नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि उसे बातचीत की अपनी मांग के लिए चिन्हित आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्यवाई करे और उन्हें ‘राजनीतिक रूप से मुख्यधारा’ में लाने का प्रयास न करे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर पाकिस्तान भारत से बातचीत को लेकर गंभीर है तो उसे कार्यवाई द्वारा इसे साबित करना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा, ‘आतंकियों और आतंकी संगठनों को स्पष्ट समर्थन देने की प्रथा जारी है. केवल इतना ही नहीं, इससे भी ज्यादा चिंता की बात जो है वो यह कि उन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश चल रही है.’
एमईए प्रवक्ता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के हाल ही में एक टेलीविजन साक्षात्कार का उल्लेख कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा कि जब इस्लामाबाद भारत से बातचीत के लिए तैयार है, तो नई दिल्ली इसे नजरअंदाज कर रहा था.
हालांकि, कुमार ने कहा कि पाकिस्तान बातचीत को लेकर ‘गंभीर नहीं’ था. वो दुनिया का ध्यान अपने वित्तीय संकट से हटाने के लिए अन्य देशों पर बयान दे रहा है.
उन्होंने पाकिस्तान के मुंबई और पठानकोट आतंकी हमले के दोषियों के खिलाफ कोई भी सख्त कार्यवाई न करने का मुद्दा भी उठाया.
उन्होंने पूछा, ‘अगर पाकिस्तान भारत से बातचीत को लेकर बहुत उत्सुक है तो पठानकोट और मुम्बई हमले के जिम्मेदार आतंकी पाकिस्तान में क्यों खुला घूम रहे हैं. उनके खिलाफ कोई कार्यवाई क्यों नहीं की गई’
पाक के मंत्री आतंकियों से मंच साझा करते हैं
भारत ने पाकिस्तानी नेताओं की प्रतिबंधित आतंकियों और उनके संगठनों के साथ सार्वजनिक मंच साझा करने की बढ़ती घटनाओं पर भी सवाल खड़ा किया. एमईए प्रवक्ता ने दो घटनाओं को सामने रखा. जिसमें पाकिस्तान के आंतरिक राज्य मंत्री और धार्मिक विश्वास और सद्भाव मंत्री ने जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और संगठन के दूसरे नेताओं के साथ मंच साझा किया था.
जमात संयुक्त राष्ट्र का एक नामित संगठन है. वे हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा के भी सह संस्थापक है.
कुमार ने कहा कि पिछले सितंबर में इस तरह के एक आयोजन के दौरान, जिसमें पाकिस्तान के धार्मिक विश्वास और सद्भाव मंत्री नूर हक उल कादरी और सईद पहुंचे थे और मंत्री ने भारत के विरुद्ध कटु बयान दिया था.
पाकिस्तान के भारत में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार के मुद्दे पर कुमार ने कहा, ‘हमें बहुलता और समावेशी समाज पर लेक्चर देने वाला पाकिस्तान आखिरी देश होना चाहिए.’