नई दिल्ली: भारत के पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि ‘मेरा मोदी को यह संदेश है कि उस भाजपा को बचाए रखें जिसे अटल और आडवाणी चलाते थे. वह भाजपा आतंरिक लोकतंत्र से चलती थी.’ इस सलाह के साथ उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना भी की और भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे पर गंभीर चिंता जताई है.
दिप्रिंट के कार्यक्रम ‘ऑफ द कफ’ में पूर्व भाजपा नेता एवं वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने हिस्सा लिया और अपनी राय रखी. इस कार्यक्रम में उनसे देश के मौजूदा हालात को लेकर तमाम सवाल पूछे गए. जिसका उन्होंने बहुत ही बेबाकी से जवाब दिया.
‘हम आगे जाने की बजाय पीछे गए’
उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ के बारे कहा कि यह कामयाब नहीं हो पाया, हम आगे जाने की बजाय पीछे आ गए हैं.
वहीं दूसरी तरफ बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सरकार एनपीए से निपट नहीं पायी. एनपीए को लेकर सरकार के लोग उलझन में थे और उसी के परिणामस्वरूप एनपीए बढ़े हैं.
सरकारी योजनाओं का श्रेय लेने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, यदि पीएम मोदी बोगीबील पुल के उद्घाटन का श्रेय ले सकते हैं, जिसे उन्होंने मंजूरी नहीं दी तो उन्हें एनपीए की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
‘नोटबंदी मूर्खतापूर्ण कदम था’
नोटबंदी पर एक सवाल का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा, ‘सरकार के निर्णय के पीछे लालच थी, लेकिन यह विफल रही. नोटबंदी और जीएसटी की दोहरी मार से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग और असंगठित क्षेत्र को भारी क्षति हुई है. नोटबंदी ऐसा मूर्खतापूर्ण कदम था, जो हमारे देश में कोई मूर्ख ही उठा सकता है और वह मूर्ख व्यक्ति हमारे प्रधानमंत्री हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा कि नोटबंदी के बाद हमारी विकास दर घटकर 3-4 प्रतिशत रह जाएगी. लेकिन अर्थव्यस्था ने रफ़्तार पकड़ ली है.’
पूर्व प्रधानमंत्री को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘जब मैं वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा में था, तो मैंने कभी भी आरएसएस-भाजपा की सांप्रदायिक विचारधारा को महसूस नहीं किया. लेकिन अब चीजें बदल गई हैं और इससे मैं असहज हो गया. गुजरात दंगों ने मुझे उतना ही पीड़ा दी थी, जितनी सबको हुई होगी. कैबिनेट में यह मुद्दा कभी नहीं उठा. मुझसे इस मुद्दे पर राय कभी नहीं मांगी गयी. मैं वाजपेयी के विचार की तरफ ज्यादा था.’
‘देश मोदी को हटाने की बात कर रहा है’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैंने 2014 में मोदी का समर्थन किया था क्योंकि मुझे लगा कि भाजपा के लिए यह सबसे अच्छा दांव है. तब, देश उनको पीएम बनाने के लिए जोर लगा रहा था, लेकिन अब लोग उनको हटाने की बात कर रहे हैं.’
पाकिस्तान के मुद्दे पर पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, ‘प्रत्येक भारतीय प्रधानमंत्री को लगता है कि वह पाकिस्तान समस्या का हल करने के लिए ईश्वर का दूत है. मोदी पाकिस्तान समस्या के लिए अकेले जिम्मेवार नहीं हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं 2014 तक मोदी के साथ हमेशा रहा हूं. मुझे विश्वास था कि वह भारत को मजबूत नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम होंगे, यही कारण था जिसकी वजह से मैं साथ गया. शायद मुझसे गलती हुई थी. भाजपा में ज्यादातर नेता डरे हुए हैं. उन्हें लगता है कि अगर वे आवाज उठाते हैं तो उन्हें फिर से टिकट नहीं मिलेगा.’
भाजपा के भविष्य के नेता के बारे में उन्होंने कहा, ‘अपने बयानों के माध्यम से गडकरी स्पष्ट रूप से संभावित परिदृश्य के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं. शायद वे नेता के रूप में उभर सकते हैं.’
‘भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे को लेकर चिंतित हूं’
तीन राज्यों की हार के बारे में सिन्हा ने कहा, ‘जनसंघ के दिनों से राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए सबसे मजबूत राज्य रहे हैं. यही कारण है कि बीजेपी को यहां हुए नुकसान महत्वपूर्ण हैं. भाजपा वहां हार गई जहां वह सबसे मजबूत थी.’
अपने पुत्र केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के बारे में बात करते हुए सिन्हा ने कहा, मैं और मेरा पुत्र (जयंत सिन्हा) राजनीति पर चर्चा नहीं करते हैं.
इसके अलावा उन्होंने भाजपा की सांप्रदायिक नीतियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘मैं भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे और लिंचिंग के मुद्दे को लेकर चिंतित हूं.’
जब उनसे पूछा गया कि चुनाव लड़ने की कोई संभावना है तो उन्होंने कहा, ‘मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा.’
‘कश्मीर नीति की गलतियों को हमने दोहराया है’
मोदी के अच्छे कामों की तारीफ के मसले पर सिन्हा ने कहा, ‘शायद सरकार ने कई अच्छे काम किये होंगे पर मैं उनकी बात नहीं करूंगा. क्योंकि सरकार अपने प्रचार-प्रसार के माध्यम से उन योजनाओं को लोगों तक पंहुचा रही है.’
जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘हमने कश्मीर पर नीतियों को लेकर एक के बाद गलतियों को दोहराया है. हमने जम्मू कश्मीर को तो अपने पास रखा है पर वहां के लोगों में विश्वास खो दिया है.’
तीन राज्यों की चुनावी हार के बारे पूछे गए सवाल का जबाब देते हुए उन्होंने कहा, तीन राज्यों में भाजपा की हार का ये मतलब नहीं है कि वह लोकसभा चुनाव भी हार जायेंगे.
मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान पर उन्होंने कहा कि स्वच्छता केवल लुटियन दिल्ली में है. दिल्ली से बाहर जाते ही स्वच्छता की सूरत बदल जाती है.