आरक्षण पर प्रगतिशील से लेकर पोंगापंथी तक भद्दा-भद्दा मज़ाक करते थे, अलबेले चुटकुले बनाते थे. मगर सवर्ण आरक्षण पर मौजूदा फ़ैसले के बाद मेरिट का सोहर गाना बंद हो चुका है. अब आरक्षण भीख या खैरात की जगह दक्षिणा और ब्रह्मा जी के वरदान का रूप ले चुका है.
बहरहाल जो लोग बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रामनरेश यादव और भारत सरकार के उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम पर फब्तियां कसते थे, उन्हें मां-बहन-बेटी-बहू की गालियां देते नहीं थकते थे, वो सब आज मौनव्रत धारण किए हुए हैं. कर्पूरी ठाकुर ने सबसे पहले बिहार में पिछड़ों के लिए आरक्षण लागू किया था. उन्हें दी गई प्रमुख गालियां कुछ इस प्रकार हैं-
‘ये आरक्षण कहां से आई
कर्पूरिया की माई बियाई.
MA-BA पास करेंगे
कर्पूरिया को %$#& करेंगे.
कर कर्पूरी कर पूरा
छोड़ गद्दी धर उस्तूरा.
दिल्ली से चमड़ा भेजा संदेश
कर्पूरी बार (केश) बनावे
भैंस चरावे रामनरेश (यादव)’.
आरक्षण को लेकर सवर्णों की छिछली रचनात्मकता रह-रह कर छलकती रही है. मिसाल के तौर पर नीचे कुछ चुटकुले, व्यंग्य व वक्रोक्ति रख रहा हूँ, जिन पर गौर फरमाया जाए. इन चुटकुलों में जाति घृणा कूट-कूट कर भरी है. हम पढ़ने वालों से अनुरोध करते हैं कि इन्हें पढ़ते हुए अपने विवेक का इस्तेमाल करे.:
1. ‘कुछ दिनों में विवाह हेतु भी स्कीम चलेगी!!
एससी – 3 पत्नी!!
एसटी –-2 पत्नी!!
ओबीसी- 1 पत्नी!!
जनरल- एक भी नहीं क्योंकि नौकरी नहीं तो छोकरी नही!!’
2. ‘परीक्षा का नया पैटर्न
जनरल – सभी सवालों के जवाब दें
ओबीसी- किसी एक सवाल का जवाब दें
एससी- सिर्फ सवालों को पढ़ दें
एसटी- परीक्षा देने के लिए आने का धन्यवाद. आप पास हैं’
3. ‘बारिश में भी आरक्षण होना चाहिए, जनरल के घर 9 इंच, ओबीसी के घर 18 इंच, एससी-एसटी के घर 36 इंच’
4. ‘थप्पड़ से डर नहीं लगता साहेब, आरक्षण वाले इंजीनियर से लगता है, क्या पता कब उसका बनाया पुल ढह जाए’
5. ‘हमें तो आरक्षण ने लूटा, परसेंटेज कहां कम था.
रोजगार भी मिला तो वहां, जहां वेतन कम था!’
6. ‘राम चन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा
सवर्ण चुगेगा दाना और दलित मोती खाएगा’.
7. ‘आरक्षण से बने डाक्टर ने खुद के बारे मे कहा…
हमारी शख्शियत का अंदाज़ा तुम क्या लगाओगे ग़ालिब,
जब गुज़रते है क़ब्रिस्तान से तो मुर्दे भी उठ के पूछ लेते हैं,
कि डॉक्टर साहब !! अब तो बता दो मुझे तकलीफ क्या थी!!’
8. ‘परीक्षा का नया पैटर्न
ओबीसी – बताएं कि बाहुबली फिल्म में एक्टर्स कौन हैं.
एससी- बाहुबली फिल्म क्या आपने देखी है?
एसटी- बाहुबली सिरीज की कितनी फिल्में आई हैं?
जनरल- कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?’
9. ‘भारत सरकार- हम अगले साल भारतीयों को चांद पर भेजेंगे
ओबामा- कितने लोग जाएंगे?
भारत सरकार -100, आरक्षण के हिसाब से 35 एससी, 30 एसटी, 20 ओबीसी, 10 हैंडिकैप्ड, 5 स्पोर्ट्स कोटा, 4 अल्पसंख्यक और हो सके तो
एक अंतरिक्षयात्री’
10. ‘आरक्षण मतलब घोड़ों को नहीं घास, गधे खा रहे च्यवनप्राश.’
11.’आरक्षण लेने वाले रामविलास पासवान अब क़ोटा वाले डाक्टर के पास ही इलाज कराएं, लंदन काहे जा रहे हैं!’
12. ‘ओबीसी खिलाड़ी यदि चौका लगाए, तो उसे छक्का माना जाना चाहिए, दलित खिलाड़ी द्वारा नोबॉल फेंके जाने पर भी कोई अतिरिक्त रन विपक्षी
टीम को नहीं मिलना चाहिए, आदिवासियों को दो बार आउट होने पर ही आउट करार दिया जाना चाहिए!’
13. ‘क़ामयाबी का दरवाज़ा क़ाबिल खटखटाता रहा
नाक़ाबिल आरक्षण की खिड़की से उसे पटाता रहा’.
14. ‘आरक्षण वालों पर कुछ तो रहम करो दोस्तो, बैसाखी अपाहिजों को ही मिलती है’.
15. ‘अगर जंगल में भी आरक्षण होता तो गधा जंगल का राजा होता और शेर उसका चपरासी’.
16. ‘आरक्षण मा मिली नौकरी कहिका कही अनारी, एकै पटरी पर जब छोरै दुइ दुइ रेल गाड़ी’
17. ‘हम सरकार से घोटालों में पिछडी जाति के लिए 33% आरक्षण की मांग करते हैं’.
18. ‘सिपाही: चल भाई फांसी का समय हो गया है.
क़ैदी: पर मुझे तो 20 दिन बाद होने वाली थी.
सिपाही: जेलर साहब कह के गए हैं कि आरक्षण वालों को पहले मौक़ा दो, इसलिए तुम्हारा नाम पहले’.
19. ‘क़ाबिल मत बनो, दलित बनो. क़ामयाबी झक मार कर पीछे आएगी.
-भारतीय संविधान’
20. ‘पढ़ाई-लिखाई के खर्चों से पिता को कर्ज़ा मार गया
80 % लेकर बेटा 40 % से हार गया.
#आरक्षण’
21. ‘बराबरी चाहिए? नहीं मिलेगी
क्योंकि भीख मांगने वालों को हम बराबरी का दर्ज़ा नहीं देते’.
22. ‘नया क़ानून आया है कि जिस गधे को गधा होने की वजह से अतिरिक्त छूट मिलती है, उस गधे को गधा कहना मना है’.
23. ‘अब रुपए को आरक्षण दिए जाने की ज़रूरत है ताकि वो डॉलर की बराबरी कर सके’.
24. ‘फौज में भर्ती होने में आरक्षण क्यों नहीं मांगते है. $%^# है?’
25. ‘इनको युद्ध में भी आरक्षण देना चाहिए. पहले SC-ST वाले लड़ेंगे फिर OBC, फिर जनरल वाले
यह एक छोटी सी लिस्ट है. ऐसे चुटकुले सैकड़ों हैं. इसके अलावा मेमे और पोस्टर भी बड़ी संख्या में सर्कुलेशन में हैं.
इस समाज में मनुवादी यथास्थिति बनाए रखने के प्रति इतनी गहरी लालसा है कि शोधार्थी दिनेश कुमार ठीक ही कहते हैं कि 10% मिलते ही सारा आरक्षण-विरोध हवा हो गया, कोई विरोध की आवाज़ नहीं! न आरक्षण अब बैसाखी रहा, न मेरिट का क़ातिल, न भीख, न सरकारी लूट, न पलिटिकल चाल, न बांटने की साजिश, न देश को कमजोर करने की साजिश, न आरक्षण वालों के हाथों अब पेशेंट मारे जाएंगे, न आरक्षण वाले इंजीनियर की वजह से कोई पुल गिरेगा, न आरक्षण की वजह से अब योग्य मेरिटधारियों को देश छोड़कर अमेरिका भागना पड़ेगा, न किसी मनुवादी टीचर को स्कूल में बच्चे जाति के हिसाब से बैठाकर पढ़ाने पड़ेंगे, न अब इनकम टैक्स देने वालों के पैसे को आरक्षण पर लुटाया जाएगा, न अब किसी डिपार्टमेंट की एफिशिएंसी पर फर्क पड़ेगा, न किसी की कार्यक्षमता आंकनी पड़ेगी, सब ठीक हो जाएगा.
जब आप ये कहते हैं कि किसी प्रतियोगी परीक्षा में आदिवासी को आमंत्रित कर उन्हें बस जलपान कराना चाहिए व उत्तीर्ण घोषित कर देना चाहिए, दलित को बस परीक्षा में बैठने मात्र से पास कर देना चाहिए, पिछड़ों के लिए दस में तीन प्रश्न के ही उत्तर देने अनिवार्य होने चाहिए व सामान्य वर्ग के लिए सभी दस प्रश्न अनिवार्य होने चाहिए; तो आप एक तरह से उन वर्गों को गाहे-बगाहे उकसा ही रहे होते हैं, वैमनस्य का विषवमन ही कर रहे होते हैं. आरक्षण तो बस संस्थान में प्रवेशमात्र के लिए है, आगे अपनी योग्यता, श्रम, जुनून व अध्यवसाय से ही उपाधि व ख्याति मिलती है.
लेकिन क्या सवर्ण जातियों के लोग 10% के कोटे के बाद भी ऐसे जातिवादी चुटकुले बना पाएंगे? अब वे खुद कोटा वाले हो गए हैं. उनकी जातियों का भी शिड्यूल बनेगा. वे भी अबसिड्डू होने वाले हैं. इसलिए दूसरों को सिड्डू कहना उन्हें बंद करना पड़ेगा.
आरक्षण पर लेटेस्ट जोक ये हैं –
1. ‘अब तक तो ‘आरक्षणवाले डाक्टर’ पेट में कैंची-तौलिया ही छोड़ते थे, अब ‘दीया, घंटा, धूपबत्ती, अगरबत्ती’ छोड़ेंगे.’
2. ‘चूंकि अब सवर्ण मेरिट वाले भारत में ही रह जाएंगे तो अमेरिका में नासा के उपग्रह अब नहीं उड़ पाएंगे.’
3.‘सवर्णों तुम्हें कामयाबी के लिए आरक्षण की क्या जरूरत थी. यज्ञ और हवन से कंपिटीसन जीत लेते!’
4. ‘मंदिर का दक्षिणा चाहिए जाति के आधार पर और आरक्षण चाहिए आर्थिक आधार पर?’
5. ‘सवर्ण आरक्षण से बने इंजीनियरों के बनाए गए पुल जब गिरेंगे तो मरने वाले सीधे स्वर्ग जाएंगे.’
(लेखक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मीडिया रिसर्च में पीएचडी कर रहे हैं)