नई दिल्ली: दिल्ली स्थित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी), जिसे थिएटर ट्रेनिंग में भारत का अग्रणी संस्थान कहा जाता है, के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए स्टडी किसी चुनौती से कम नहीं है. सत्र शुरू होने के छह महीने बीतने के बाद भी कोई निर्धारित पाठ्यक्रम नहीं है और 17 स्थायी फैकल्टी पदों में से 11 अभी खाली पड़े हैं.
तीसरे वर्ष के जिन छात्रों की ग्रेजुएशन कई महीने पहले ही पूरी हो जानी थी, उनका कोर्स भी अभी बचा हुआ है. उसे न तो अभी तक पढ़ाया गया है और न ही उन्हें पढ़ाने के लिए कोई टीचर ही है.
मैनेजमेंट के साथ छात्रों की खींचतान और क्लास नियमित तौर पर न लग पाना दोनों पक्षों के बीच विवाद का विषय बन गया, जिससे संस्थान में शिक्षण कार्य एकदम ठप पड़ चुका है.
एनएसडी के छात्र 3 अक्टूबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें से आठ भूख हड़ताल पर हैं, उनका कहना है कि संस्थान के कामकाज के तरीके को लेकर असंतोष जाहिर करने के लिए उन्होंने कक्षाओं में जाना बंद कर दिया है.
एनएसडी निदेशक प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़, जिन्होंने इसी साल मई में पद संभाला था, अस्थायी प्रतिनियुक्ति पर हैं. वह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में प्रोफेसर भी हैं. फिल्म अभिनेता परेश रावल मौजूदा समय में संस्थान के अध्यक्ष हैं.
सितंबर 2018 में तत्कालीन निदेशक वामन केंद्रे का कार्यकाल पूरा होने के बाद सुरेश शर्मा ने बतौर प्रभारी निदेशक संस्थान का नेतृत्व संभाला.
विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संस्थान के छात्र संघ ने गुरुवार को एक बयान जारी करके कहा कि वे तब तक हड़ताल पर ही रहेंगे जब तक अध्यक्ष और सोसायटी के सदस्य छात्रों से नहीं मिलते और उन्हें जिन अहम मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, उन पर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं करते.
हालांकि, गौर ने छात्रों के तमाम दावों का खंडन किया है और कहा है कि शासी निकाय की बैठक इतने कम समय में तब तक नहीं हो सकती जब तक कि यह अत्यावश्यक न हो.
उन्होंने आगे कहा कि अध्यक्ष परेश रावल निदेशक पद के लिए होने वाले इंटरव्यू के आयोजन के लिए 11 अक्टूबर को संस्थान का दौरा करने वाले हैं. निदेशक गौर ने कहा, ‘उन्होंने छात्रों के साथ बात करने का वादा किया है और उन्हें इसके बारे में बताया भी गया है.’
स्थायी निदेशक की अपनी मांग के अलावा छात्रों ने रविवार को छात्र संघ की ओर से जारी बयान में संस्थान के रजिस्ट्रार को हटाने की मांग भी की.
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‘हमें एक स्थायी निदेशक की जरूरत है’
तीसरे वर्ष के छात्र और एनएसडी छात्र संघ प्रवक्ता तमिलासरा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारी पढ़ाई प्रभावित हो रही है और सिखाने की क्वालिटी में काफी गिरावट आई है. हमारे प्रोडक्शन बजट में 50 प्रतिशत से अधिक की कटौती की गई है और हमें बार-बार बताया जाता है कि थिएटर एक ‘गरीब आदमी का माध्यम’ है. और अगर ऐसा ही होता रहा तो हम कैसे सीखेंगे?’
वहीं, प्रथम वर्ष के एक छात्र ने अपना नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘अगर हमारी कक्षाएं 1 अक्टूबर से शुरू होनी हैं, तो संस्थान 29 सितंबर को पाठ्यक्रम भेजता है. कई बार गेस्ट फैकल्टी भी समय पर नहीं आती.’
छात्रों को बताया गया है कि मौजूदा पाठ्यक्रम की समीक्षा की जा रही है और एक नया पाठ्यक्रम अगले सत्र से ही लागू किया जाएगा.
छात्रों का यह भी आरोप है कि संस्थान में न केवल गेस्ट फैकल्टी के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता, बल्कि उन्हें समय पर भुगतान नहीं किए जाने के कारण भी स्टडी को बहुत नुकसान पहुंच रहा है.
छात्र संघ ने गुरुवार को जारी बयान में एक स्थायी निदेशक की मांग करते हुए कहा था, ‘संस्थान में इस तरीके से होने वाले कामकाज ने इसकी प्रतिष्ठा को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है जैसा कि छात्र संगठन ने अनुभव किया है और देशभर में थिएटर से जुड़े लोग भी ऐसा मान रहे हैं. एक स्वायत्त निकाय के तौर पर संस्थान को वास्तव में किसी ऐसे लीडर की जरूरत है, जिसे न केवल थिएटर में गहरी रुचि हो बल्कि देश के थिएटर शिक्षाशास्त्र को लेकर व्यापक दृष्टिकोण भी हो. हमें यहां एक स्थायी निदेशक की जरूरत है जो कोई थिएटर प्रैक्टिशनर, थिएटर शिक्षाविद और थिएटर और उसके भविष्य के बारे में गहरी दृष्टि रखने वाला व्यक्ति हो.’
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संस्थान ने छात्रों के दावों को गलत बताया
संस्थान ने अपने बजट में कटौती संबंधी छात्रों के दावों को पूरी तरह निराधार बताया है. निदेशक गौर ने बताया, ‘मैंने सुनिश्चित किया कि छात्रों को हर चीज सर्वश्रेष्ठ मिले. इस साल एक के बजाये दो प्रोडक्शन किए गए. इंटरनेशनल फैकल्टी को भी परिसर में बुलाया. इस तरह की चीजें पिछले तीन सालों में नहीं हुई हैं.’
एनएसडी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संस्थान के पास छात्रों के बजट में कटौती का कोई कारण नहीं है क्योंकि यह किसी भी तरह की मुश्किल का सामना नहीं कर रहा है. अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास पिछले महीने 12 करोड़ रुपये से अधिक थे. मंत्रालय हमारी बहुत मदद करता रहा है.’
एनएसडी संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाला एक स्वायत्त संस्थान है और गौर के मुताबिक, मंत्रालय की तरफ से नए निदेशक के चयन और रिक्त पदों को भरने के लिए एक चयन समिति गठित की गई है.
पाठ्यक्रम के संबंध में छात्रों के दावों को खारिज करते हुए गौर ने दिप्रिंट को बताया, ‘3 अक्टूबर को दिसंबर तक के पाठ्यक्रम को प्रथम वर्ष के छात्रों के साथ साझा किया गया था. हमने उनका इनपुट भी मांगा है.’
स्कूल के रजिस्ट्रार ज्वाला प्रसाद, जिनकी नियुक्ति 2021 में हुई थी, ने दिप्रिंट से कहा, ‘चूंकि यह एक अकादमिक मामला है, इसलिए मुझे इसमें कुछ नहीं कहना है. हालांकि, हम छात्रों की मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.’
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