लालऊ, आगरा: ‘न्याय के लिए लड़ते रहना’, अपनी मां से कहे इन शब्दों के साथ आगरा के लालऊ गांव की 15 वर्षीय संजली चाणक्य ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
‘मां, मैं इस जीवन में लड़ नहीं पाई, लेकिन आप अंत तक डटे रहना’ संजली की मां उसकी इस लाइन को याद करती है जो कि उसने आग में 50 प्रतिशत से अधिक झुलसने से पहले कहे थे.
संजली मंगलवार की दोपहर आगरा के नौमील गांव के अशरफी देवी चिड्डा सिंह इंटर कॉलेज से घर लौट रही थी. यह कॉलेज उसके गांव लालऊ से पांच किलोमीटर दूर है. लाल रंग की मोटरसाइकिल से दो अज्ञात चालकों ने कक्षा 10 की छात्रा संजली पर हमला बोल दिया. जहां एक हमलावर ने संजली पर पेट्रोल छिड़का, वहीं दूसरे ने उसके ऊपर माचिस जला दी.
राष्ट्रीय राजमार्ग 39 की सड़कों पर अभी भी आगजनी के निशान देखे जा सकते हैं. संजली को आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में ले जाने के बाद, उसे उसी शाम दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उसने गुरुवार की सुबह दम तोड़ दिया.
उम्मीद की धुंधली किरण
लालऊ और उसके आस-पास के गांव में कम से कम तीन स्कूल बंद कर दिए गए हैं. वहां की लड़कियों का कहना है कि उन्हें अब सड़कों पर चलने में डर लगता है.
डीएसपी और (सर्किल आफिसर) सीओ आगरा नम्रता श्रीवास्तव ने कहा, ‘पुलिस अपराधियों को पकड़ने के बेहद करीब है.’ लेकिन वारदात हुए चार दिन बीत चुके हैं और संजली के परिवार वालों ने न्याय की उम्मीद छोड़नी शुरू कर दी है.
संजली की मां अनिता ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘मेरी बेटी जा चुकी है और वह अब कभी वापस नहीं आएगी. अब मैं यही उम्मीद करती हूं कि जिन्होंने यह अपराध किया है वे लोग बहुत जल्द सलाखों के पीछे होंगे.’
सपनों वाली लड़की
संजली के सपने बड़े थे. ‘मैं बड़ी होकर आईपीएस अधिकारी बनना चाहती हूं.’ यह उसने अपने पिता हरेंद्र सिंह से कहा था, जो अब उन यादों में खोकर मुस्कुराते हैं.
वह आगे कहते हैं, ‘मैंने उससे कहा था कि तुम्हारे सपनों को पूरा करने की मेरी क्षमता नहीं है, लेकिन वह आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थी. उसने मुझसे कहा था कि वह इसको पूरा करने का कोई न कोई तरीका ढूंढ लेगी.’ संजली की बड़ी बहन अंजली बताती हैं, आपको पता है, उसने एक बार साइकिल जीता था. मुझे याद है कि वह स्कूल में आयोजित इंटर कॉलेज समान्य ज्ञान प्रतियोगिता थी और वह उसमें फर्स्ट आई थी.’
गांव के ही निवासी राजेंद्र सिंह संजली को एक बहादुर, स्वतंत्र और महत्वाकांक्षी लड़की के रूप में याद करते हुए कहते हैं कि ‘वह एक असाधरण लड़की थी’. यहां तक कि वह अपने पिता और बहनों की भी आर्थिक मदद करती थी.
हरेंद्र याद करते हैं, ‘कभी-कभी तो लगता है कि वह मेरी बेटी नहीं, मां थी. जब भी मैं बकवास करता तो मुझे चुप करा देती. वह टेबल सजाकर डिनर के लिए बुलाती थी. वह बड़े होकर बहुत कुछ बनना चाहती थी.’
कदम-कदम पर राजनीति
शुक्रवार की दोपहर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा कम से कम 20 पुलिस अधिकारियों, भाजपा के विधायक हेमलता दिवाकर और आगरा के पूर्व मेयर अनजुला सिंह महर के साथ पीड़िता के घर पहुंचते हैं.
शर्मा ने पीड़िता के परिवार वालों को शीघ्र न्याय का भरोसा दिलाते हुए दोषियों के जल्द से जल्द पकड़े जाने का आश्वासन दिया. इसके अलावा उन्होंने पहले से घोषित 2 लाख रुपये के मुआवजे की रकम की जगह 5 लाख रुपये देने का वादा किया है.
हालांकि, संजली के पिता के लिए इन मुआवजों का कोई मतलब नहीं है. वे कहते हैं, ‘उपमुख्यमंत्री पैसे की बातचीत तय करने आए थे. वे हमसे मोलभाव कर रहे थे. ठीक है 2 लाख नहीं, 5 लाख ले लो.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें भरोसा है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोई कार्यवाही करेंगे. संजली की मां अनीता कहती हैं, ‘एकदम नहीं’.
संजली की बहन अंजली कहती हैं, ‘अगर वह उनकी (योगी आदित्यनाथ) बेटी होती तो वह अबतक इसे हल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देते.’
संजली दलित परिवार से आती हैं, लेकिन पुलिस और उनके परिवार वालों दोनों को लगता है कि इसमें कोई जातीय एंगल नहीं है. परिवार वालों ने यहां तक कहा कि लालऊ के दलित निवासियों के साथ कोई भेदभाव नहीं होता.
विभिन्न राजनीतिक दल भाजपा, कांग्रेस, बसपा और सीपीआई(एम) की महिला विंग के सदस्यों ने लालऊ पहुंच कर पीड़िता के परिवार को सांत्वना दिया और त्वरित न्याय का भरोसा दिलाया.
वहीं दूसरी ओर गुरुवार को भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने एक ट्वीट में चुनौती देते हुए कहा, ‘अगर दोषियों को पकड़ा नहीं जाएगा, तो भारत बंद किया जाएगा. जैसा कि 2 अप्रैल को हुआ था.’ इसके कुछ ही घंटे बाद वे भीम आर्मी के 30 सदस्यों के साथ संजली के घर पहुंचते हैं.
आजाद ने स्थानीय लोगों और प्रेस वालों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि दोषी पकड़े जाएंगे, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो पूरी भीम आर्मी सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन करने के लिए तैयार है. अगर किसी को बख्शा गया तो हम उसके साथ नहीं खड़े होंगे.’
भीम आर्मी के अन्य नेता सिकंदर बौध ने कहा कि भीम आर्मी त्वरित न्याय की मांग के साथ ही एक करोड़ रुपये के मुआवजे, परिवार के एक सदस्य के लिए नौकरी, सीबीआई जांच और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की बात कही. उन्होंने कहा कि इन मांगों को लिखित में आगरा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रवि कुमार को सौंपा गया है.
चचेरे भाई की आत्महत्या
सियासी पारे के बीच के बीच संजली की 50 वर्षीय चाची, रंजन देवी की चीख सुनी जा सकती है. जब वे शुक्रवार को घर के बाहर मातम मनाने और लोगों से मिलने के लिए बाहर निकलती हैं तो एक महिला उन्हें सहारा देती है. एक घंटे बाद सफेद चादर में लिपटे उनके 25 वर्षीय बेटे योगेश सिंह का शव उनके और उनके पति के सामने रखा जाता है.
अपने चचेरी बहन की मृत्यु से एक दिन से भी कम समय में योगेश ने अपने कमरे में जहर पीकर आत्महत्या कर ली. उसकी मां को वजह नहीं पता कि क्यों चचेरी बहन की मौत के बाद उसके बेटे को पुलिस संदिग्ध के तौर पर उठा ले गई थी. राजन देवी कहती हैं, ‘पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने ले गई थी और जब मैं उससे मिलने गई, तो उसने पूछा कि क्या गांव वालों को पता है कि उसे पूछताछ के लिए थाने लाया गया है, तो मैंने कहा कि हां, वे जानते हैं.’
वे कहती हैं कि पुलिस योगेश को बुधवार को दिल्ली ले गई जबकि उसकी चचेरी बहन नाजुक हालत में अस्पताल में पड़ी थी. वापस आने पर उसे छोड़ दिया गया था. यहां तक कि उसने घर पर डिनर भी बनाया.
वे याद करते हुए कहती हैं, ‘सब सामान्य था. वह सुबह उठा, चाय पी और परिवार से बातचीत की. मैं उसके चाचा (संजली के पिता) के घर जाने के लिए तैयार हो रही थी और वह कुछ देर बाद असह्य पेट दर्द बताते हुए अपने कमरे से बाहर निकला.’ इसके कुछ घंटे बाद डाक्टरों ने योगेश को मृत घोषित कर दिया.
उसने बीएड किया था और एक दिन किसी स्कूल का प्रिंसिपल बनने का सपना संजोए था. इस दौरान आगरा शहर में बिजली वितरण करने वाली कंपनी टोरेंट पॉवर प्लांट में काम करते हुए अपने परिवार का पेट पालता था. राजन देवी का वह पहला लड़का नहीं है जिसके लिए वह आंसू बहा रही हैं. योगेश के बड़े भाई पंकज की ट्रेन के नीचे आने से मृत्यु हो गई थी.
भीम आर्मी के सिकंदर बौध कहते हैं, ‘पुलिस संजली के चचेरे भाई को फंसाना चाहती है क्योंकि उसे और कोई तथ्य नहीं मिल रहा. ऐसे में उनके रिश्तों की तिलांजली दी जा रही है.’
राजन देवी कहती हैं, ‘जो बातें लोग योगेश और संजली के बारे में कह रहे हैं, वह सही नहीं है. वह बाकी लड़कों जैसा नहीं था. वह एक अच्छा लड़का था.’ इसी बीच योगेश के पिता अपने बेटे के पार्थिव शरीर के सामने रोते हैं. रोती बिलखती महिलाओं के बीच एक अकेला पुरुष. अंजली कहती है, ‘हम खुश थे लेकिन अब सबकुछ खत्म हो गया.’
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