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Monday, 25 November, 2024
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‘निरंकुश’, ‘भ्रष्ट’- कैसे MP में नौकरशाही पर निशाना साधने वाले सिंधिया के करीबी CM चौहान को घेर रहे

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को नौकरशाही पर लगाम कसने में नाकाम रहने और पार्टी कैडर की अनदेखी करने के लिए अपने ही मंत्रियों और राज्य भाजपा सदस्यों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के नगर निगम चुनावों में सात निगम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हाथ से निकल जाने के करीब एक महीने बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने ही मंत्रियों के साथ-साथ राज्य में पार्टी कैडर की तरफ से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.

हालांकि, चौहान के कैबिनेट सहयोगी नौकरशाही पर ‘लगाम कसने में नाकाम’ रहने को लेकर उनकी आलोचना कर रहे हैं लेकिन उनका निशाना राज्य के मुख्य सचिव और चौहान के भरोसेमंद सहयोगी आईएएस इकबाल सिंह बैंस हैं.

चौहान सरकार में भाजपा विधायक और मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया और ब्रजेंद्र सिंह यादव, जिनके पास क्रमशः ग्रामीण विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग हैं, ने सार्वजनिक तौर पर बैंस के खिलाफ ‘निरंकुश’ प्रशासन चलाने का आरोप लगाया है.

सिसोदिया और यादव दोनों ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं.

भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, जिनकी सिंधिया के साथ गहराती दोस्ती जगजाहिर है—ने भी रविवार को राज्य भाजपा के कोर ग्रुप की एक बैठक में ‘असहयोगात्मक रवैये’ के लिए नौकरशाही की आलोचना की.

सूत्रों ने बताया कि विजयवर्गीय ने बैठक में भाजपा नेताओं से कहा कि मध्य प्रदेश में नौकरशाह आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं और पार्टी कैडर की कोई बात नहीं सुनते हैं. उनकी राय में, जुलाई में नगरपालिका चुनावों में पार्टी को पहुंचे नुकसान की भी संभवत: यही वजह है.

मुख्यमंत्री चौहान ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ज्यादातर अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं और यदि किसी विशेष नौकरशाह के कार्यों को लेकर कोई शिकायत है तो यह मुद्दा सार्वजनिक स्तर के बजाय बंद दरवाजे की बैठकों में उठाया जाना चाहिए. उन्होंने पार्टी नेताओं को इस तरह के मुद्दों को सीधे उनके साथ या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा या महासचिव (संगठन) हितानंद शर्मा के समक्ष उठाने को कहा.

सूत्रों के मुताबिक, चौहान ने अपने पार्टी सहयोगियों को भी आश्वासन दिया कि जल्द ही प्रशासन में बदलाव होगा.


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‘पॉवर का बेजा इस्तेमाल’

पिछले हफ्ते ही गुना जिले के बमोरी क्षेत्र से भाजपा विधायक महेंद्र सिंह सिसोदिया ने शिवपुरी के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) अक्षय कुमार सिंह को एक पत्र लिखकर कहा था कि मंत्री की स्वीकृति बिना एक पुलिस निरीक्षक के तबादले के लिए शिवपुरी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश सिंह चंदेल के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए.

सिसोदिया शिवपुरी जिले के संरक्षक मंत्री भी हैं.

उनका यह पत्र राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए इस वजह से भी एक बड़ी शर्मिंदगी का सबब बना क्योंकि उन्होंने इसकी प्रति राज्य सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजेश राजोरा के अलावा सिंधिया को भी मार्क करके भेजी थी.

सिसोदिया ने अपने पत्र में लिखा है कि एसपी की कार्रवाई नियमों के खिलाफ तो नहीं थी, लेकिन यह ‘पॉवर का बेजा इस्तेमाल’ करने जैसी है.

सिसोदिया ने शनिवार को गुना में मीडिया से बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि राज्य की नौकरशाही ‘निरंकुश’ है, और इसके लिए उन्होंने मुख्य सचिव बैंस को जिम्मेदार ठहराया.

वहीं, घंटों बाद अशोक नगर के मुंगावली से विधायक ब्रजेंद्र सिंह यादव ने अशोक नगर जिले के डीएम और सहकारी समितियों के आयुक्त को पत्र लिखकर नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग की.

इस घटनाक्रम ने राज्य भाजपा को ‘एकदम सक्रिय’ मोड में आने को बाध्य कर दिया और सीएम ने सिसोदिया को तलब किया. भाजपा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि चौहान ने उनसे कहा कि वे अपनी शिकायतों को सार्वजनिक तौर पर न उठाएं. वह इस मामले को खुद देखेंगे.

सिसोदिया ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें अब कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, ‘अब सब सामान्य है और इस मुद्दे पर बात करने का कोई मतलब नहीं है.’

पूरे घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर मध्य प्रदेश भाजपा के महासचिव भगवानदास सबनानी ने दिप्रिंट से कहा, ‘मुख्यमंत्री ने संबंधित मंत्रियों से उनकी शिकायतों का समाधान निकालने को कहा है. ऐसी शिकायतें हर सरकार में आती रहती हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि कोई मुख्यमंत्री पर निशाना साध रहा है या फिर उन्हें कमतर करके आंक रहा है.

विजयवर्गीय-सिंधिया का समीकरण

चौहान के समकालीन पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को मध्य प्रदेश भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक में राज्य की नौकरशाही के खिलाफ शिकायतों का मुद्दा फिर से उठाया.

लेकिन यह पहली बार नहीं था जब विजयवर्गीय ने नौकरशाही के लिए सीएम के ‘सॉफ्ट कॉर्नर’ को लेकर सवाल उठाए हैं.

जुलाई में नगर निगम चुनावों के नतीजे आने के बाद विजयवर्गीय ने चौहान को सलाह दी थी कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं पर उतना ही भरोसा करें जितना नौकरशाहों पर करते हैं.

विजयवर्गीय ने कथित तौर पर एक स्थानीय मीडिया आउटलेट को बताया, ‘मतदाता सूचियों का अपडेट (नगर निगम चुनावों के लिए) चिंताजनक है. क्या यह प्रशासन ने किया या चुनाव आयोग की तरफ से किया गया, इसकी जांच होनी चाहिए. मुख्यमंत्री को अफसरों पर ज्यादा भरोसा है. यह उनका स्वभाव है. लेकिन इसमें ऐसी विसंगति नहीं होती, अगर उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं पर भी समान रूप से भरोसा किया होता.’

हाल के महीनों में सिंधिया और विजयवर्गीय के बीच बढ़ती दोस्ती ने कई कारणों से मप्र के राजनीतिक हलकों में अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है.

सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में नगर निगम चुनावों में भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवार की कांग्रेस प्रत्याशी के हाथों हार से सिंधिया को भी करारा झटका लगा है.

केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री सिंधिया को अगस्त के अंतिम सप्ताह में इंदौर में विजयवर्गीय के आवास पर भोजन करने पहुंचते देखा गया था.

सिंधिया शनिवार को इंदौर में मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन—जिसके अध्यक्ष रह चुके हैं—के वार्षिक पुरस्कार समारोह में शामिल हुए. इस दौरान सिंधिया ने आगे की पंक्ति में बैठे विजयवर्गीय को मंच पर आने को कहा.

राज्य भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘एक समय था जब सिंधिया ने मप्र क्रिकेट एसोसिएशन चुनाव में विजयवर्गीय की हार सुनिश्चित की थी. लेकिन राजनीति में चीजें बदल जाती हैं और यह बदलाव एकतरफा नहीं है. सिंधिया भी विजयवर्गीय से संपर्क बढ़ा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इंदौर में विजयवर्गीय का अच्छा-खासा दबदबा है.’

उक्त नेता ने कहा, ‘दोनों (ये नेता) अपने राजनीतिक भविष्य पर नजरें गड़ाए हैं क्योंकि वे जानते हैं कि यह मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान का आखिरी कार्यकाल हो सकता है. अगर उन्हें (चौहान को) चुनाव से पहले हटा दिया जाता है, तो उनकी अनुपस्थिति में उनके सभी प्रतिद्वंद्वियों के लिए इस शीर्ष पद पर अपनी दावेदारी जताने के मौके उपलब्ध होंगे.’

हालांकि, मध्य प्रदेश के ही एक अन्य भाजपा नेता की राय में सिंधिया-विजयवर्गीय की दोस्ती बढ़ने की वजह यह भी हो सकती है कि विजयवर्गीय एमपी क्रिकेट एसोसिएशन में सिंधिया की मदद से अपने बेटे के लिए सुरक्षित जगह का प्रयास कर रहे हों. नेता ने कहा, ‘कैलाशजी हमेशा से ही राज्य क्रिकेट निकाय पर अपनी पकड़ बनाए रखने इच्छुक रहे हैं. इसे राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में चर्चा से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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