कोलकाता, नौ सितंबर (भाषा) पेंशन निधि नियामक पीएफआरडीए ने एनपीएस अंशदाताओं के लिए पेंशन पॉलिसी की ‘पोर्टेबिलिटी’ के मुद्दे पर बीमा क्षेत्र के नियामक इरडा के साथ शुरुआती दौर की चर्चा की है, जिससे पेंशन योजनाओं की अदला-बदली का रास्ता तैयार होगा।
मौजूदा समय में एनपीएस के तहत किसी भी पेंशन उत्पाद को एक बार चुने जाने के बाद बदला नहीं जा सकता है।
पेंशन निधि नियामकीय एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के चेयरमैन सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने इस संदर्भ में कहा, ‘हमने भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के अलावा सेवा प्रदाताओं के साथ भी पोर्टेबिलिटी के मसले पर चर्चा की है। हालांकि, अभी यह चर्चा शुरुआती दौर में ही है।’
उन्होंने कहा, ‘समस्या यह है कि एक बार पेंशन उत्पाद चुन लिया जाता है, तो इसे 15-20 दिनों की शुरुआती अवधि के बाद बदला नहीं जा सकता है। लेकिन, यह देखा गया है कि कई अंशधारक जल्दबाजी में इसे चुनते हैं और बाद में उन्हें किसी अन्य उत्पाद के बेहतर होने का अंदाजा होता है।’
हालांकि, कोष संग्रहण के दौर में एनपीएस पॉलिसी को पोर्ट करने की सुविधा पहले से ही मौजूद है।
एनपीएस अंशधारक को सेवानिवृत्ति के समय अनिवार्य रूप से अपने सेवानिवृत्ति कोष का एक हिस्सा पेंशन पॉलिसी में रखना होता है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम पेंशन खरीद की राशि उसके कुल फंड का 40 प्रतिशत है।
भाषा प्रेम
प्रेम पाण्डेय
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