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Sunday, 24 November, 2024
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माया ने की ‘महागठबंधन’ की बात, अखिलेश ने की माया की बात

मायावती ने बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए गेस्ट हाउस कांड भुलाने की बात कही, अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से कहा कि मायावती का सम्मान ही उनका सम्मान है.

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लखनऊ : जिस बहुप्रतिक्षित प्रेस कॉन्फेंस पर देशभर के सियासी दलों की निगाहें टिकी थी उसमें बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए गेस्ट हाउस कांड को भी भुला देने की बात कही. उन्होंने इस दौरान समाजवादी पार्टी के साथ यूपी में गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया. वहीं अखिलेश यादव ने गठबंधन की सीनियर पार्टनर मायावती का समर्थन करते हुए अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि मायावती का सम्मान ही उनका सम्मान है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती गुरु और अखिलेश शिष्य के रूप में नजर आए. दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा गया.

ये रहेगा सीट बंटवारे का फॉर्मूला

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती ने ऐलान किया कि सपा और बसपा यूपी की 80 लोकसभा सीटों में 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. इसके अलावा दो सीटें अन्य सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं. ये दल कौन से होंगे, इसका खुलासा नहीं किया गया है. इससे आरएलडी को झटका लगा है. गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के लिए दो सीटें रायरबेली और अमेठी की छोड़ी गई है. मायावती ने इस दौरान साफ किया कि उनका कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं है, वह बस सीटें छोड़ रही हैं, ताकि बीजेपी कांग्रेस के दोनों प्रमुख नेताओं को इन दोनों सीटों पर उलझा कर न रख सके.

माया ने गेस्ट हाउस कांड भुलाया

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती ने यूपी में चर्चित गेस्ट हाउस कांड का भी जिक्र किया. मायावती ने कहा कि हम देश व जनहित के लिए गेस्ट हाउस कांड भूलकर चुनावी समझौता कर रहे हैं. बता दें कि 2 जून 1995 को राजधानी लखनऊ के मीराबाई रोड स्थित गेस्ट हाउस में मायावती के साथ बदसलूखी की गई थी. उस दिन सपा नेताओं द्वारा बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ न सिर्फ मारपीट हुई, बल्कि उनके कपड़े फाड़कर उनकी आबरू लूटने की कोशिश भी की गई.

मायावती के जीवन पर लिखी गई अजय बोस की किताब में ‘गेस्ट हाउस कांड’ का तफ्तीश के साथ जिक्र किया गया है. बोस की किताब ‘बहनजी’ के मुताबिक उस दिन बसपा के विधायक मायावती को अकेला छोड़कर भाग गए थे, लेकिन बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने उनकी जान बचाई थी.

आरएलडी को दिया झटका

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती और अखिलेश ने आरएलडी का जिक्र नहीं किया. सूत्रों की मानें तो आरएलडी से सीटों को लेकर बात नहीं बन पाई. इसी कारण आरएलडी के किसी नेता को प्रेस कॉन्प्रेंस का न्योता भी नहीं दिया गया. सपा-बसपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आरएलडी यूपी में 5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही थी वहीं सपा-बसपा 3 सीट ही उन्हें देने के पक्ष में थे. इसी कारण आरएलडी से बात नहीं बन पाई. हालांकि, आरएलडी के प्रवक्ता अनिल दूबे का कहना है कि अभी आरएलडी का महागठबंधन शामिल होने की संभावनाएं खत्म नहीं हुई हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता अखिलेश यादव व मायावती से बात करेंगे.

‘बुआ जी’ के सम्मान पर अखिलेश का विशेष जोर

आमतौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश बिना कुछ पढ़े बोलते हैं, लेकिन इस पीसी के दौरान वह भी मायावती की तरह अपना संबोधन लिखकर लाए थे. वहीं अपने संबोधन के दौरान उन्होंने बाबा साहब अंंबेडकर व मायावती के सम्मान पर विशेष जोर दिया. उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि मायावती का सम्मान ही उनका सम्मान है. इसके जरिए उन्होंने सपा-बसपा कार्यकर्तओं को एकजुट होने का संदेश दिया. जानकारों की मानें तो इस बयान के पीछे की वजह पिछड़े व दलित वर्ग को एकजुट करने का प्रयास भी है. इसके अलावा पिछले दिनों जिस तरह सीबीआई छापों के बाद मायावती ने अखिलेश के पक्ष में बयान दिया था, उसी तरह अखिलेश ने साफ किया कि वह मायावती के हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े हैं.

ये गठबंधन आगे भी चलेगा!

जब दोनों नेताओं से पूछा गया कि क्या ये गठबंधन 2019 के बाद भी चलेगा तो मायावती ने इस पर हामी भरते हुए जवाब दिया कि ये गठबंधन अब लंबा चलने वाला है. वहीं जब अखिलेश से पूछा गया कि क्या वह मायावती को पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं तो उनका जवाब था कि अगला प्रधानमंत्री यूपी से ही होगा. इस पीसी के दौरान ये तो साफ दिखा कि महागठबंधन की पिच पर कोच की भूमिका में मयावती हैं, जिनका हर आदेश अखिलेश अपने सर-आंखों पर रखने को तैयार हैं.

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