नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) बिजली मंत्रालय इस साल के अंत में होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को विचार के लिए ला सकता है। बिजली मंत्री आर के सिंह ने यह उम्मीद जताई।
बिजली संशोधन विधेयक, 2022 का मकसद कई सेवा प्रदाताओं के बीच उपभोक्ताओं को विकल्प देकर बिजली वितरण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। इस विधेयक को आठ अगस्त 2022 को लोकसभा में पेश किया गया था और उसी दिन इसे ऊर्जा पर संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया।
सिंह ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि हम संसद के शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर 2022 में संभावित) में बिजली संशोधन विधेयक 2022 को पारित कराने में सक्षम होंगे।’’
इस दौरान उन्होंने साफ किया कि बिजली संशोधन विधेयक 2022 में उपभोक्ताओं के किसी भी वर्ग की सब्सिडी रोकने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘बिजली अधिनियम, 2003 में एक क्षेत्र में एक से अधिक वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) रहने का प्रावधान किया गया था। हालांकि दूसरे डिस्कॉम को अपने नेटवर्क के जरिये बिजली की आपूर्ति करनी होगी। अब हमने वितरण नेटवर्क साझा करने का प्रावधान किया है।’
उन्होंने बताया कि बिजली अधिनियम, 2003 के प्रावधान के तहत वितरण कंपनियां नहीं आईं, क्योंकि उन्हें अपना वितरण नेटवर्क स्थापित करना था।
मंत्री ने कहा कि अधिनियम में नया प्रावधान बिजली वितरण क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी एकाधिकार को हटा देगा और ग्राहकों के पास एक क्षेत्र में कई सेवा प्रदाताओं में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा।
उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि बिजली वितरण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा होने से सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।
सिंह ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक में राज्य बिजली नियामकों को मजबूत करने और उन्हें अधिक जवाबदेह बनाने का प्रावधान भी किया गया है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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