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Friday, 22 November, 2024
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पाकिस्तान में चमका एक सितारा जिसका नाम है उस्ताद चाहत फतेह अली खान

बप्पी लाहिड़ी की तरह सोने-चांदी के गहनों से सजे और गर्मजोशी से भरे, अपने चुटीले वाक्यों के लिए मशहूर ताहिर शाह की तरह भव्य चाहत अली खान दिग्गजों की पांत में शामिल हो गए हैं .

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कुछ लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया की सनसनी बताया है; तो कुछ लोग उन्हें मौशिकी का इमरान खान कहते हैं. लेकिन सच बयां तो होनी ही चाहिए, वे ‘बेसुरों के बेताज बादशाह’ हैं, और यह पदवी बड़े भरोसे से कबूल करने की हिम्मत ‘सीधे लंदन से पधारे’ खुद उस्ताद चाहत फतेह अली खान के सिवा कौन दिखा सकता है. उनका लक्ष्य गाना और अपने नये ‘फैंन्स’ बनाना हो सकता है लेकिन उनकी संयमित चुहलबाजियां फेसबुक, टिकटॉक जैसे कई प्लेटफॉर्मों पर कई लोगों का दिल जीत रही है.

उस्ताद नुसरत फतेह अली खान और उनकी कव्वालियों ने चाहत को, जो अब लंदन में टैक्सी चलाते हैं, अपने बचपन में बहुत प्रभावित किया था. उन्हें आज भी याद है कि वे गुजरांवाला में नुसरत के कार्यक्रमों में कैसे जाया करते थे. चाहत उस कलाकार का स्क्रीन नाम है, जो किसी फन के उस्ताद नहीं हैं बल्कि हर फन मौला हैं. कव्वाली हो या शास्त्रीय गायन या पॉप या भांगड़ा या मुंबइया फिल्मी गाना, किसी को भी निभा ले जाते हैं. वे खुद संगीतकार, गीतकार, और साथी गायक भी हैं, उन्हें किसी साथी की जरूरतनही होती. चाहत को पहली मशहूरियत कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के दौरान मिली, फेसबुक पर सीधे गायन से और इसके बाद जो हुआ उसे, जैसा कि लोग कहते हैं, वह एक इतिहास ही है. और अगर आपका नाम चाहत ही हो तो फिर आपको भला कौन नहीं चाहेगा.

हमारे दौर के उस्ताद

बप्पी लाहिड़ी की तरह सोने-चांदी के गहनों से सजे और गर्मजोशी से भरे, अपने चुटीले वाक्यों के लिए मशहूर ताहिर शाह की तरह भव्य चाहत खान दिग्गजों की पांत में शामिल हो गए हैं. पाकिस्तान की आज़ादी की सालगिरह पर जारी हुए उनके गाने की जानकारों ने भी काफी प्रशंसा की है. राष्ट्रीय गान ‘ये जो झंडा है, इसमें डंडा है’ जल्दी ही भांगड़ा के गाने में तब्दील हो गया मौजूदा वक़्त की आवाज़ बन गया. डंडे के बिना झंडा क्या है? कुछ भी नहीं. डंडे के बिना पाकिस्तान क्या है? कुछ भी नहीं. ‘इसमें डंडा है’ पंक्ति पाकिस्तान के बीते 75 सालों को एक पंक्ति में समेटने की उस्तादी को जाहिर करता है. इसलिए, इस वीडियो के शुरू में पाकिस्तान के नक्शे में कश्मीर की कमी की भरपाई करता यह ‘डंडा’ कम-से-कम उसकी शान को तो कायम रखता है. अगर ताहिर शाह इंसानियत के मसीहा हैं, तो चाहत ‘डंडे’ वाला ‘झंडा’ उठाए उस्ताद हैं.

लीक तोड़ने वाला एक और गाना है ‘टन टना टन’, जिसका मतलब इस जमीन पर कोई नहीं बता पाया है. शायद मंगल ग्रह वाले कुछ बताएं. इसी तरह, अगला गाना ‘लोटा’ भी धमाल मचा रहा है, इसलिए नहीं कि यह बेसुरा है बल्कि इसलिए कि इन बोलों को गाने वाला कलाकार अपना वजूद बचाए हुए है—‘लोटा लोटा, बम बम बम, तू भी लोटा मैं भी लोटा, कोई छोटा लोटा कोई बड़ा लोटा, बम बम बम’. अगर रणवीर सिंह अपना ‘बम’ (पिछवाड़ा का अंग्रेजी शब्द) दिखाकर सुर्खियां और एफआइआर हासिल कर सकते हैं तो चाहत का ‘बम बम बम’ इन्हें क्यों नहीं हासिल कर सकता.

@cutretrung6

#UnlimitedHPInk

♬ dance(256762) – TimTaj


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चाहत को चाहने वाले

अपने ‘फैंन्स’ के साथ चाहत का रिश्ता कुछ खास ही है. ट्वीटर पर उनकी मांग इतनी है कि वे नुसरत साहब के गानों को भी कड़ी चुनौती दे रहे हैं. इन दिनों गुनगुनाए जा रहे पसंदीदा गानों में ये भी शामिल हैं—‘मेरे रश्के क़मर’, ‘सांसों की माला पे’, हल्का हल्का सरूर’, ‘दिल गलती कर बैठा’ आदि. लेकिन असली चीज तो वह है जो इन आयोजनों के बाद होती है. चाहत के प्रशंसक उनकी तस्वीरें प्रदर्शित करते हैं और उन्हें अपना उस्ताद घोषित करते हैं. कई ट्वीटों में इस बेसुरे उस्ताद के बारे में ‘इंटरनेशनल’ खबरें होती हैं— ‘सुरों के बादशाह, ‘गानों के बादशाह’ ने ट्वीटर पर कब्जा कर लिया है’. चाहत के फैंन्स उतने ही जोश में हैं जीतने उनके सुर जोश में हैं. सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों की जो जमात मौजूद है उसके बाद उन्हें किसी ‘पीआर मैनेजमेंट’ की जरूरत नहीं है.

 

सोशल मीडिया पर 700 से ज्यादा ‘लाइव शो’ कर चुके उस्ताद चाहत फतेह अली खान एक सितारा भी हैं और एक उस्ताद भी, मगर सामाजिक ज़िम्मेदारी के साथ. मिसाल के लिए उनका वह वीडियो देखिए जिसमें वे कसरत कर रहे हैं और पीछे गाना बज रहा है— ‘आइ एम सेक्सी ऐंड आइ नो इट’. उनके फैंन्स आपको बताएंगे कि वे किसी बुराई के पक्ष में नहीं हैं, वे सिर्फ अच्छाई के लिए हैं. वे बेसुरे हैं मगर बेपरवाह नहीं. ऐसी जेहनियत के बूते तो हमारे अपने उस्ताद चाहत फतेह अली खान एक दिन ब्रिटेन के वजीरे आजम तक बन सकते हैं. तब तक के लिए अगर आप दूसरे जहान की ज़िंदगी जीना चाहते हैं तो इस सनसनीखेज गायक को सुन सकते हैं, बेशक अपने जोखिम पर.

(लेखिका पाकिस्तान की स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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