नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ 40 स्थानों पर तलाशी ली और चार लोगों को हिरासत में लिया.
एजेंसी ने तेलंगाना में 38 स्थानों (निजामाबाद में 23, हैदराबाद में चार, जगत्याल में सात, निर्मल में दो, आदिलाबाद और करीमनगर जिलों में एक-एक) और आंध्र प्रदेश में दो स्थानों (कुरनूल और नेल्लोर जिलों में एक-एक) पर तलाशी ली. तेलंगाना में निजामाबाद जिले के अब्दुल खादर और 26 अन्य व्यक्तियों से संबंधित मामले में रविवार सुबह यह छापेमारी की गई थी. जिस के बाद एनआईए ने बताया कि उसने डिजिटल उपकरण, दस्तावेज, दो खंजर और 8,31,500 रुपए नकद सहित अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है.
एजेंसी ने जानकारी देते हुए कहा, ‘चार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.’
जानकारी के मुताबिक, आरोपी ‘आतंकवादी कृत्यों को करने के लिए प्रशिक्षण देने और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे.’
तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस स्टेशन द्वारा जांच के दौरान चार आरोपियों अब्दुल कादर, शेख सहदुल्ला, मोहम्मद इमरान और मोहम्मद अब्दुल मोबिन को तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
निजामाबाद के ऑटोनगर निवासी 52 वर्षीय अब्दुल खादर, 26 लोगों के साथ एनआईए की एफआईआर में आरोपी थे, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रची थी.
प्राथमिकी में कहा गया ‘आपराधिक साजिश के संबंध में, उन्होंने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों की भर्ती की, आतंकवादी कृत्यों के लिए प्रशिक्षण देने के लिए शिविर आयोजित किए. उन्होंने एक गैरकानूनी सभा का गठन किया और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया.’
इससे पहले तेलंगाना के निजामाबाद पुलिस स्टेशन द्वारा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 (1) (बी) के तहत अब्दुल खादर और 26 व्यक्तियों और अन्य के खिलाफ कुछ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से संबंधित मामला दर्ज किया गया था.
प्राथमिकी में आगे कहा गया है, ‘घर की तलाशी लेने पर, तेलंगाना पुलिस द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का फ्लेक्सी , बांस की छड़ें, व्हाइटबोर्ड, नॉन-चक, एक पोडियम, नोटबुक, हैंडबुक और अन्य सामग्री के नाम से एक जब्त की गई. यह भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश है.’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आगे की पूछताछ के दौरान, घर के मालिक अब्दुल खादर ने स्वीकार किया कि पीएफआई से जुड़े कुछ आरोपी व्यक्तियों द्वारा 6 लाख रुपए की वित्तीय सहायता के एवज में, उसने अपने घर की छत पर एक हिस्से का निर्माण किया था. पीएफआई के कैडरों को प्रशिक्षण देने और संगठन की बैठक के लिए उपयोग करने के लिए अनुमति दी थी.
उसने आगे बताया कि ‘पीएफआई के सदस्यों ने कराटे कक्षाओं के नाम पर युवाओं के लिए कोचिंग और शारीरिक व्यायाम शुरू किया और उन्हें अपने नफरत भरे भाषणों आदि से एक विशेष समुदाय के खिलाफ भड़काया. उन्होंने पीएफआई के सदस्यों की भर्ती की और शिविरों का आयोजन किया. उन्होंने एक गैरकानूनी सभा का गठन किया और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने वाली गतिविधियों में शामिल थे. बाद में तेलंगाना पुलिस ने मामले में यूए (पी) अधिनियम की धारा 18 ए और 18 (बी) जोड़ी.’
गृह मंत्रालय ने बाद में मामले को एनआईए को इसलिए सौंप दिया क्योंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत एक अनुसूचित अपराध किया गया है. साथ ही अपराध की गंभीरता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके नतीजों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि एजेंसी द्वारा इस अधिनियम अनुसार जांच की जाए.
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