नई दिल्ली: सामान्य ज्ञान की परीक्षा में भारत के महान्यायवादी की परिभाषा पूछने पर इसका जवाब होता है कि महान्यायवादी भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार और अदालतों में उसके मुख्य वकील होते हैं. वह संविधान के अनुरूप केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर देश के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. देश के इस प्रतिष्ठित पद की परिभाषा सदा से यही है, लेकिन इसपर सुशोभित होने वाले लोग अकसर बदलते रहते हैं. 30 सितंबर को निवर्तमान महान्यायवादी के के वेणुगोपाल के सेवानिवृत्त होने के बाद एक अक्टूबर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणी ने यह पदभार संभाल लिया है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आर वेंकटरमणी को तीन वर्ष के लिए देश का महान्यायवादी नियुक्त किया. श्रम मंत्रालय ने बुधवार को इस आशय की घोषणा की. वह देश के 15वें महान्यायवादी हैं और इस पद पर पहुंचने के पहले उनका वकालत और न्यायपालिका से जुड़े विभिन्न पदों पर अपनी उत्कृष्ट सेवा देने का इतिहास रहा है.
देश के महान्यायवादी चुने जाने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी है कि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य होना चाहिए. इसके अतिरिक्त यह भी जरूरी है कि वह पांच साल के लिए एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या दस साल के लिए एक उच्च न्यायालय के वकील या राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित न्यायविद रहे हों.
वेंकटरमणी के पास उच्चतम न्यायालय में वकालत की प्रैक्टिस का 42 साल का लंबा अनुभव है. वह 1977 में तमिलनाडु बार काउंसिल के लिए पंजीकृत हुए और मद्रास उच्च न्यायालय में वकालत शुरू कर दी. वह 1979 में उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव से जुड़ गए. तीन वर्ष बाद 1982 में उन्होंने उच्चतम न्यायालय में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस शुरू की और कानूनी हलकों में धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमाने लगे.
विभिन्न मामलों पर उनकी पकड़ और कानूनी समझ को देखते हुए उन्हें 1997 में शीर्ष अदालत द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया. 2010 में और फिर 2013 में उन्हें विधि आयोग का सदस्य बनाया गया.
वेंकटरमणी को संवैधानिक कानून, अप्रत्यक्ष कर कानून, मानव अधिकार कानून, दीवानी और फौजदारी कानून, उपभोक्ता कानून और सेनाओं से जुड़े कानून का माहिर माना जाता है और उन्होंने देश विदेश में इन कानूनों से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों जैसे कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और चर्चाओं में भाग लिया है. अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी वह कानून के जानकार के तौर पर भाग लेते रहे हैं.
उन्होंने उच्चतम न्यायालय में विभिन्न राज्य सरकारों के प्रतिनिधि के तौर पर कई महत्वपूर्ण मामलों में पैरवी की है और आगे भी उनकी यही भूमिका होगी.
कानून से जुड़े लेख और किताबें लिखने के अलावा फुरसत के वक्त में कविताएं लिखने और पढ़ने के शौकीन आर वेंकटरमणी का जन्म 13 अप्रैल 1950 को देश के खूबसूरत केंद्रशासित क्षेत्र पुडुचेरी में हुआ. उन्होंने कानून की पढ़ाई पुडुचेरी के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से पूरी की और प्रोफेसर माधव मेनन के विद्यार्थी रहे. उनके परिवार की बात करें तो उनकी पत्नी का नाम विजयलक्ष्मी वेंकटरमणी है और बेटा अनंत वेंकटरमणी भी कानूनी विशेषज्ञ हैं.
आर वेंकटरमणी ने देश का महान्यायवादी चुने जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने इस प्रतिष्ठित पद के लिए उनका चयन करके उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है उसे वह पूरी तन्मयता और ईमानदारी से निभाएंगे.
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