ताशकंद, उज्बेकिस्तान: उज्बेकिस्तान में भारत के राजदूत मनीष प्रभात ने कहा कि चीन के नेतृत्व वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की आगामी शिखर बैठक के दौरान भारत यूरेशिया के लिए एक मेगा कनेक्टिविटी वाली योजना पर अपना बड़ा जोर देने की योजना बना रहा है, और ईरान का चाबहार बंदरगाह इस योजना के प्रमुख केंद्र बिंदुओं में से एक है.
दिप्रिंट को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में, प्रभात ने कहा कि भारत, जो इस शिखर सम्मेलन के दौरान उज्बेकिस्तान से एससीओ की अध्यक्षता ग्रहण करने जा रहा है, न केवल चाबहार बंदरगाह परियोजना को बल्कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (इंटरनेशनल नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर – आईएनएसटीसी) को भी आगे बढ़ा सकता है.
भारतीय राजदूत ने आगे कहा, ‘इसके अलावा, भारत यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रयास कर रहा है कि मध्य एशियाई देशों के भीतर, उज्बेकिस्तान चाबहार परियोजना के प्रचार और संचालन के साथ-साथ आईएनएसटीसी में भारत, ईरान और रूस के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाए.’
जहां तक यूरेशिया और दक्षिण एशिया के बीच समावेशी मेगा कनेक्टिविटी की बात आती है तो भारत चाबहार बंदरगाह परियोजना और आईएनएसटीसी को प्रमुख केंद्र बिंदु बनाने पर जोर दे रहा है, क्योंकि नई दिल्ली इसे चीन के बहुप्रचारित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का प्रतिस्पर्धी बनाना चाहती है. नतीजतन, एससीओ के भीतर भी कनेक्टिविटी बढ़ाने और उन्हें वृहत व्यापार मार्गों में बदलने के मामले में भारत और चीन के बीच की प्रतिस्पर्धा देखी जा सकती है.
प्रभात ने दिप्रिंट को बताया, ‘(एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए) पीएम मोदी की उज्बेकिस्तान यात्रा भारत द्वारा अपने रणनीतिक साझेदार के रूप में उज्बेकिस्तान को दिए जा रहे महत्व को दर्शाता है. व्यापक परिप्रेक्ष्य में, यह इस बात को भी दर्शाता है कि भारत सभी मध्य एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को बहुत अधिक महत्व देता है. मध्य एशिया में जो होता है वह एससीओ की मुख्य चिंता बनी रहनी चाहिए. मध्य एशिया एससीओ के लिए काफी महत्वपूर्ण है.’
बता दें कि एससीओ शिखर सम्मेलन 15 से 16 सितंबर के बीच उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद में आयोजित होगा. मोदी और सभी मध्य एशियाई देहों के नेताओं के अलावा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के इसमें शामिल होने की उम्मीद है.
यह भी पढ़ें: क्यों समरकंद के लिए उड़ान भर रहे मोदी, LAC मुद्दे पर धीरे-धीरे लाइन पर आ रहे हैं शी जिनपिंग
‘चाबहार परियोजना का समर्थन करता है उज्बेकिस्तान’
प्रभात ने कहा, ‘भारत ने हमेशा चाबहार बंदरगाह परियोजना को बढ़ावा दिया है. हमने मध्य एशिया और उज्बेकिस्तान में अपने सभी भागीदारों से अनुरोध किया है कि हमें चाबहार को प्राथमिकता देनी चाहिए और चाबहार भारत एवं मध्य एशिया के बीच आपसी संपर्क का केंद्र बनना चाहिए.’
उन्होंने कहा: ‘बेशक अन्य देशों द्वारा भी अन्य प्रकार की कनेक्टिविटी योजना का अनुसरण किया जा रहा है, लेकिन उज्बेकिस्तान चाबहार वाली पहल का समर्थन करता रहा है. यह उज्बेकिस्तान ही था जिसने भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय बैठक बुलाने और इस बात पर चर्चा करने की पहल की थी कि हम इस बंदरगाह के अधिक उपयोग को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं. दो दौर की बैठकें हो चुकी है. अगले दौर में, ये तीनों देश अन्य भागीदारों को भी आमंत्रित करने की योजना बना रहे हैं.‘
चाबहार बंदरगाह के संयुक्त उपयोग पर भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान के बीच पहली त्रिपक्षीय बैठक दिसंबर 2020 में हुई थी. इसके बाद दिसंबर 2021 में दूसरी बैठक हुई, जहां यह निर्णय लिया गया कि तीसरा दौर भारत में आयोजित किया जाएगा.
भारतीय राजदूत ने कहा, ‘इन सबके अलावा, आईएनएसटीसी की एक अतिरिक्त पहल है, जिसे भारत ईरान और रूस के साथ बहुत लंबे समय आगे बढ़ता आ रहा है. और भारत ने उज्बेकिस्तान को भी आईएनएसटीसी का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है. साथ ही, भारत ने चाबहार वाली परियोजना को भी आईएनएसटीसी के एक हिस्से के रूप में शामिल किये जाने का प्रस्ताव दिया है. इसके बाद यह पूरे आईएनएसटीसी में एक केंद्र बिंदु बन जाएगा और एक बार ऐसा होने पर सभी भागीदार देशों को बहुत अधिक लाभ होगा.‘
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: उज्बेकिस्तान में मोदी-शी वार्ता के लिए चीन ने अपनी बंदूकों के मुंह झुका तो लिये लेकिन भारत मुगालते में न रहे