यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के थेरेसा मे की योजना को ब्रिटिश संसद ने भारी बहुमत से ख़ारिज कर दिया. 28 देशों की सदस्यता वाले यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर हो जाने की प्रक्रिया ब्रेक्सिट है. और यह पूरी प्रक्रिया 23 जून 2016 को जनमत संग्रह के बाद शुरू हुई थी.
उस समय अधिकतर लोगों ने संघ से अलग होने के पक्ष में मतदान किया था. वे सभी ब्रेक्सिट के पक्ष में थे, लेकिन धीरे-धीरे स्थितियां बिगड़ती गईं और विरोध के स्वर उठने लगे. ब्रेक्सिट समझौते के बाद ही थेरेसा मे ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनीं. 29 मार्च 2019 को यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को अलग होना है, जिस पर पिछले दो सालों से ब्रिटेन की संसद में लगातार बहस चल रही है.
ब्रेक्सिट को लेकर संशय बरकरार
ब्रिटिश संसद ने जिस तरह से समझौते के पक्ष में 202 वोट डाले और 232 सांसदों ने इसका विरोध किया है. इसे देखते हुए अब यह समझा जा सकता है कि ब्रिटेन इन दिनों अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है. जिस तरह से ब्रिटेन की संसद ने इसे खारिज किया है इसे देखकर जानकारों का कहना है कि ये किसी भी मौजूदा सरकार के लिए सबसे बड़ी हार है. लेकिन इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि कुछ विपक्षी थेरेसा मे के समर्थन में भी हैं जबकि खुद थेरेसा मे की कंज़र्वेटिव पार्टी के 118 सांसदों ने भी इस डील के खिलाफ वोट दिया है.
अब क्या कदम उठाएंगी थेरेसा मे
प्रधानमंत्री थेरेसा मे और मौजूदा सरकार के खिलाफ विपक्षी लेबर पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. विपक्षी पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन का कहना है कि ‘संसद ने जिस तरह से ब्रेक्सिट डील को ख़ारिज किया गया है, उससे साफ़ हो गया है कि सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है. यहां तक कि प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी सदन का विश्वास को दिया है.’ अब इस अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ बहस होनी है. लेकिन इस बीच थेरेसा मे के समर्थन के स्वर भी उठे हैं. कई सांसदों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने इस डील का विरोध किया है, प्रधानमंत्री का नहीं.
थेरेसा मे के भावुक पल
अपनी हार सामने से देख रही थेरेसा मे सदन में भावुक दिखीं. उन्होंने कहा कि वह सदन के सामने अपने दूसरे मसौदे को पेश करेंगी. अगर वह फिर से बुधवार को सदन का विश्वास हासिल करने में नाकाम रहती हैं तो उन्हें या किसी और को 14 दिनों के अंदर सदन का विश्वास हासिल करने का मौक़ा मिलेगा. लेकिन अगर कोई सरकार नहीं बन पाती है तो फिर ब्रिटेन में आम चुनाव की घोषणा होगी.
ब्रेक्सिट मसौदे पर मतदान से पहले थेरेसा मे ने अपनी योजना को बचाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी दिखीं. उन्होंने भावुक होते हुए कहा यह पल उनके राजनीतिक करिअर का सबसे महत्वपूर्ण क्षण है. उन्होंने सांसदों से बार-बार उनके समर्थन में मतदान करने की अपील की. बताया जा रहा है कि थेरेसा मे एक बार फिर से संसद पटल पर ये योजना पेश कर सकती हैं और संसद की मंजूरी हासिल करने की कोशिश भी करेंगी.
जानकारों का कहना है कि थेरेसा मे हार मानने वाली नहीं हैं और वो इस मसौदे के इतर प्लान बी तैयार कर रही हैं और उसमें क्या होगा यह नहीं बताया जा सकता है, लेकिन वह कोशिश कर रही है कि वह किसी तरह से इसे पास करा लें और काफी हद तक संभव है कि इस मसले पर दोबारा जनमत संग्रह हो.
लेकिन अगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तो 29 मार्च 2019 को ब्रिटेन बिना किसी समझौते के यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा और अगर थेरेसा मे इसके लिए तैयार नहीं होती हैं तो फिर किसी को नहीं पता कि इसका क्या होगा?
दुनिया पर पड़ेगा इसका असर
ऐसा नहीं है कि ब्रेक्सिट का असर सिर्फ ब्रिटेन और यूरोपीय देशों पर पड़ेगा, बल्कि इसकी जर्द में भारत सहित दुनिया के कई देश आएंगे. अगर ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो जाता है तो पौंड बुरी तरह से धाराशाई हो जाएगा, जिससे डॉलर की मांग बढ़ेगी. इससे पेट्रोल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमत तेजी से बढ़ेगी. इसका प्रभाव भारत पर सबसे अधिक पड़ने की उम्मीद है, इसकी वजह है व्यापार. यूरोपियन संघ भारत के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है. भारत के आईटी सेक्टर की 16-18 फीसदी कमाई ब्रिटेन से ही होती है.
इसके अलावा यूरोपियन संघ में शामिल देश के नागरिक बिना वीजा के यूरोप के किसी भी देश में बेरोक-टोक घूम सकते हैं. लेकिन इससे अलग होने के बाद ब्रिटेन के लोगों को यूरोप के देशों में यात्रा करने के लिए वीजा की आवश्यकता पड़ेगी. इसका सीधा असर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान झेलना पड़ा सकता है.