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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशबेअंत सिंह हत्याकांड: SC ने केंद्र से पूछा- रजोआना की दया याचिका पर फैसला क्यों नहीं हुआ

बेअंत सिंह हत्याकांड: SC ने केंद्र से पूछा- रजोआना की दया याचिका पर फैसला क्यों नहीं हुआ

पीठ ने अदालत द्वारा ऐसा करने के लिए समय दिए जाने के बावजूद दया याचिका पर केंद्र द्वारा कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाने और अब मामले में स्थगन की मांग पर नाराजगी जताई.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए मौत की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर अब तक कोई फैसला नहीं लेने पर केंद्र सरकार से सवाल पूछा है.

न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अदालत द्वारा ऐसा करने के लिए समय दिए जाने के बावजूद दया याचिका पर केंद्र द्वारा कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाने और अब मामले में स्थगन की मांग पर नाराजगी जताई. इससे पहले मई में, शीर्ष अदालत ने केंद्र को बलवंत सिंह राजोआना की 26 साल की लंबी कैद के आधार पर मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग करने वाली दया याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया था.

सुनवाई के दौरान, पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज के स्थगन के अनुरोध पर आपत्ति जताई क्योंकि मामला सरकार के पास विचाराधीन था.

पीठ ने कहा कि 2 मई के आदेश के बाद से कुल चार महीने बीत चुके हैं.

पीठ ने कहा, ‘हमने आपको दो महीने दिए हैं. और अब, दो महीने और बीत चुके हैं. आपने दो तकनीकी मुद्दे उठाए थे हमने आपसे कहा था कि कृपया इसके लिए इंतजार न करें.’

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह केंद्र को यह नहीं बता सकती कि क्या फैसला लेना है लेकिन सरकार को निश्चित तौर पर इस मामले में फैसला लेना चाहिए.

इसने संबंधित विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी को मामले में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था.

‘एएसजी के अनुरोध के अनुसार, हम मामले को शुक्रवार तक के लिए स्थगित करते हैं. इस बीच, हम संबंधित विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी को मामले में प्रगति को लेककर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं. कल दायर किया जाने वाला हलफनामा, ‘शीर्ष अदालत ने मामले को 30 सितंबर के लिए पोस्ट करते हुए अपने आदेश में कहा.

इससे पहले उसने केंद्र से इस तथ्य से प्रभावित हुए बिना राजोआना की याचिका पर फैसला करने को कहा था कि मामले में अन्य दोषियों द्वारा दायर अपील शीर्ष अदालत में लंबित हैं.


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