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Wednesday, 18 December, 2024
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सुपरएजर्स: कुछ बुजुर्गों की याददाश्त असाधारण होती है और वे अल्जाइमर से बचने में सक्षम होते हैं, हुआ खुलासा

अध्ययन जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ है. इसमें बताया गया है कि सुपरएजर्स में शुरुआती चरण के अल्जाइमर पीड़ितों और 20 से 30 साल छोटे व्यक्तियों की तुलना में बड़े न्यूरॉन्स होते हैं.

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बेंगलुरू: बुढ़ापे के साथ याददाश्त धीरे-धीर कमजोर होना एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन एक अध्ययन में पाया गया है कि कुछ वरिष्ठ नागरिकों, 80 वर्ष से अधिक आयु वालों, में अपने से कम से कम 20-30 वर्ष छोटे व्यक्तियों की तुलना में असाधारण स्मृति होती है.

अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन उसके सुपरएजिंग रिसर्च प्रोग्राम का हिस्सा है और 30 सितंबर को द जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या ऐसे ‘सुपरएजर्स’ के दिमाग में अल्पकालिक को दीर्घकालिक स्मृति में परिवर्तित करने वाले क्षेत्र, जिसे एंटोरहिनल कॉर्टेक्स (ईआरसी) कहा जाता है, उसमें कोई अंतर होता है.

टीम ने पाया कि कॉग्निटिवली-एवरेज पियर या ‘सामान्य बुजुर्गों’ की तुलना में सुपरएजर्स में न्यूरॉन्स काफी बड़े थे, जो बुढ़ापे में याददाश्त बढ़ाने में योगदान करते थे. इन न्यूरॉन्स का आकार शुरुआती चरण के अल्जाइमर पीड़ितों और 20 से 30 साल छोटे व्यक्तियों की तुलना में काफी बड़ा था. इन न्यूरॉन्स में न्यूरोफाइब्रिलरी टैंगल्स के रूप में एक प्रोटीन, टाऊ के जमा होने के लक्षण नहीं दिखे, जो आमतौर पर अल्जाइमर का कारण बनता है.

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फीनबर्ग स्कूल में मनोचिकित्सा और व्यवहार विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रमुख लेखक तामार गेफेन ने यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी बयान में कहा, ‘यह उल्लेखनीय अध्ययन दर्शाता है कि सुपरएजर्स में अपनी उम्र से छोटे लोगों की तुलना में बड़े न्यूरॉन्स होते हैं, इसका मतलब यह हो सकता है कि बड़ी कोशिकाएं जन्म के समय से ही मौजूद थीं और पूरे जीवनकाल में इनका संरचनात्मक ढंग से विकास होता रहा.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा निष्कर्ष है कि बड़े न्यूरॉन्स सुपरएजिंग की दिशा में एक बायोलॉजिकल सिग्नेचर हैं.’

इस निष्कर्ष ने अल्जाइमर होने की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की है और यह भी बताता है कि क्यों कुछ लोगों में दूसरों की तुलना में इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना क्यों रहती है.


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कैसे किया गया अध्ययन

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने छह सुपरएजर्स, सात तुलनीय उम्र के सामान्य बुजुर्गों, छह छोटी उम्र के लोगों, और पांच अल्जाइमर के शुरुआती पीड़ितों के दिमाग का पोस्टमार्टम किया.

निष्कर्ष बताते हैं कि स्ट्रक्चरल इंटीग्रिटी बनाए रखने वाले बड़े न्यूरॉन्स टाऊ टैंगल फॉर्मेशन या टाऊ प्रोटीन के संचय से बचे रहे. इसके विपरीत उन्होंने यह भी पाया कि टाऊ टैंगल्स न्यूरॉन्स सिकुड़न का कारण बनते हैं.

गेफेन ने अपने बयान में कहा, ‘हमें लगता है कि यह प्रक्रिया प्रभावित कोशिकाओं में टाऊ टैंगल फॉर्मेशन का एक फंक्शन है जिससे वृद्धावस्था में स्मृति क्षमता कमजोर होती है.’

उन्होंने कहा, ‘इसे बढ़ाने वाले फैक्टर (और प्रत्येक कारक) की पहचान करना अल्जाइमर की प्रारंभिक पहचान, इसके बढ़ने पर नजर रखने और इलाज की दिशा सुझाने में महत्वपूर्ण है.’

शोधकर्ताओं ने एंटोरहिनल कॉर्टेक्स की जांच का फैसला किया क्योंकि पहले के अनुसंधान बताते हैं कि यह अल्जाइमर के लिहाज से मस्तिष्क के अतिसंवेदनशील होने के पहले हिस्सों में से एक है, और यह याददाश्त मजबूत करने में भी मदद करता है.

मस्तिष्क के इस हिस्से में न्यूरॉन्स की छह परतें होती हैं जो एक के ऊपर एक होती हैं. ऊपर से दूसरी परत अन्य मेमोरी सेंटर्स से सूचना लेती है, और मस्तिष्क के मेमोरी प्रोसेसिंग नेटवर्क में एक सेंट्रल हब बनाती है. यही मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो सुपरएजर्स के मामले में औसत न्यूरॉन्स से बड़ा दिखाता है, जिसमें कोई टाऊ टैंगल्स नहीं पाया गया.

कुछ लोगों के दिमाग को टाऊ टैंगल्स प्रतिरोधी बनाने वाले और ईआरसी की दूसरी परत में संरचनात्मक रूप से बड़े न्यूरॉन्स पाए जाने के कारण अभी ज्ञात नहीं हैं और इसकी आगे जांच की जा रही है. नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के बयान के मुताबिक, पांच जगहों पर भर्ती के साथ 20 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम के माध्यम से इस अध्ययन को विस्तारित किए जाने की संभावना है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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