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Wednesday, 20 November, 2024
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‘चुनावी पोस्टर में नदारद हैं चौटाला’, क्या हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन में टूट का संकेत है

जजपा की शिकायतों के बाद अब कुछ ऐसे पोस्टर सामने आए हैं जिनमें दुष्यंत की तस्वीर भाजपा नेताओं के साथ लगी हुई है.

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नई दिल्ली: हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी-जननायक जनता पार्टी (बीजेपी-जेजेपी) गठबंधन में कुछ दरारें सामने आयी है. इसकी ताजातरीन वजह आगामी आदमपुर विधानसभा उपचुनाव है, जहां जेजेपी नेताओं ने प्रचार के लिए लगाए गए पोस्टरों से अपनी पार्टी को स्पष्ट रूप से हटाए जाने की शिकायत की है. इतना ही नहीं, 2024 के हरियाणा चुनावों के लिए तैयार किये जा रहे भाजपा के सोशल मीडिया अभियान में भी जेजेपी का कहीं कोई जिक्र नहीं है.

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और जेजेपी के अन्य नेताओं की घबराहट में और बढ़ोत्तरी करने वाले कारकों में उनकी पार्टी के नेताओं का तोड़ा जाना और भाजपा नेताओं एवं निर्दलीय विधायकों के बीच हुई एक बंद दरवाजे वाली बैठक शामिल है.

जहां तक 3 नवंबर को होने वाले आदमपुर उपचुनाव की बात है तो जजपा के नाराज होने की एक से अधिक वजहें हैं. एक वजह तो प्रचार सामग्री से जेजेपी का पूरी तरह से गायब होना है और दूसरी वजह यह कि भाजपा भव्य बिश्नोई को मैदान में उतार रही है, जो कुलदीप बिश्नोई के बेटे हैं. आदमपुर उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि कुलदीप इस साल अगस्त में कांग्रेस पार्टी की छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे.

आदमपुर हिसार जिले में पड़ता है जो हरियाणा के तीन प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों – भजन लाल, देवी लाल और बंसी लाल के परिवारों – का शक्ति केंद्र है. बिश्नोई भजनलाल के वंशज हैं और चौटाला देवीलाल के.

भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने साल 2011 के हिसार लोकसभा उपचुनाव में अजय चौटाला को हराया था, जो देवी लाल के पोते और दुष्यंत चौटाला के पिता हैं. दुष्यंत ने 2014 के आम चुनाव में बिश्नोई को हराकर अपने पिता की हार का बदला ले लिया था.

जजपा के लिए एक और शिकायत की बात यह है कि साल 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए पिछले हफ्ते भाजपा आईटी सेल द्वारा शुरू किए गए सोशल मीडिया अभियान से इसे बाहर रखा गया है.

इनमें से एक पोस्टर में लिखा है, ‘हरियाणा ने ठाना सै, तीसरी बार मनोहर ल्याणा सै (हरियाणा ने मनोहर को तीसरी बार सत्ता में लाने की ठान ली है).’

अन्य पोस्टरों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तस्वीरें हैं, जिनकी टैगलाइन है ‘मनोहर म्हारा हरियाणा (हमारा हरियाणा मनभावन है)’, और जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री ही भाजपा के चुनाव अभियान का प्रमुख चेहरा होंगे.

जजपा महासचिव दिग्विजय चौटाला, जो उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई हैं, ने उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह और पार्टी नेताओं की तस्वीरों को प्रचार सामग्री में बाहर रखे जाने पर आपत्ति जताई, खासकर तब जब दोनों पार्टियां हरियाणा के सत्तारूढ़ गठबंधन में भागीदार है.

दिग्विजय ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह देखने में आश्चर्यजनक लगता है कि हम साथ मिलकर गठबंधन सरकार चला रहे हैं, लेकिन प्रचार सामग्री में गठबंधन सहयोगी की कोई तस्वीर ही नहीं है.’

90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भाजपा 40 विधायकों के साथ वरिष्ठ सत्तारूढ़ सहयोगी है, जबकि जजपा के पास 10 विधायक हैं. बाकी दलों में कांग्रेस (31), निर्दलीय (7), इंडियन नेशनल लोक दल (1) और हरियाणा लोकहित पार्टी (1) हैं.

Poster released by BJP's IT cell in Haryana | Pic courtesy: BJP social media
हरियाणा में बीजेपी के आईटी सेल द्वारा रिलीज किया गया पोस्टर । फोटोः स्पेशल अरेंजमेंट

जजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपकमल सहारन ने दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा में हुए पिछले दो उपचुनावों में चौटाला परिवार और पार्टी के झंडे की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘बड़ोदा [विधानसभा क्षेत्र] में, जहां पहलवान योगेश्वर दत्त साल 2020 में कांग्रेस के उम्मीदवार से हार गए थे, दुष्यंत ने भाजपा के लिए प्रचार किया था. ऐलनाबाद उपचुनाव [2021 में] में भी दुष्यंत चौटाला ने भाजपा के लिए प्रचार किया था… लेकिन इस [आदमपुर] उपचुनाव के लिए अब तक ऐसा कोई समन्वय नहीं है. कुलदीप बिश्नोई ने भी हमारा समर्थन नहीं मांगा है.’

जजपा की शिकायतों के बाद अब कुछ ऐसे पोस्टर सामने आए हैं जिनमें दुष्यंत की तस्वीर भाजपा नेताओं के साथ लगी हुई है.

गठबंधन में उपजे मतभेदों की अटकलों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री मनोहजजपा की शिकायतों के बाद अब कुछ ऐसे पोस्टर सामने आए हैं जिनमें दुष्यंत की तस्वीर भाजपा नेताओं के साथ लगी हुई है.र लाल खट्टर ने सोमवार को कहा कि भले ही प्रचार सामग्री स्थानीय नेताओं ने प्रकाशित की हो, लेकिन आदमपुर में भाजपा और जजपा एकजुट होकर लड़ रहे हैं.


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नेताओं के ‘तोड़ने’ को लेकर सतर्क है जेजेपी

प्रचार के दौरान दिखाई देने वाली छवि ही जजपा हलकों में आक्रोश का एकमात्र कारण नहीं है. 16 सितंबर को, भाजपा ने दुष्यंत के विशेष सचिव महेश चौहान को 150 से अधिक जजपा कार्यकर्ताओं और जिला कार्य समिति के सदस्यों के साथ अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था.

चौहान 20 से भी अधिक वर्षों से चौटाल परिवार से जुड़े थे और रोहतक  – जो कांग्रेस के दिग्गज नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गृह क्षेत्र है –  सहित कुछ जिलों के प्रभारी भी थे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं जजपा का संस्थापक सदस्य जरूर था, लेकिन मैं राष्ट्रीय दलों के लिए काम करने को तैयार था और प्रधान मंत्री मोदी से प्रभावित था. इसलिए, मैंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. ‘

जजपा के लिए चिंता की एक और बात यह है कि भाजपा के राज्य प्रभारी बिप्लब कुमार देब ने हाल ही में उन छह निर्दलीय विधायकों के साथ बैठक की, जो खट्टर सरकार का समर्थन करते हैं, और जहां उन विधायकों ने कथित तौर पर चौटाला के साथ गठबंधन समाप्त करने का सुझाव दिया था.

हरियाणा भाजपा ने एक ट्वीट में कहा था कि देब ने राज्य विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की मौजूदगी में निर्दलीय विधायकों से मुलाकात की थी.

इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को यह कहने के लिए मीडिया के सामने आना पड़ा कि जजपा के साथ उनका गठबंधन ‘ठोस’ है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दिग्विजय ने निर्दलीय विधायकों द्वारा कथित तौर पर दिए गए ‘सुझाव’ पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.

जजपा के एक अंदरूनी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘दुष्यंत भाजपा की मंशा को लेकर सतर्क हैं. हाल ही में, उन्होंने नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा को खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष के पद से हटवा दिया क्योंकि वह भाजपा का राग अलाप रहे थे और खट्टर की प्रशंसा कर रहे थे.’

इस अंदरूनी सूत्र ने कहा, ‘हम जानते हैं कि किस तरह से भाजपा ने अन्य राज्यों में अपने सहयोगियों का साथ छोड़ दिया और गठबंधनों को तोड़ दिया. इसलिए, हम सावधान हैं. गठबंधन में कम-से-कम एक-दूसरे के विधायकों और नेताओं को न तोड़ने जितनी मर्यादा तो होनी चाहिए. निर्दलीय विधायक दुष्यंत से मिलने पर उनकी प्रशंसा तो करते हैं, मगर भाजपा नेतृत्व के सामने अलग ही राग अलापने लगते हैं.’

पहले के घटनाक्रमों ने भी जजपा में भाजपा के मंसूबों को लेकर संदेह पैदा किया है. जून में हुए हरियाणा निकाय चुनावों में, भाजपा ने पहले अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन बाद में पलटी मारते हुए जजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया.

अब हरियाणा पंचायत चुनाव में जजपा और भाजपा के आमने-सामने चुनाव लड़ने की संभावना है, क्योंकि भाजपा ने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर पंच, सरपंच और ब्लॉक समितियों के सदस्य का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया गया है. पंच और सरपंच के पदों हेतु मतदान 2 नवंबर को होगा, जबकि ब्लॉक समिति और जिला परिषद के सदस्यों लिए 30 अक्टूबर को मतदान होगा.

पिछले महीने, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हरियाणा का दौरा किया था और राज्य नेतृत्व से गठबंधन सहयोगियों के बीच के मतभेदों को दूर करने के लिए एक समन्वय समिति बनाने को कहा. हालांकि, इस समिति का गठन होना अभी बाकी है.

गठबंधन सहयोगियों के बीच के टकराव के बारे में पूछे जाने पर, भाजपा के राज्य महासचिव वेदपाल ने कहा कि कोई कड़वाहट नहीं है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सभी दलों की अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाएं होती हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हर पार्टी को अपने आधार को बढ़ाने का अधिकार है. हमारे रिश्ते में ऐसी कोई कड़वाहट नहीं है. … दुष्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुख्यमंत्री के साथ नियमित रूप से बातचीत करते हैं.’

हालांकि, निजी बातचीत में एक भाजपा नेता ने स्वीकार किया कि जब 2020-21 का किसान आंदोलन अपने चरम पर था, तब जजपा का समर्थन महत्वपूर्ण था, लेकिन अब चीजें अलग हैं. जजपा मुख्य रूप से जाट किसानों की पार्टी है, जिसका मुख्य मतदाता आधार हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में है.

एक भाजपा नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘भाजपा ने एक जाट नेता [जगदीप धनखड़] को उप राष्ट्रपति और दूसरे [भूपेंद्र सिंह चौधरी] को उत्तर प्रदेश भाजपा प्रमुख के रूप नियुक्त करने सहित में इस समुदाय के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं. यह [गठबंधन में लड़ने या अकेले जाने के लिए] निर्णय लेने का समय है.‘

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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