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Friday, 22 November, 2024
होमदेशभगवान शिव, हनुमान और FIR- गुजरात का ब्रह्मो समाज आखिर स्वामीनारायण संप्रदाय से क्यों है नाराज

भगवान शिव, हनुमान और FIR- गुजरात का ब्रह्मो समाज आखिर स्वामीनारायण संप्रदाय से क्यों है नाराज

पिछले महीने बोस्टन में प्रबोध स्वामी नेता आनंद सागर स्वामी के सत्संग का एक वीडियो वायरल हुआ था. उसमें मौजूद एक विवादित बयान को लेकर ब्रह्म समाज ने उन पर भगवान शिव का अपमान करने का आरोप लगाया है.

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नई दिल्ली: गुजरात के स्वामीनारायण संप्रदाय के विभिन्न धड़ों के साधु और धर्मगुरु खुद को संकट में पा रहे हैं. भगवान शिव पर संप्रदाय के गुरू प्रबोध स्वामी के वर्चस्व को कथित रूप से स्थापित करने से लेकर ‘हनुमान कोई भगवान नहीं है’ जैसे हिंदू देवताओं के खिलाफ उनके कथित बयानों ने धार्मिक संगठन – ब्रह्मो समाज – को भी नाराज कर दिया किया है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

संगठन के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया कि गुजरात में ब्रह्म समाज ने ‘धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ के लिए पुलिस में कई शिकायतें दर्ज कराई हैं.

संगठन के एक अन्य नेता मिलन शुक्ला ने कहा कि ऐसे ही एक मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है.

शुक्ला ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे सामने ऐसे कई वीडियो आए हैं जहां स्वामीनारायण संप्रदाय के नेताओं ने अपने प्रवचन (उपदेश) के दौरान हिंदू देवताओं के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की है. हमने दो या तीन मामलों में लिखित शिकायत दी है और हमारे धरने पर बैठने के बाद उनमें से एक को एएफआईआर में बदल दिया गया.’

विचाराधीन प्राथमिकी प्रबोध स्वामी संप्रदाय के नेता आनंद सागर स्वामी के खिलाफ है. 9 सितंबर को पहली एफआईआर में उन पर ‘हिंदू धर्म और सनातन धर्म की भावनाओं को जानबूझकर आहत करने के लिए हिंदू भगवान शिव का अपमान करने वाली टिप्पणी करने’ का आरोप लगाया है.

संप्रदाय के नेता ने कहा, उनके जिन बयानों पर आपत्ति की जा रही है, वे कथित तौर पर पिछले महीने बोस्टन में एक सत्संग (प्रार्थना सभा) में की गई थीं. बैठक को संबोधित करते हुए आनंद सागर ने कथित तौर पर हिंदू भगवान शिव को इस तरह से पेश किया कि उनके ‘धर्मपरायण / अच्छे कर्म प्रबोध स्वामी की पवित्र छवि को देखने के लिए पर्याप्त नहीं थे.’

हालांकि आनंद सागर स्वामी ने बाद में इसके लिए माफी मांग ली थी. लेकिन उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत ‘जानबूझकर भगवान शिव का अपमान करने वाली टिप्पणी करके हिंदू धर्म और सनातन धर्म की भावनाओं को आहत करने’ के लिए मामला दर्ज किया गया है.

दिप्रिंट के पास शिकायत और एफआईआर की एक प्रति है.

राजकोट पुलिस के बी-डिवीजन पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई है. उन्होंने मामले और जांच के बारे में दिप्रिंट के किए गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.

शुक्ला ने दिप्रिंट को बताया, ब्रह्म समाज ने ऐसे कई मामलों में पुलिस को लिखित शिकायत दी है. लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं किया कि क्या संगठन ने किसी विशिष्ट मामले में शिकायत की है, जहां भुज स्वामीनारायण मंदिर के एक स्वामी अक्षरमुनि दास ने कहा था, ‘हनुमानजी कोई भगवान नहीं है’.

ब्रह्म समाज, जिसकी जड़ें 19वीं सदी के बंगाल में मौजूद हैं, हिंदू धर्म का एक एकेश्वरवादी संप्रदाय है. यह आंदोलन मूर्ति पूजा और जाति व्यवस्था की निंदा करने के लिए खड़ा है.

स्वामीनारायण संप्रदाय के गुजरात के प्रमुख शहरों और कस्बों में कई अनुयायी हैं. यह राज्य में पाटीदार समुदाय के बीच भी लोकप्रिय हो गया है. ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति सहजानंद स्वामी के अधीन हुई थी और अब इसके कई संप्रदाय हैं.


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विवाद

पिछले महीने बोस्टन में एक सत्संग को संबोधित करते हुए, आनंद सागर स्वामी ने कथित तौर पर एक कहानी सुनाई थी कि कैसे गुजरात के आणंद जिले में सोखदा स्वामीनारायण संप्रदाय द्वारा संचालित इस गुट के केंद्रों में से एक ‘आत्मीय धाम’ में पढ़ने वाला निशित नाम का एक युवक हिंदू भगवान शिव से मिला था.

आनंद सागर ने कहा, ‘प्रबोध स्वामी के आदेश पर निशित मुख्य द्वार की ओर गया. गेट बंद था और शिव उसके बाहर खड़े थे. ‘जैसा कि हम तस्वीरों में देखते हैं – शिव की जटाओं में एक सांप (नाग) लिपटा हुआ था. और उन्होंने हाथ में त्रिशूल के साथ एक रुद्राक्ष पहना था. निशित ने प्रार्थना की और कहा, ‘अंदर आओ, जैसे तुम यहां तक पहुंचे हो, तुम प्रबोध स्वामी के दर्शन कर सकते हो’

‘उस पर शिव ने कहा, ‘मेरे अच्छे कर्म / धर्मपरायणता (इतना) नहीं है कि मैं प्रबोध स्वामी के दर्शन कर सकूं. लेकिन मैंने आपके दर्शन (निशित) कर लिए, इसके लिए बहुत भाग्यशाली हूं.’ इसके बाद शिव ने निशित के पैर छुए और चले गए.’

उनके इन बयानों के बाद पूरे गुजरात के धार्मिक नेताओं ने उनसे माफी मांगने का आह्वान किया. विरोध बढ़ने पर आनंद सागर स्वामी ने एक वीडियो बयान के जरिए माफी मांगी और कहा कि उनका उद्देश्य एक युवक की भक्ति को स्वीकार करने से था. उन्होंने उस वीडियो में कहा, ‘मैंने एक गलती की है. मैं सभी शिव भक्तों से माफी मांगता हूं.’  उनके इस वीडियो को दिप्रिंट ने देखा है.

ऊपर उद्धृत ब्रह्म समाज के नेता शुक्ला का मानना है कि माफी मांगना काफी नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘हो सकता है आरोपी ने माफी मांगी हो, लेकिन जांच चल रही है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि चार्जशीट दाखिल हो.’

इंस्टाग्राम पर साझा किए गए एक वीडियो में गुजरात के खेड़ा जिले में स्थित स्वामीनारायण संप्रदाय के एक धड़े वड़ताल सत्संग सभा के अध्यक्ष नौतम स्वामी ने आनंद सागर स्वामी के बयान को ‘पूरे हिंदू समुदाय पर धब्बा’ कहा.

उन्होंने कहा, ‘अपने गुरु की महिमा बढ़ाने के लिए उन्होंने भगवान शिव का अपमान किया है. इस तरह का बयान स्वामीनारायण संप्रदाय को कलंकित करता है.’

दिप्रिंट उनके पास प्रतिक्रिया लेने के लिए गया था, लेकिन उन्होंने स्वामीनारायण संप्रदाय के नेताओं के खिलाफ अन्य शिकायतों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.


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‘हनुमान कोई भगवान नहीं’

आनंद सागर अकेले ऐसे नहीं है, जो ऐसे आरोपों का सामना कर रहे हैं.

सितंबर में स्थानीय मीडिया द्वारा कथित रूप से डाले गए एक वीडियो में भुज स्वामीनारायण मंदिर के अक्षरमुनि दास को यह कहते हुए दिखाया गया है: ‘हनुमानजी कोई भगवान नहीं हैं, लेकिन उन्होंने भगवान की सेवा की और भगवान राम को अपनी ‘भक्ति’ से इतना प्रसन्न किया कि उन्हें समान रूप से पूजनीय बना दिया गया.’

अक्षरमुनि दास वीडियो में कथित तौर पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे.

दिप्रिंट ने जो वीडियो देखा है, उसमें वह हिंदू संतों शुक, संकादिक और नारद का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि हनुमान की तरह उन सभी की पूजा की जा सकती है, लेकिन उन्हें देवता नहीं कहा जा सकता. अक्षरमुनि दास ने आगे कहा कि वे देवताओं के भक्त हैं और इसलिए संत हैं. इसी तरह, ‘हनुमान भी एक संत हैं, लेकिन हम उन्हें भगवान नहीं कह सकते.’

दिप्रिंट ने ईमेल से भुज स्वामीनारायण मंदिर से संपर्क किया. प्रतिक्रिया मिलने पर इस लेख को अपडेट किया जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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