नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने ब्याज सहायता या सामान्यीकरण योजना (आईईएस) के तहत विनिर्माण से जुड़े एमएसएमई के लिये पांच प्रतिशत और अन्य वस्तुओं के मामले में तीन प्रतिशत लाभ को फिर से बहाल करने की सरकार से मांग की है। वैश्विक स्तर पर व्यापार के समक्ष चुनौतियों और ब्याज में वृद्धि के साथ कर्ज लागत बढ़ने के बीच यह मांग की गयी है।
फियो के अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘रूस-यूक्रेन युद्ध का कच्चे तेल और खाने के सामान के दाम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इससे वैश्विक व्यापार के समक्ष चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘इन चुनौतियों के साथ ब्याज दरें बढ़ी हैं, जिससे एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) को कर्ज 10-11 प्रतिशत ब्याज पर मिल रहा है। सितंबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर और बढ़ने की आशंका है। इससे कर्ज और महंगा हो जाएगा। ऐसे में ब्याज सहायता या सामान्यीकरण योजना के तहत विनिर्माण से जुड़े एमएसएमई के लिये पांच प्रतिशत और अन्य ‘टैरिफ लाइन’ (विभिन्न शुल्क दरों के अंतर्गत आने वाले उत्पाद) के मामले में तीन प्रतिशत लाभ को फिर से बहाल करने की जरूरत है।’’
आईईएस के तहत निर्यात के पहले और बाद में रुपये में कर्ज को लेकर ब्याज सहायता दी जाती है।
भारतीय रिजर्व बैंक इस महीने के आखिर में मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करेगा।
उल्लेखनीय है कि ब्याज सामान्यीकरण योजना की मियाद 30 सितंबर, 2021 से 31 मार्च, 2024 तक बढ़ाने के साथ इसके तहत ब्याज सहायता को कम कर दिया गया था। इसका कारण उस समय ब्याज दर का कम होना था।
शक्तिवेल ने कहा, ‘‘लेकिन स्थिति बदलने के साथ एमएसएमई और अन्य वस्तुओं के मामले में ब्याज सहायता को फिर पिछले स्तर पर बहाल करने की जरूरत है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रुपये में निर्यात-आयात की अनुमति देने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक की अधिसूचना से काफी प्रोत्साहन मिला है।
शक्तिवेल ने कहा कि हालांकि भारतीय रुपये में निर्यात को लेकर कुछ स्पष्टता की भी जरूरत है। इसमें निर्यातकों को निर्यात से जुड़े लाभ आदि का मामला शामिल है।
फियो के महानिदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ. अजय सहाय ने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीने में निर्यात वृद्धि कुछ कम रही है। हालांकि, दूसरी छमाही से इसमें तेजी आने की उम्मीद है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाएं बढ़ती महंगाई से प्रभावित हैं। खरीद क्षमता प्रभावित होने से मांग पर असर पड़ा है। इससे पहले का माल भंडार काफी बचा है। हालांकि, कम मूल्य के सामान की मांग काफी बढ़ रही है। इसीलिए हमारा मानना है कि निर्यात मात्रा समान रहेगी लेकिन निर्यात मूल्य पर असर पड़ सकता है।
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रमण अजय
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