नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) ऑटो विनिर्माता पर्यावरण के अनुकूल ईंधन को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग रणनीति अपना रहे हैं। टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी घरेलू कंपनियां जहां इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर दांव लगा रही हैं वहीं टोयोटा, होंडा और सुजुकी जैसी प्रमुख जापानी कंपनियों का जोर हाइब्रिड मॉडल उतारने पर है।
दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़ी प्रौद्योगिकियों को बड़ी तेजी से अपनाया जा रहा है। इसमें एसएचईवी (मजबूत हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन), एफसीईवी (ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहन), बीईवी (बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन) और पीएचईवी (प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन) शामिल हैं।
भारत में इस समय मुख्य रूप से बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) और हाइब्रिड वाहन ही बनाए जा रहे हैं।
टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अगले कुछ वर्षों में कई बीईवी मॉडल उतारने की योजना बनाई हुई है। इन कंपनियों ने इस क्षेत्र के लिए बड़े पैमाने पर संसाधन तैयार किए हैं।
इसी तरह हुंदै, किआ और एमजी मोटर ने भी बीईवी मॉडल बाजार में पेश किए हैं। देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजुकी भी 2025 में अपना पहला इलेक्ट्रिक वाहन पेश करने की तैयारी कर रही है।
इस बीच मारुति सुजुकी ने अपनी कारों को और अधिक ईंधन कुशल बनाने के लिए हाइब्रिड तकनीक पर भी दांव लगाया है। इसके अलावा टोयोटा और होंडा ने भी देश में हाइब्रिड मॉडल पेश किए हैं।
टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन इस उद्योग का भविष्य हैं और कंपनी ने हरियाली तथा बेहतर कल के प्रति जुनून के कारण इस दिशा में कदम बढ़ाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी ओर, हाइब्रिड एक ऐसी तकनीक है जो अल्पकालिक है, क्योंकि इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सीएएफई (कॉरपोरेट औसत ईंधन अर्थव्यवस्था) मानदंडों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है।’’
सीएएफई नियमों के तहत ऑटो विनिर्माताओं को औसत कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की जरूरत है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा के ऑटोमोटिव खंड के अध्यक्ष विजय नाकरा ने कहा कि अपनी ईवी आधारित योजनाओं के साथ सरकार की स्पष्ट नीति के कारण कंपनी बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने जा रही है।
मारुति सुजुकी इंडिया के कार्यकारी अधिकारी (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती ने एसएचईवी की तरफदारी करते हुए कहा कि इस प्रौद्योगिकी से कार्बन उत्सर्जन को 30-40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
भारती ने कहा कि चूंकि एसएचईवी को बाहरी चार्जिंग बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए कोई रेंज की चिंता नहीं है और इसलिए इस तकनीक को तेजी से बढ़ाया जा सकता है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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