भीषण आर्मेनिया-अजरबैजान सीमा झड़पों से पता चलता है कि यूक्रेन में जो हो रहा है वह यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा. रूस की सेना, जिसने 2020 में लगाए गए युद्धविराम को लागू किया, फंस गई है. तुर्की समर्थित अजरबैजान इस मौके का इस्तेमाल अधूरे कारोबार को निपटाने के लिए कर रहा है. महाशक्ति की राजधानियों में ज्ञान का न होना, आने वाले कई छद्म युद्धों में से पहला साबित होगा.