मुंबई: विरोध प्रदर्शन की एक अजीबोगरीब घटना के तहत महाराष्ट्र के विधायकों को मानसून सत्र के पांचवें दिन यानी कि बुधवार को विधानसभा की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन करते हुए और अपने-अपने विरोधियों के साथ धक्का-मुक्की करते देखा गया.
आमतौर पर विपक्षी दलों के विधायक सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा भवन की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन करते हैं. लेकिन बुधवार को, नए सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों ने पलटवार किया और पिछली महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के कुशासन और भ्रष्टाचार. के खिलाफ नारे लगाने लगे. एमवीए में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, शरद पावर की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल हैं.
महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के धड़े और भाजपा के बीच बना दो महीने पुराना गठबंधन है. ज्ञात हो कि शिंदे ने जुलाई के अंत में विधायकों के बड़े बहुमत के साथ अपने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था और भाजपा के साथ सत्ता साझा करने वाला गठबंधन बना लिया था
बुधवार की सुबह, सत्तारूढ़ विधायकों ने जेल में बंद एनसीपी नेताओं अनिल देशमुख और नवाब मलिक के कथित ‘भ्रष्टाचार’ के सिलसिले में एमवीए नेताओं को ताना मारा, और यहां तक कि मातोश्री (ठाकरे परिवार के निवास) के खिलाफ भी नारेबाजी की.
इस तरह की आक्रामकता का सामना करने के बाद विपक्ष ने भी इसका फौरी तौर पर जवाब दिया और उन्होंने सत्ता पक्ष के विधायकों को उस कथित पैसे के बारे में चिल्लाते हुए ताने मारे जिसे उन्होंने खेमे को भाजपा के पक्ष में पाला बदलने के लिए स्वीकार किया होगा.
इसके बाद राकांपा विधायक अनिल पाटिल ने किसानों के प्रति नई सरकार की नीतियों का मजाक उड़ाते हुए गाजर की एक माला लहराई. उन्होंने सरकार पर झूठे वादे कर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाया.
इसके बाद एकनाथ शिंदे के खेमे के विधायक भरत गोगावले और प्रताप सरनाइक विपक्ष पर आरोप लगाते हुए चढ़ बैठे. राकांपा विधायक रोहित पवार और अमोल मितकारी भी अपनी जगह डटे रहे और फिर विधायकों ने एक-दूसरे को धक्का देना शुरू कर दिया.
भरत गोगावले, जो शिंदे खेमे के मुख्य सचेतक भी हैं, ने मीडिया से कहा, ‘हम एमवीए सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ महाराष्ट्र विधानसभा की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. जब हम अपना विरोध प्रदर्शन कर ही रहे थे तभी विपक्ष के लोग सामने आ गए. उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए था. ये तो सिर्फ ट्रेलर है, पूरी पिक्चर का अभी इंतजार है. हमें धक्का देने वाले वे कौन होते हैं? उन्हें तो हम हीं ने धक्का दे दिया था.’
कुछ नेताओं का कहना है कि विधानसभा की सीढ़ी, जहां आम तौर पर नेतागण सवालों का जवाब देते हैं, पर विधायकों का इस तरह से लड़ना एक दुर्लभ घटना है.
कुछ लोगों ने इस बात की तरफ भी इशारा किया कि राकांपा सदस्यों का व्यवहार अप्रत्याशित था. खास तौर पर इसलिए क्योंकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके सांसदों द्वारा हमेशा संसद का सम्मान करने के लिए उनकी प्रशंसा की थी.
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