नई दिल्ली: भले ही कांग्रेस अध्यक्ष पद पर उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही हो लेकिन आखिरी समय में मैदान में उतरने वाले 80 वर्षीय उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी तरफ से कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
खड़गे ने अध्यक्ष पद चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद राज्यसभा में नेता विपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था, और अब इस उद्देश्य के साथ देशभर की यात्रा कर रहे हैं कि अधिक से अधिक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) प्रतिनिधियों से मिल सकें और उन तक अपना संदेश—‘मैं नहीं हम’—पहुंचा सकें.
उन्होंने अब तक 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करते हुए 12 बैठकें की हैं. और पांच अन्य की तैयारी है. इसमें बेल्लारी में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा बनना भी शामिल है.
मंगलवार को खड़गे ने दो राज्यों में बैठकें की—बिहार के पटना में और उत्तर प्रदेश के लखनऊ में.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के बहुत ज्यादा उदाहरण सामने नहीं हैं. पार्टी के 137 साल के इतिहास में यह केवल पांचवां मौका है जब इस तरह चुनाव हो रहा है, और आम सहमति की परंपरा उन प्रमुख संदेशों में से एक है जिन्हें खड़गे और उनकी टीम देने की कोशिश कर रही है.
दिल्ली में 20-25 लोगों की तरफ से चलाया जा रहा एक कंट्रोल रूम उन 9,850 पीसीसी प्रतिनिधियों में से प्रत्येक से संपर्क साध रहा है, जो 17 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मतदान करेंगे. और उन्हें इस उम्मीदवार के बारे में बता रहा है जो ‘संतुलित, भरोसेमंद और लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ा रहा है. उन्हें राज्यसभा और लोकसभा दोनों में नेता विपक्ष के तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबले का अच्छा-खास अनुभव भी है.
खड़गे की अब तक की बैठकों में मौजूद रहे सूत्रों के मुताबिक, वह इस बारे में बात करते हैं कि कैसे वे तो यही चाहते थे कि गांधी परिवार में से ही कोई चुनाव लड़े, लेकिन दोस्तों और सहयोगियों ने उनसे खुद मैदान में उतरने का आग्रह किया. और यहां तक कि उन्होंने पार्टी की सेवा के लिए नेता विपक्ष का पद भी छोड़ दिया.
भले ही सोशल मीडिया पर खड़गे की चार्टर्ड फ्लाइट वाली तस्वीरों की भरमार हो, लेकिन कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अब तक केवल दो बार इन सेवाओं का सहारा लिया है, आम तौर पर वह कॉमर्शियल फ्लाइट का ही विकल्प चुन रहे हैं.
खड़गे के अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह केवल तभी होता है जब वह समय पर कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुंच पा रहे होते हैं. तभी चार्टर्ड उड़ानें लेते हैं और अब तक केवल दो बार ऐसा मौका आया है. उन्होंने गुजरात, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और दिल्ली में 10 बैठकें की हैं. वह आज (मंगलवार को) उत्तर प्रदेश और बिहार में दो और बैठकें कर रहे हैं. महाराष्ट्र में दो बैठकें हुईं और सभी पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक बैठक हुई.’
उन्होंने बताया, ‘वह आने वाले दिनों में ऐसी पांच और बैठकों में हिस्सा लेंगे और संभवत: 15 अक्टूबर को भारत जोड़ा यात्रा के बेल्लारी चरण में शामिल होंगे. चुनाव से पहले कम से कम 90 फीसदी राज्यों को कवर करने की योजना है.
उक्त नेता ने आगे बताया कि खड़गे के अभियान के पांच से छह सदस्यों वाली एक अभियान समिति की तरफ से कोऑर्डिनेट किया जा रहा है, इसमें एक सोशल मीडिया टीम और एक मीडिया प्रबंधन टीम भी शामिल है.
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‘मैं नहीं, हम’
वे जिन राज्यों की यात्रा कर रहे हैं, वहां प्रदेश कांग्रेस कमेटियों की तरफ से उन्हें हर तरह की मदद मुहैया कराई जा रही है. खड़गे के ‘मित्रों का समूह’ प्रतिनिधियों के साथ उनकी बैठक के इंतजाम कर रहा है. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि उपस्थिति 100 प्रतिशत नहीं है.
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘आप किसी को भी इसमें शामिल होने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, लेकिन हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं क्योंकि कांग्रेस की परंपरा आम सहमति की रही है.’ अभियान से जुड़े एक कांग्रेस नेता ने कहा, ‘दूसरे उम्मीदवार के विपरीत वह किसी बैठक में कभी ये नहीं कहते कि मैं यह करूंगा, वो करूंगा. वह हमेशा यही कहते हैं कि ‘हम साथ मिलकर’ भाजपा-आरएसएस से लड़ेंगे और आज जरूरत यही है कि इस कठिन समय में ‘सब हाथ मिलाकर’ पार्टी को आगे बढ़ाएं.’
खड़गे के अभियान के तहत थरूर खेमे पर भी पूरी नजर रखी जा रही है, और वरिष्ठ नेताओं ने स्वीकारा कि थरूर काफी ज्यादा ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं.
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘पार्टी का एक वर्ग सोचता है कि वह दरअसल इस प्रतिस्पर्द्धा के साथ अपना एक प्रोफ़ाइल बना रहे हैं. लेकिन हमारा फायदा यह है कि वह अक्सर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बजाये बड़े पैमाने पर लोगों से बात करते दिखते हैं, हमारे पास कोई (खड़गे) है जो जनता की भाषा बोलता है, 55 साल से राजनीति में है और हर हाल में कांग्रेस से जुड़ा रहा है. उनकी दूरदर्शिता, उनका खुलापन और सभी को साथ लेकर चलने की उनकी क्षमता ही उन्हें आगे बढ़ाएगी.’
उन्होंने उस बात का भी हवाला दिया जो वरिष्ठ पार्टी नेता जनार्दन द्विवेदी ने सप्ताहांत में दिल्ली में एक बैठक के दौरान पीसीसी प्रतिनिधियों से कही थी—’अगर आप कश्मीर से कन्याकुमारी तक कांग्रेस की आत्मा को तलाशें और उसे एक सांचे में ढालें, तो वह मल्लिकार्जुन खड़गे है.’
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