चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की 20वीं कांग्रेस राजधानी बीजिंग में शुरू हो गई है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने भाषण में ‘चीनी स्टाइल के आधुनिकीकरण’ पर ज़ोर दिया है मगर आर्थिक विकास के मॉडल का समर्थन किया है.
उधर हाइडियन जिले में उभरे एक अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन में शी को बर्खास्त करने की मांग की गई है.
चीन के सरकारी मीडिया ने चीनी सेना पीएलए के कमांडर क़ी फाबाओ का एक भावोत्तेजक वीडियो जारी करके गलवान में हुई टक्कर की यादों को ताजा करने की कोशिश की. ‘चाइनास्कोप’ चीन राजनीति के इस चमकदार सप्ताह की ताजा घटनाएं पेश कर रहा है.
चीन का यह सप्ताह
अपने कामकाज के बारे में दो घंटे तक दिए ब्योरे में, जो कुल मिलाकर एक भाषण ही था, शी ने चीन की भावी दिशा के बारे में अपने सोच का दुर्लभ जायजा पेश किया. शी के भाषण से ही पार्टी की 20वीं कांग्रेस का आगाज हुआ.
उन्होंने कहा, ‘आज के बाद सीसीपी का मुख्य काम सभी जातीय समूहों को एकजुट करना और उनका नेतृत्व करना होगा ताकि देश का चौतरफा मजबूत समाजवादी आधुनिकीकरण हो, दूसरी सदी का लक्ष्य पूरा किया जा सके, और चीनी शैली के आधुनिकीकरण के साथ चीनी राष्ट्र के महान कायाकल्प को संपूर्णता के साथ बढ़ावा दिया जा सके.’
पार्टी की 19वीं कांग्रेस (2017) में जो रिपोर्ट पेश की गई थी उसकी तुलना में इस साल का भाषण लंबाई में आधा था.
शी का भाषण 19वीं कांग्रेस की कामकाज रिपोर्ट का संक्षिप्त रूप था, पूरी कामकाज रिपोर्ट 72 पेज की है. शी ने इस रिपोर्ट के संक्षिप्त संस्करण को दो घंटे पढ़ा. उन्होंने इस साल के अपने भाषण में राष्ट्रीय सुरक्षा (安全) का 50 बार जिक्र किया, हालांकि यह शब्द 2017 की रिपोर्ट की तुलना में इस बार काफी कम दफे इस्तेमाल किया गया है.
लेकिन इस बार का भाषण पिछले भाषण का आधा था, इस लिहाज से इस शब्द को पार्टी के विमर्श में प्रमुखता दी गई.
शी ने कहा, ’19वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद के पांच साल से बहुत ही असामान्य और असाधारण रहे हैं. सीसीपी की सेंट्रल कमिटी ने चीनी राष्ट्र के महान कायाकल्प के लिए और एक सदी में दुनिया में आने वाले परिवर्तनों के लिए योजनाएं बनाई है; पार्टी और देश के विकास के लिए बड़ी अहम रणनीतिक व्यवस्थाएं की है; उसने पूरी पार्टी, पूरी सेना और सभी जातीय समूहों को एकजुट करके उसका नेतृत्व किया है ताकि वे गंभीर और जटिल अंतर्राष्ट्रीय स्थिति तथा उसके कारण पैदा हुए भीषण जोखिमों तथा चुनौतियों का जवाब दे सकें और इस नये दौर में संघर्ष तथा प्रगति की भावना के साथ चीनी विशेषताओं वाले समाजवाद को आगे बढ़ाएं.’
ताइवान के मसले पर शी ने कहा कि “इस नये दौर में ताइवान मसले के हल, जलडमरूमध्य के दोनों ओर आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने, ‘ताइवान की आज़ादी’ जैसी अलगाववादी गतिविधियों का मजबूत विरोध करने, बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप का जोरदार विरोध करने, जलडमरूमध्य के दोनों ओर के रिश्तों पर मजबूत पकड़ और पहल के लिए हमने एक समग्र रणनीति पेश की है.”
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इस बीच, ताइवान ने प्रतिक्रिया दी है कि वह अपनी संप्रभुता के दावे से पीछे नहीं हटेगा. पार्टी की 20वीं कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने बैठक से पहले की गतिविधियों को शुरू करने के लिए बीजिंग में बैठक की, जिसमें सीसीपी नेता और राजनीतिक विचारक वांग हनिंग को कॉंग्रेस का सचिव चुना गया.
पार्टी की 19वीं कांग्रेस के सातवें अधिवेशन के साथ चीनी राजनीति का पिछला चक्र पूरा हुआ और रविवार को पार्टी कांग्रेस का नया चक्र शुरू हुआ. 19वीं कांग्रेस की सफलता की घोषणा करने के लिए सातवें अधिवेशन के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में कोविड-19 से निपटने के प्रयासों, हांगकांग विरोध आंदोलन, ताइवान के संदर्भ में ‘एक चीन’ के सिद्धांत, और चीन की भौगोलिक अखंडता की रक्षा को कुछ उपलब्धियों के रूप में गिनाया गया है.
उसी बैठक में, जिसे पार्टी की 20वीं कांग्रेस से पहले अंतिम बैठक माना गया, शी की भूमिका को ‘पार्टी के मूल आधार’ के तौर पर मान्य किया गया.
यह नीरस, निरर्थक विवरण माना जा सकता है. लेकिन शी को ‘पार्टी का मूल आधार’ का दर्जा दिया जाना चीन की नियति को अपने मुताबिक स्वरूप देने में उनकी भूमिका की पुष्टि करता है.
पार्टी की 20वीं कांग्रेस के प्रवक्ता सन येली ने पत्रकारों को नियामक संविधान में संशोधनों के बारे में बताया, शी के विचारों को चीनी संविधान में शामिल करेगा.
अब तक, हमें उसके बारे में कम ही मालूम हुआ है. उस प्रेस सम्मेलन में सन ने संकेत दिया कि चीन की कोविड नीति कायम रहेगी. जैसी कि उम्मीद थी पार्टी कांग्रेस चीन की सोशल मीडिया में ‘टॉप ट्रेंडिंग’ खबर बन गई.
‘पार्टी की 20वीं कांग्रेस की अधिकृत प्रेस विज्ञप्ति’ चीन की माइक्रोब्लॉगिंग साइट वेबो पर ‘नंबर वन ट्रेंड’ बन गई.
इसे 5.6 करोड़ बार देखा गया और यह संख्या बढ़ती जा रही है. हैशटैग ‘पार्टी की 20वीं कांग्रेस ’ को प्लेटफॉर्म 1.5 अरब बार देखा गया.
विशेषज्ञ लोग शी के भाषण की व्याख्या करने में जुट गए हैं. यूरेशिया ग्रुप के चीन विशेषज्ञ नील थॉमस ने ‘ब्लूमबर्ग’ से कहा कि ‘शी ने रिपोर्ट के ढांचे में इसके पिछले संस्करणों की तुलना में काफी उल्लेखनीय परिवर्तन कर दिया.
इसमें विज्ञान और शिक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और कानूनी व्यवस्था के बारे में नये खंड शामिल किए गए हैं जबकि पहले इन्हें रिपोर्ट के दूसरे हिस्सों में शामिल किया जाता था.
इन नये खंडों का अर्थ है कि उन्हें और ज्यादा प्राथमिकता दी जाने वाली है.’ दूसरे विशेषज्ञों का मानना है कि शी मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अमेरिका की वर्चस्ववादी भूमिका को चुनौती देने की बढ़-चढ़कर कोशिश कर रह हैं.
सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी के ली क्वान येव स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड वू ने ‘ब्लूमबर्ग’ से कहा कि “उनके भाषण से स्पष्ट है कि वे दुनिया के नंबर दो देश के नेता हैं और विश्व व्यवस्था को बदलना चाहते हैं.
इसलिए अमेरिका के साथ चीन की टक्कर और तेज होने वाली है. इस तनाव में कमी आने की कोई संभावना मुझे नहीं नज़र आती.”
पार्टी कांग्रेस से तीन दिन पहले, बीजिंग के हाइडियन जिले में सितोंग पुल पर अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन उभरा, जो एक सनसनी बन गई. पुल से लटकाए गए एक पोस्टर में कहा गया था— ‘आजीविका चाहिए, परमाणु परीक्षण नहीं! आज़ादी चाहिए, लॉकडाउन नहीं! इज्जत चाहिए, झूठ नहीं! सुधार चाहिए, सांस्कृतिक क्रांति नहीं! चुनाव चाहिए, सुप्रीम नेता नहीं! नागरिक चाहिए, गुलाम नहीं!’ इस विरोध प्रदर्शन को ‘सितोंग विरोध’ नाम दिया गया है, उस पुल के नाम पर जहां यह बैनर पहले लगाया गया था.
हैशटैग ‘सितोंगक्वियाओ’ ट्विटर पर लोकप्रिय हुआ. इस विरोध प्रदर्शन के जिक्र को वेबो और वीचैट समेत सभी चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने जबरदस्त सेंसर किया.
इस प्रदर्शन की फोटो और वीडियो में दिखाया गया है कि पोस्टर लगाने वाले आंदोलनकारी को स्थानीय पुलिस गिरफ्तार करके ले गई.
बताया जाता है कि बैनर लगाने वाला पेंग जाइझौ था, जो उसका असली नाम नहीं है बल्कि वह व्यापक असंतोष के प्रतीक का नाम है.
पेंग जाइझौ को पेंग लाइफा भी कहा जाता है. कुछ लोग कहते हैं कि पेंग लाइफा का एक ट्विटर एकाउंट भी है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि वह उसका ही एकाउंट है.
आंदोलनकारी को चीन के बाहर ‘हीरो’ माना जा रहा है और सोशल मीडिया पर उसका काफी समर्थन किया जा रहा है. विदेश में पढ़ रहे चीनी छात्रों ने आंदोलनकारियों के प्रति समर्थन जताने के लिए ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि में यूनिवर्सिटी कैंपसों में इस बैनर को लगाया है.
पार्टी कांग्रेस से पहले चीनी सरकारी मीडिया ने लोगों को यह याद दिलाने की मुहिम छेड़ दी थी कि पिछले पांच वर्षों में क्या कुछ घटा है.
उसने गलवान में जून में पीएलए कमांडर क़ी फाबाओ के नेतृत्व में टकराव की भावनात्मक याद दिलाने के लिए वीडियो जारी किया.
भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की टक्कर का यह वीडियो पहले भी प्रसारित किया जा चुका है. इस वीडियो में क़ी को रोते हुए यह कहते देखा जा सकता है— “हम अपनी मातृभूमि को छोटा नहीं होने दे सकते और उसकी जमीन को गंवा नहीं सकते.
ऊंची जगह, कम तापमान, हाइपोक्सिया, तेज विकिरण… अग्रिम मोर्चे का वातावरण बेहद कठोर है. हुड लगाकर, सूती कपड़ों और सूती पैंट पहनकर रहना.
दो-दो रजाइयों के बावजूद रातभर ठंड से कांपते हुए सोना. हम अपनी सीमाओं की इसी तरह रक्षा कर रहे हैं.”
इसी वीडियो में भारतीय सेना को चीनी सरकारी मीडिया ने विदेशी सेना नाम दिया है. सरकारी ‘चाइना सेंट्रल टेलीविज़न’ के इस वीडियो में पीछे से यह कमेंट्री चल रही थी— “विदेशी सेना ने समझौते का उल्लंघन करते हुए सीमा पार अपने तंबू लगाए.
क़ी फाबाओ ने वार्ता की टीम का नेतृत्व किया लेकिन दूसरी पार्टी ने उन पर हमला कर दिया. उन्हें अपने सैनिकों से कई गुना ज्यादा विदेशी सैनिकों का सामना करना पड़ा.
लेकिन उन्होंने निर्भीकता और साहस दिखाया. उनके सामने बंधक बनने का खतरा था, और पीछे मातृभूमि थी. क़ी फाबाओ और उनके साथियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर मातृभूमि की रक्षा की.”
इसी पीएलए कमांडर क़ी फाबाओ को पार्टी की 20वीं कांग्रेस में एक प्रतिनिधि के तौर पर शामिल किया गया. ‘चाइनस्कोप’ बता चुका है कि लद्दाख में तैनात चीनी सेना के एक प्रमुख डिवीजन ‘रेड आर्मी डिवीजन’ से नौ प्रतिनिधियों को भी इस कॉंग्रेस में शामिल किया गया.
इस बीच, ताइवान सेना ने पीएलए द्वारा उसकी सीमा के अतिक्रमण की शर्तों को और कड़ा किया है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पीएलए के ड्रोनों द्वारा घुसपैठ को ‘पहला हमला’ माना जाएगा.
मुख्य भूमि से भेजे जाने वाले फौजी ड्रोन ताइपे में निरंतर घुसपैठ करते रहे हैं. ताजा घोषणा में कहा गया है कि मुख्य भूमि के सामने सीमा पर तैनात ताईवानी सैनिकों को यह फैसला करने का अधिकार दे दिया गया है कि पीएलए के ड्रोन की घुसपैठ का वे क्या जवाब देंगे.
‘फोकस ताइवान’ ने जनरल स्टाफ ऑपरेशन्स ऐंड प्लानिंग ऑफिस के डिप्टी चीफ मेजर जनरल लिन वेन-हुआंग के हवाले से कहा कि, ‘घुसपैठ करने वाले विमान को सैनिक पहले इत्तिला करेंगे, फिर चेतावनी देंगे और तब ड्रोन की जामिंग गन से दूर भगाने की कोशिश करेंगे या हल्के हथियार से मार गिराएंगे.’
ताइवानी सेना ने हाल में ड्रोन मारक गन का प्रदर्शन किया जिनका इस्तेमाल घुसपैठ करने वाले चीनी ड्रोनों के खिलाफ किया जाएगा.
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वर्ल्ड न्यूड में चीन
अंतर्राष्ट्रीय खबरों में चीन को सेमीकंडक्टर तकनीक हासिल करने से रोकने के लिए अमेरिका ने जो चीन केंद्रित मुहिम चलाई वह कुछ हद तक सफल हुई है.
फिर भी, राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन अपनी कंपनियों के साथ चीन के व्यापारिक संपर्कों को लेकर सावधान हो गया है.
पता चला है कि बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी बिजनेस एक्सक्यूटिव्स से बात की है और सैन्य तकनीक में चीन के आक्रामक विकास का जवाब देने की अपनी योजना साझा की है.
अमेरिका ने चीन को सेमीकंडक्टर तकनीक हासिल करने से रोकने के लिए अपने मित्र देशों डेनमार्क, जापान, दक्षिण कोरिया, इजरायल, और ब्रिटेन से भी समर्थन मांगा है.
लेकिन सामूहिक कार्रवाई पर मित्र देशों की आम सहमति हासिल करने में विफल रहने के बाद बाइडन शासन ने चीन को सेमीकंडक्टर तकनीक हासिल करने से रोकने के लिए व्यापक स्पेक्ट्रम में ठोस बाड़ बनाने और चीन केंद्रित नीतिगत कार्रवाई करने का फैसला किया है.
चीनी चिप फ़र्मों पर लगाई गई नयी पाबंदियों का असर चीनी कंपनियों में काम कर रहे अमेरिकी कर्मचारियों पर पड़ेगा. चीनी सेमीकंडक्टर कंपनियों के खिलाफ अपनी ताजा कार्रवाई के बारे में अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने कहा है कि यह ‘चीन में सेमीकंडक्टर निर्माण कंपनियों में बिना लाइसेंस के ‘इंटीग्रेटेड सर्किट्स’ (आइसी) के विकास या उत्पादन में मदद करने से अमेरिकी व्यक्तियों को रोकती है.”
चीनी चिप फ़र्मों ने अमेरिका की इस कार्रवाई के असर को रोकने के लिए अपनी अनुसंधान तथा विकास परियोजनाओं से अमेरिकी कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया है.
‘सी-लेवेल’ के ये कई कर्मचारी ऐसे अमेरिकी नागरिक हैं जो चीन में पैदा हुए लेकिन अमेरिका में पढ़ाई की और चीनी चिप उद्योग में काम कर रहे हैं.
बर्लिन में बनी नयी सरकार ने जब यह संकेत दिया कि वह पिछली सरकार से अलग रास्ता पकड़ेगी, तो जर्मन
चांसलर ओलाफ़ स्कोल्ज़ उस वादे से पलट सकते हैं. उन्होंने कहा है कि जर्मनी को “चीन के साथ व्यापार जरूर
जारी रखना चाहिए.”
वे अगले महीने, 3-4 नवंबर को बीजिंग की यात्रा करने को तैयार हैं. जर्मनी का व्यावसायिक समुदाय उन पर चीन के लिए अपने दरवाजे खोलने का दबाव दे रहा है.
बड़े जर्मन व्यवसायी अपनी सरकार पर दबाव डाला कि वह निवेश की जांच की प्रस्तावित योजना को रद्द करे. वित्त मंत्री रॉबर्ट हेबेक के साथ हुई बैठक में रासायनिक कंपनी बीएएसएफ, डूशे बैंक, उद्योग समूह सीमेंस जैसे विशाल कंपनियों ने भी भाग लिया.
हमें अभी मालूम नहीं है कि जर्मनी ने निवेश जांच योजना को रद्द किया या नहीं, लेकिन शोल्ज़ की चीन यात्रा का अर्थ यही समझ में आता है कि जर्मनी अभी अपने दरवाजे बंद करने के लिए तैयार नहीं है.
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(लेखक स्तंभकार और फ्रीलांस पत्रकार हैं, फिलहाल लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल ऐंड अफ्रीकन स्टडीज (एसआऐएस), से चीन पर फोकस वाली अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वे पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन के मीडिया पत्रकार थे. उनका ट्विटर हैंडल @aadilbrar है. व्यक्त विचार निजी हैं.)
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