मुंबई: इस साल 29 मार्च को महाराष्ट्र के जलगांव के सोमनाथ मुले ने अपनी पत्नी के अकाउंट से एक ई-कॉमर्स ऐप मीशो पर मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड की ‘अनवांटेड किट’ (फ्री साइज) का ऑर्डर दिया.
‘मिफेप्रिस्टोन टैबलेट आईपी और मिसोप्रोस्टोल टैब आईपी’ वाली इस अनवांटेड किट को मेडिकली अबॉर्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसकी कीमत 409 रुपये थी और उसकी डिलीवरी 3 अप्रैल को की गई. हालांकि किट पर साफतौर पर लिखा था कि दवाओं को डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं बेचा जाना चाहिए. लेकिन मुले को इसे खरीदते समय किसी भी तरह के प्रिस्क्रिप्शन के लिए नहीं कहा गया था.
मुले के ऑर्डर के एक दिन बाद 30 मार्च को नागपुर की मोनिका धवाद ने भी मीशो को ‘अनवांटेड किट’ का ऑर्डर दिया. उन्होंने किट के लिए 310 रुपये कीमत अदा की थी और इसकी डिलीवरी 3 अप्रैल को की गई.
दरअसल इन दोनों में से कोई भी अबॉर्शन के लिए इन गोलियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहता था. ये दोनों महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) से जुड़े थे. एफडीए में उप-विभागीय अधिकारी मुले और एफडीए ड्रग्स इंस्पेक्टर धावड़, राज्य में एक कथित गर्भपात गोली रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए एक ऑपरेशन के तहत ग्राहक बनकर ऐप पर खरीदारी कर रहे थे., दिप्रिंट को इसकी जानकारी मिली है.
एफडीए डॉक्टर के पर्चे के बिना मीशो ऐप के जरिए गर्भपात किट की ऑनलाइन बिक्री के संबंध में केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन से मिली शिकायतों पर कार्रवाई कर रहा था. इस शिकायत की सत्यता की जांच करने के लिए राज्य के 13 हिस्सों में एफडीए अधिकारियों ने ग्राहक बनकर बड़ी आसानी से किट की खरीदारी की थी.
30 अप्रैल को धावाद की शिकायत पर नागपुर में मीशो के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई और 7 मई को मुले की शिकायत पर एक अन्य प्रथमिकी दर्ज की गई थी. एफडीए अधिकारियों ने प्रेगनेंसी टर्मिनेशन किट की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत कुल 14 एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें से ये दो है.
जलगांव में दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है, ‘इन गोलियों को ‘शेड्यूल एच’ श्रेणी की प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है और डॉक्टर के पर्चे के बाद ही इन्हें दिया जा सकता है. बिना किसी प्रिस्क्रिप्शन के उन्हें बेचना एक लड़की या महिला के जीवन के साथ खिलवाड़ है और अवैध है’ दिप्रिंट के पास इस एफआईआर की एक कॉपी है.
एक अन्य घटना में 6 मई को अहमदनगर जिले में, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) के परिवहन गोदाम में कुल 1,800 ‘एवर्ट किट’ वाले दो बॉक्स की डिलीवरी हुई, जिसमें कुल 9,000 अबॉर्शन पिल थीं. इनवॉइस में इनका जिक्र एक अलग ब्रांड और दवाओं के प्रकार के रूप में किया गया था. इन बक्सों को अहमदनगर एमआईडीसी ने जब्त कर लिया है.
डिलीवरी लेने वाली और खेप भेजने वाली कंपनी के खिलाफ अहमदनगर एमआईडीसी पुलिस ने 10 मई को प्राथमिकी दर्ज की थी. दिप्रिंट के पास प्राथमिकी की एक प्रति है.
एफडीए महाराष्ट्र के ज्वाइंट कमिश्नर डी.आर. गहने ने दिप्रिंट को बताया, ‘इनमें से कोई भी दवा अवैध नहीं थी, लेकिन ये दवाएं केवल डॉक्टर के पर्चे के साथ दी जा सकती हैं. इस तरह से बिना प्रिस्क्रिप्शन के इन गोलियों को लेना खतरनाक या घातक भी हो सकता है. हम पुलिस के साथ मिलकर इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या यह किसी बड़े रैकेट का हिस्सा है और इसमें कौन लोग शामिल हैं.
दिप्रिंट को ईमेल से भेजे गए एक बयान में मीशो ने कहा, ‘मीशो एक प्योरप्ले मार्केटप्लेस को ऑपरेट करता है. इसका मतलब है कि हम एक टेक्नॉलॉजी मंच उपलब्ध कराते हैं, जिसके जरिए विक्रेता अपने उत्पादों को वहां रखता हैं और ग्राहक वहां से खरीदारी कर सकते हैं. कंपनी का इसमें कोई स्वामित्व या स्टॉक इन्वेंट्री नहीं है.’
उन्होंने लिखा, ‘मीशो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स नियम) के तहत एक मध्यस्थ के रूप में काम करता है. और हम सभी कानूनी दायित्वों का पूरी तरह पालन करते हैं. हमारे साथ जुड़े सभी पंजीकृत विक्रेताओं को हमारे स्पलायर एग्रीमेंट को स्वीकार करना होता है, जिसमें साफ लिखा है कि सप्लायर को हमारे प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए किसी भी अवैध उत्पाद को सूचीबद्ध करने की अनुमति नहीं है.’
बयान में आगे कहा गया है, ‘तत्काल मामले में कुछ विक्रेताओं ने गर्भपात किटों को गलत नामों के साथ प्लेटफार्म पर बिक्री के लिए रखा था, ताकि उनकी जांच न की जा सके. जैसे ही यह हमारे संज्ञान में आया, हमने अपने मंच से तुरंत इन उत्पादों और संबंधित स्पलायर को हटा दिया.’
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ने कहा कि वे जांच में सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने बताया, ‘हम ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट और पुलिस के साथ उनकी जांच में सहयोग कर रहे हैं. मीशो एक कानून का पालन करने वाली संस्था हैं और हम हमेशा कानूनों का पालन करेंगे. कानून के खिलाफ काम कर रहे ऐसे बेईमान सप्लायर से निपटने के लिए हम अपनी क्वालिटी चेक सिस्टम में लगातार सुधार कर रहे हैं.’
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‘लड़कियों, महिलाओं की जिंदगी से खेल’
अहमदनगर एमआईडीसी पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एफडीए अधिकारी जावेद शेख को 5 मई को एमआईडीसी से एक फोन आया था. उसमें उन्हें उन खेपों के बारे में सचेत किया गया था जिनके बारे में उन्हें एक गुमनाम कॉल मिली थी.
जांच करने पर पता चला कि 7.6 लाख रुपये की 9,000 गोलियों वाले बक्से हरियाणा से लाए गए थे. हालांकि इनवॉइस में उनका नाम ‘ORCINACP Tab 2’, ‘ORACLAM 625 Tab’ लिखा गया था.
एफआईआर बताती है कि हरियाणा के पंचकुला में आईवीए हेल्थकेयर द्वारा भेजी गई खेप ‘श्रीराम एजेंसी’ को पहुंचाई जानी थी. लेकिन जब शेख अहमदनगर पुलिस के साथ बताए गए पते की जांच करने गए, तो एजेंसी उस स्थान पर मौजूद नहीं थी.
प्राथमिकी में लिखा है, संपर्क करने पर श्रीराम एजेंसी के मालिक नितिन बोथे ने कहा कि भले ही बक्से कंपनी के नाम पर आए थे, लेकिन उनमें गर्भपात किट है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं थी. आगे की जांच में पाया गया कि श्रीराम एजेंसी के मालिक नितिन बोथे एक अलग एड्रेस के साथ काम कर रहे थे, जिसका लाइसेंस नहीं था. वह बिना लाइसेंस वाली जगह का इस्तेमाल अबॉर्शन पिल की इस तरह से अवैध बिक्री का व्यवसाय कर रहा था.’
एफडीए के ज्वाइंट कमिश्नर गहने ने कहा, ‘मीशो ऐप के साथ-साथ, पूरे राज्य में उन कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं, जहां से किट और गोलियां पहुंचाई जाती हैं. आगे की जांच जारी है.’
बोथे और आईवीए हेल्थकेयर के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 18 (सी) 18 (ए) और 22 (सीसीए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
अहमदनगर के डीसीपी एसपी पाटिल ने कहा, ‘दोनों ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दी थी, जिसे हमने रद्द कर दिया. हमने अपनी टीम को हरियाणा भी भेजा है और आगे की जांच जारी है. बोथे फिलहाल फरार हैं, लेकिन हम इस मामले में जल्द ही गिरफ्तारी करेंगे.’
मीशो पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें 18(ए)(vi), 18(सी), 27(बी) (2), 27(डी), आईपीसी की धारा 276 (जान-बूझकर एक डिस्पेंसरी से किसी भी दवा या चिकित्सा चिकित्सा को एक अलग दवा या चिकित्सा तैयारी के रूप में बेचना या जारी करना), मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (अमेंडमेंट) अधिनियम, 2021 की धारा 3, 4 और 5 शामिल हैं.
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