नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई संसदीय बोर्ड में बुधवार को बड़ा बदलाव किया. 11 सदस्यों वाली संसदीय बोर्ड से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटा दिया और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा तथा केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सहित छह नए चेहरों को इसमें शामिल किया. बता दें कि शिवराज सिंह चौहान 2013 में इस बोर्ड में शामिल किए गए थे.
पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्यसभा सदस्य व पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, पार्टी की राष्ट्रीय सचिव व पूर्व सांसद सुधा यादव और वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड के सदस्य होंगे .
पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संगठन महामंत्री बीएल संतोष पहले से ही संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं.
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भाजपा ने पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्यों की भी सूची जारी की. समिति में पीएम मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा बीएस येदियुरप्पा, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जाटिया, भूपेंद्र यादव सहित महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को शामिल किया गया. हालांकि इसमें ओम माथुर, बीएल संतोष और वनथी श्रीनिवास को जगह दी गई है.
विविधता पर जोर
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नया संसदीय बोर्ड दिखाता है कि भाजपा पुराने कार्यकर्ताओं को कैसे पुरस्कृत करती है और पार्टी विविधता पर बहुत जोर दिया जाता है.
पार्टी सूत्रों ने कहा, ‘बोर्ड से यह स्पष्ट है कि पार्टी पुराने कार्यकर्ताओं को कैसे पुरस्कृत करती है और अपने कार्यकर्ताओं के अनुभव को महत्व देती है. बीएसवाई, सत्य नारायण जटिया, के लक्ष्मण जैसे लोगों ने शुरू से ही ईंट-पत्थर बनाकर पार्टी को अपना जीवन दिया है.’
‘सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था में उनका आना इस बात को भी बताता है कि पार्टी अपने सम्मानित कार्यकर्ताओं को कैसे महत्व देती है.’
पार्टी सूत्र ने कहा, ‘जाहिर तौर पर विविधता पर जोर है. सर्बानंद सोनोवाल पूर्वोत्तर से हैं, एल लक्ष्मण और बीएस येदियुरप्पा दक्षिण से हैं. इकबाल सिंह लालपुरा में एक सिख है.’
नेता ने कहा, ‘सुधा यादव एक स्व-निर्मित राजनीतिक नेता हैं जिनके पति कारगिल में शहीद हो गए थे. उनका समावेश महिलाओं और सशस्त्र बलों के परिवारों के लिए सर्वोच्च सम्मान दर्शाता है. दक्षिण और पूर्वोत्तर से प्रतिनिधित्व सर्वकालिक उच्च स्तर पर है. ‘