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Sunday, 19 January, 2025
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रुपये ने दूसरी मुद्राओं की तुलना में अधिक जुझारूपन दिखायाः गोयल

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लॉस एंजिलिस, 12 सितंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि दुनिया की दूसरी मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपये ने पिछले कुछ वर्षों में कहीं अधिक जुझारूपन दिखाया है और इसके मूल्यह्रास की औसत वार्षिक वृद्धि दर 2014 से पहले की तुलना में कम है।

अमेरिका की यात्रा पर आए गोयल ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आई हालिया गिरावट को देखते हुए निर्यातकों को सिर्फ कमजोर रुपये पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इसके बजाय निर्यातकों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और वैश्विक बाजारों में उपभोक्ताओं की जरूरतो को पूरा करने की क्षमता पर अधिक निर्भर होना चाहिए।

गोयल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता है कि रुपये के लिए कोई भी स्तर सुविधाजनक या असहज करने वाला है। रुपया खुद ही अपनी जगह बना लेता है। यह मुद्रास्फीति और पूंजी प्रवाह जैसे तत्वों पर निर्भर करता है। मुझे खुशी है कि भारतीय रुपये ने बीते कुछ वर्षों में अधिकांश मुद्राओं की तुलना में अधिक जुझारूपन दिखाया है।’’

रुपये की कीमत पिछले कुछ महीनों में खासी कम हुई है। सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 79.67 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर कारोबार कर रहा था।

निर्यात को प्रतिस्पर्धी और आयात को कम नुकसान पहुंचाने वाले रुपये के सुविधाजनक स्तर के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 के पहले रुपये के मूल्यह्रास की औसत वार्षिक वृद्धि दर 3.25-3.5 प्रतिशत के करीब थी लेकिन फिलहाल इसकी दर करीब 2.5 प्रतिशत है। इस तरह रुपये की मजबूती में खासा सुधार आया है।’’

यूरोपीय संघ की तरफ से सामान्यीकृत सीमा-शुल्क वरीयता योजना (जीएसपी) के तहत दिए जा रहे निर्यात लाभों को वापस लिए जाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने भरोसा जताया कि भारतीय निर्यातक अपनी मजबूती के आधार पर अधिक आपूर्ति कर पाने में सफल रहेंगे।

भारत के करीब आठ अरब डॉलर मूल्य के प्लास्टिक, पत्थर, मशीनरी एवं मशीनी उपकरणों निर्यात को जीएसपी लाभ हटा लिए जाने के बाद जनवरी, 2023 से कम या शून्य शुल्क का लाभ नहीं मिल पाएगा।

इस संदर्भ में गोयल ने कहा, ‘‘हम यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बात कर रहे हैं। हमारा ध्यान उस बातचीत पर लगा है। मुझे नहीं लगता है कि किसी भी सूरत में जीएसपी व्यापार संपर्क के विस्तार के लिए जरूरी है। इसकी तुलना में यूरोपीय संघ के साथ एफटीए करना कहीं बेहतर है। जीएसपी के बगैर भी अमेरिका के साथ हमारे कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा है।’’

उन्होंने अमेरिका के साथ प्रत्येक क्षेत्र में विस्तार की संभावनाएं बताते हुए कहा, ‘‘अमेरिका में संभावना है कि हमारे साथ व्यापार को अगले छह-आठ साल में 159 अरब डॉलर के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर पर पहुंचाया जा सके।’’

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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