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Thursday, 21 November, 2024
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बॉर्डर राज्यों में बसे भारतीयों के आवाज के नमूने चुरा रही चीनी कंपनी, अमेरिकी थिंक टैंक का दावा

इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि चीन के सुरक्षा तंत्र से जुड़ी एक एआई कंपनी 'बड़े पैमाने पर निगरानी' के कार्य को सक्षम बनाने के लिए वॉयस डेटा एकत्र कर रही है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इसकी छान-बीन' कर रही हैं.

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नई दिल्ली: अमेरिका स्थित एक थिंक टैंक ने दावा किया है कि बीजिंग स्थित एक एआई कंपनी द्वारा एक भारतीय मध्यस्थ के माध्यम से जम्मू कश्मीर और पंजाब सहित ‘भारत के सैन्य रूप से संवेदनशील क्षेत्रों’ से आवाज के नमूने एकत्र किए जा रहे हैं और फिर इन्हें इनके ‘उपयोग और विश्लेषण’ के लिए चीन स्थित एजेंसियों को बेचा जा रहा है.

न्यू काइट डेटा लैब्स, जो इस बात पर शोध करती है कि चीन डेटा का कैसे उपयोग कैसे करता है और किस तरह से उसका लाभ उठाता है, ने अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि बीजिंग स्थित इस कंपनी, स्पीचओसियन, के चीनी सुरक्षा एजेंसियों और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ काफी नजदीकी संबंध हैं.

ऐसा संदेह किया जाता है कि इस कंपनी द्वारा एकत्र किए गए डेटा का चीन द्वारा ‘ऑटोमेटेड एक्स्ट्रा-टेरीटोरियल मास सर्विलांस (राज्यक्षेत्र से परे स्वचालित सामूहिक निगरानी)’ में लिप्त होने के लिए उपयोग किया जा सकता है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, ‘न्यू काइट लैब्स के संस्थापक और एक शिक्षाविद क्रिस्टोफर बाल्डिंग ने कहा कि स्पीचओसियन (एसओ) नई दिल्ली स्थित अपने एक उप-ठेकेदार (सब-कॉन्ट्रैक्टर), जो कि एक बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) फर्म है, के साथ काम करता है, ताकि भारत के कुछ खास क्षेत्रों, खासतौर पर सैन्यीकृत क्षेत्रों,  से सम्बंधित लोगों की अपनी आवाज रिकॉर्ड करवाने के लिए भर्ती की जा सके.

इस सारी जांच प्रक्रिया का नेतृत्व करने वाले बाल्डिंग ने आरोप लगाया, ‘इन लोगों को उनकी अपनी भाषा और लहजे में कुछ वाक्यांशों, शब्दों, वाक्यों को रिकॉर्ड करने के लिए बहुत थोड़े से पैसे दिए जाते हैं. ये रिकॉर्डिंग स्पीचओसियन ऐप का उपयोग करके एकत्र की जाती हैं, जिसे आपके फोन पर डाउनलोड किया जा सकता है. इस तरह, कश्मीर और पंजाब के कुछ लोगों की पहचान की गई और वास्तविक उद्देश्य का खुलासा किए बिना उन्हें उनकी आवाज के नमूने रिकॉर्ड करने के लिए पैसे दिए गए. इन नमूनों को फिर चीन को बेच दिया गया.’

भारत से चीन भेजे जाने वाले इस वॉयस डेटा के निहितार्थ के बारे में पूछे जाने पर बाल्डिंग ने दावा किया कि स्पीचओसियन को चीनी सेना को डाटा बेचने के लिए ‘जाना जाता’ है.

बाल्डिंग ने कहा, ‘स्पीचओसियन द्वारा चीनी सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से अपनी गतिविधियों को जानबूझकर चोरी-छिपे तरीके से करने के प्रयास सुरक्षा से जुड़े वैध प्रश्न उठाते हैं और इसका मतलब यह है कि इस डेटा का उपयोग चीन के बाहर बड़े पैमाने पर निगरानी में लगाए गए तकनीकी उपकरणों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है.’

अपनी वेबसाइट पर, स्पीचओसियन खुद को एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता डेटा संसाधन प्रदाता (आर्टिफीसियल  इंटेलिजेंस डाटा रिसोर्स प्रोवाइडर) के रूप में वर्णित करता है जो ‘एआई की संपूर्ण उद्योग श्रृंखला में उद्यमों और वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों को इंजीनियरिंग डेटा से संबधित उत्पादों और सेवाओं की आपूर्ति करने के प्रति समर्पित है.’

बाल्डिंग ने दिप्रिंट को बताया कि न्यू काइट लैब्स ने अपनी तरफ से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान को अपने निष्कर्षों से अवगत करा दिया है.

एक भारतीय सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक सूत्र ने भी पुष्टि की कि इस जानकारी की जांच की जा रही है,


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एसओ द्वारा कश्मीरपंजाब में काम किये जाने के पुख्ता सबूत मौजूद हैं

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में भारतीय आईपी एड्रेस के एक समूह के साथ तैयार किये गए एक डेटाबेस ने न्यू काइट लैब्स के शोधकर्ताओं को शंघाई स्टॉक एक्सचेंज-सूचीबद्ध डेटा सेवा प्रदाता स्पीचओसियन, जो एल्गोरिथम मॉडल के प्रशिक्षण और विकास के लिए डेटासेट का उत्पादन करता है, की जांच के लिए प्रेरित किया.

बाल्डिंग ने कहा, ‘एसओ ने पंजाब और कश्मीर में काम किया है और हमारे पास हर स्तर पर इसका पुख्ता सबूत है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने पंजाब और कश्मीर स्थित भारतीय आईपी एड्रेस से वॉयस फाइल ट्रांसफर के द्वारा चीन स्थित स्पीचओसियन डेटाबेस में भेजी गई लॉग फाइलें हासिल कीं. फिर हमने इसके तार उस भर्ती के प्रयास में जुड़े होने की तलाश की, जिसके तहत कुछ व्यक्तियों ने स्पीचओसियन ऐप का उपयोग करके भारतीय भाषाओं में पटकथाओं को पढ़ा था.’

बाल्डिंग ने दिप्रिंट को बताया कि पीएलए और अन्य चीनी सुरक्षा एजेंसियों के साथ इस कंपनी के सुस्पष्ट संबंधों के कारण यह एक ‘चिंताजनक’ मामला है.

उन्होंने दावा किया, ‘इस कंपनी को पीएलए के साइबर वारफेयर डिवीजन को डाटा बेचने के लिए जाना जाता है. एक ऐसा दस्तावेज भी उपलब्ध है जहां स्पीचओसियन पीएलए के साइबर युद्ध विभाग को वियतनामी भाषा के डेटा को बेचने के लिए बोली लगा रहा था. इस सारे डेटा को बेचना स्पीचओअन का प्राथमिक व्यावसयिक मॉडल है. वे डेटा इकट्ठा करते हैं और उसे बेचते हैं.’

भारत में लिए गए आवाज के नमूनों की प्रकृति के बारे में पूछे जाने पर, बाल्डिंग ने कहा कि यह अभी ‘अस्पष्ट’ है.

उन्होंने कहा, ‘चूंकि हमारे पास उनकी मूल फाइलों तक पहुंच नहीं है, इसलिए हम भारत से चीन भेजे जाने वाले आवाज के नमूनों की प्रकृति के बारे में स्पष्ट नहीं हैं.’

दिप्रिंट ने ईमेल के माध्यम से स्पीचओसियन से संपर्क किया, लेकिन इस खबर के प्रकाशित होने तक हमें उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.

चीनी सेना, सुरक्षा एजेंसियों के साथ जुड़े हैं तार 

स्पीचओसियन की वेबसाइट के अनुसार इसे साल 2005 में हे लिन द्वारा स्थापित किया गया था, जो वर्तमान में इसके चेयरपर्सन हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2021 तक की जानकारी के मुताबिक, उनकी शादी सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध चीनी रक्षा कंपनी बीजिंग झोंगके हाइक्सुन डिजिटल टेक्नोलॉजी, जो चीनी सेना को पनडुब्बी से संबंधित प्रमुख तकनीक प्रदान करती है, की संस्थापक और चेयरपर्सन काई हुइज़ी से हुई है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कंपनी की वेबसाइट में राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा इसकी बनायीं तकनीक से लैस एक सैन्य प्रतिष्ठान का दौरा करने का एक वीडियो शामिल है. उनका आपसी रिश्ता चीनी राज्य सुरक्षा तंत्र के भीतर उनकी पहुंच और इसके साथ उसके एकीकरण की हद को उजागर करता है.’

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि एसओ चीनी राज्य सुरक्षा तंत्र में गहराई के साथ अंतर्निहित (एम्बेडेड) है, क्योंकि चीन का नेशनल कंप्यूटर नेटवर्क एंड इनफार्मेशन सेंटर (राष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क और सूचना केंद्र) इसका एक आधारभूत गैर-संस्थापक शेयरधारक, निवेशक और इस कंपनी का ग्राहक भी है.

रिपोर्ट आगे बताती है कि यह सरकारी एजेंसी चीन में इंटरनेट की सुरक्षा और इसकी सेंसरशिप के लिए जिम्मेदार है और यह एक निवेश फंड और होल्डिंग कंपनी के माध्यम से एसओ में एक निवेशक भी है.’

इसमें कहा गया है, ‘उनका मिशन चीन को तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी बनाने के लिए तकनीकी विकास और उन्नति को स्थानीय रूप देना है और इस तरह से सूचना प्रबंधन के क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना और उसकी रक्षा में सहायता करना है.’

थिंक टैंक ने यह भी दावा किया कि उसके पास ऐसे दस्तावेज हैं जो यह दर्शाते हैं कि यह कंपनी न केवल चीन के अंदर सार्वजनिक सुरक्षा से संबंधित रखरखाव में शामिल है, बल्कि ‘विदेशी लक्ष्यों के साथ सुरक्षा खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग’ भी करती है.

रिपोर्ट कहती है, ‘हमने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स (एसएसएफ),  जिसे साइबर युद्ध विभाग के रूप में भी जाना जाता है, के लिए वियतनामी बोली (स्पीच) के वर्गीकरण से संबंधित परियोजनाओं से जुड़ीं सार्वजनिक निविदाओं की पहचान की है. अन्य सार्वजनिक निविदा दस्तावेज अंग्रेजी में मशीनी अनुवाद से संबंधित परियोजनाओं और उत्तर पश्चिमी चीन में चीनी अल्पसंख्यक भाषाओं के लिए वर्गीकरण परियोजनाओं से संबंधित हैं.’


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डाटा को बीजिंग, हांगकांग में रखे जाने का पता लगाया गया 

न्यू काइट लैब्स रिपोर्ट के अनुसार, एसओ द्वारा एकत्र किए गए डेटा, जिसमें विशिष्ट ‘उच्चारण और राष्ट्रीयता’ के शब्दों, वाक्यांशों या बातचीत वाले आवाज के नमूने शामिल थे, की बीजिंग, हांगकांग और जर्मनी में तीन प्राथमिक आईपी पते पर पाया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस डेटा का पता बीजिंग में अलीयुन कंप्यूटिंग, हांगकांग में एलिक्लाउड और फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में अलीबाबा सिंगापुर के नाम से पंजीकृत सर्वरों में लगाया गया था.’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डेटा संग्रह और इसके भंडारण क्षमताओं से परे, चीन ने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) / एमएल (मशीन लर्निंग) एप्पलीकेशन्स के माध्यम से सहायता प्राप्त बिहेवियर ओवरसाइट टेक्नोलॉजीज (व्यवहार निरीक्षण प्रौद्योगिकियों) को स्वचालित करने के मकसद से सॉफ्टवेयर के माध्यम से तकनीकी क्षमताओं के निर्माण हेतु काफी बड़ी मात्रा में संसाधनों को तैनात किया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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