scorecardresearch
Friday, 18 October, 2024
होमदेशहाइपरटेंशन की मॉनीटरिंग में पुराने जमाने वाली BP मशीन भी उतनी ही कारगर जितनी कि ब्लूटूथ डिवाइस- US स्टडी

हाइपरटेंशन की मॉनीटरिंग में पुराने जमाने वाली BP मशीन भी उतनी ही कारगर जितनी कि ब्लूटूथ डिवाइस- US स्टडी

जामा इंटरनल मेडिसिन नामक जर्नल में सोमवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने पारंपरिक बीपी उपकरणों का उपयोग करने वाले समूह और स्मार्ट उपकरणों वाले समूह के बीच बीपी में आई कमी में 'कोई अंतर नहीं पाया'.

Text Size:

नई दिल्ली: सेल्फ मॉनीटर्ड ब्लड प्रेशर (एसएमबीपी) या रक्तचाप की खुद से निगरानी को सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (एसबीपी) – किसी व्यक्ति के दिल के धड़कने के दौरान धमनी की दीवारों के खिलाफ रक्त द्वारा लगाया जाने वाला दबाव – को कम करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है. एसबीपी हमेशा डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर से अधिक होता है, जो धमनियों में पाया जाने वाला उस समय का दबाव होता है जब किसी का दिल धड़कनों के बीच आराम कर रहा होता है.

कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय सैन फ्रांसिस्को (यूसीएसएफ) के शोधकर्ताओं द्वारा किये गए एक यादृच्छिक नैदानिक परीक्षण ने अब यह निष्कर्ष निकाला है कि जहां तक एसएमबीपी की बात आती है. तो एक साधारण स्फिग्मोमैनोमीटर (रक्तचाप को मापने के लिए एक उपकरण) भी उतना ही प्रभावी होता है जितना कि ‘उन्नत’ ब्लूटूथ डिवाइस से जुड़ा हुआ एक स्मार्टफोन..

उच्च रक्तचाप के ज्ञात इतिहास वाले किसी भी व्यक्ति के लिए उसके रक्तचाप की निगरानी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनियंत्रित होने पर यह हृदय संबंधी विकारों या हृदयाघात (कार्डियक स्ट्रोक) का कारण बन सकता है.

शोधकर्ताओं ने सोमवार को अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित पीयर-रिव्यू जर्नल जामा इंटरनल मेडिसिन में अपने परीक्षण के निष्कर्षों को रिपोर्ट करते हुए लिखा, ‘हमने अनियंत्रित बीपी के प्रबंधन के लिए वर्तमान में उपलब्ध दो रणनीतियों – एक मानक उपकरण का उपयोग कर के किया जा रहा एसएमबीपी, या एक ऐसा एसएमबीपी जो एक कनेक्टेड स्मार्टफोन एप्लिकेशन के साथ जुड़े एक उन्नत डिवाइस का उपयोग कर रहा हो – की प्रभावशीलता की तुलना करने के लिए एक बड़ा एवं सरल व्यावहारिक यादृच्छिक नैदानिक परीक्षण किया.’

इस अध्ययन में 2100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया है और रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘काले और हिस्पैनिक / लैटिनक्स रोगियों के प्रतिनिधित्व के साथ इसका सैंपल साइज भी काफी बड़ा था. आधे प्रतिभागियों को मेल के माध्यम से बेसिक कफ वाला उपकरण मिला था, जबकि बाकियों को उनके रक्तचाप के स्तर की निगरानी के लिए एक ब्लूटूथ-इनेबल्ड डिवाइस मिला था.

इसके निष्कर्ष में कहा गया है : ‘फॉलो-अप के लिए ईएचआर [इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड] डेटा से प्राप्त नैदानिक रक्तचाप माप का उपयोग करने पर. हमें एसबीपी में आई कमी में कोई अंतर नहीं मिला; दोनों समूहों के मामले में उनके द्वारा खुद से रिपोर्ट किए गए बेसलाइन (शुरुआत वाले) ऑफिस एसबीपी की तुलना में उनके सबसे हालिया ऑफिस बीपी के माप में लगभग 11 मिमी एचजी की स्पष्ट कमी आई थी.’

इस अध्ययन से संबंधित लेखक और यूसीएसएफ महामारी विज्ञान और जैवसांख्यिकी (एपिडेमियोलॉजी एंड बायोस्टैटिस्टिक्स) के प्रोफेसर मार्क जे प्लेचर, एमडी, एमपीएच ने कहा, ‘हमें लगता है कि यह अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह डॉक्टरों और रोगियों के लिए व्यावहारिक वास्तविक दुनिया से मिले उत्तर प्रदान करता है.’


यह भी पढ़ेंः BJP ने उदाहरण पेश किया, नीतीश ने अपनाया – बिहार के पाला बदलने वालों के बारे में उर्दू प्रेस ने क्या लिखा


‘ब्लूटूथ उपकरणों के साथ जुड़ा लागत वाला मसला’

यूसीएसएफ ने इस परीक्षण के बारे में जारी किये गए एक बयान में लिखा है कि डॉक्टरों द्वारा दौरा किये जाने के दौरान लिए गए और इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड में दर्ज किए गए बीपी की माप के अनुसार. छह महीने की अवधि के बाद. बेसिक कफ प्राप्त करने वाले रोगियों ने अपना रक्तचाप 10.6 मिमीएचएचजी तक कम कर लिया था. और स्मार्टफोन ऐप का उपयोग करने वालों के मामले में रक्तचाप में आई यह कमी 10.8 मिमीएचजी तक थी.

शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया कि ‘एक पेयर्ड और कनेक्टेड स्मार्टफोन एप्लिकेशन के जरिए अतिरिक्त डिजिटल समर्थन के साथ मानक एसएमबीपी को और बढ़िया बनाने वाले उपकरण व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हैं. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इन ‘रोगियों द्वारा इस सुविधा का उपयोग करने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली की तरफ से किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, तथा मानक एसएमबीपी डिवाइस की तुलना में ये डिवाइस थोड़े ही अधिक महंगे हैं.’

यह बताते हुए कि ये उपकरण कैसे काम करते हैं. यूसीएसएफ के शोधकर्ताओं ने लिखा है कि ये ‘उपकरण रोगी के स्मार्टफोन में वायरलेस कनेक्शन के माध्यम से बीपी की माप संचारित (ट्रांसमिट) करते हैं, जहां उन्हें स्मार्टफोन एप्लिकेशन में ट्रैकिंग (बीपी की माप). विज़ुअलाइज़ेशन. व्याख्या. रिमाइंडर (बीपी मापने और / या दवाएं लेने के लिए याद दिलाना) सिफारिशें (जीवन शैली में हस्तक्षेप. दवा लेने. या अपने चिकित्सक के साथ अपने बीपी पर चर्चा करने के लिए) और संवाद (उदाहरण के लिए. परिवार के किसी सदस्य या चिकित्सक को अपनी रिपोर्ट का सारांश ईमेल करना) जैसी प्रतिक्रियाओं iका समर्थन करने के लिए प्रोसेस किया जाता है.

प्लेचर के अनुसार, ब्लूटूथ उपकरणों के साथ न केवल ‘लागत वाला मसला’ जुड़ा है, बल्कि उनका कहना था कि, ‘उन्हें (इन उपकरणों को) स्मार्टफोन से जोड़ने में लगने वाला समय और प्रयास भी वास्तव में कोई छोटा मसला नहीं है. जैसा कि पता चलता है, इस सब से किसी को कोई विशेष लाभ नहीं होता है. ऐसा लगता है कि जो चीज मायने रखती है वह है स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से जुड़ाव और उनके मिला समर्थन.’

बढ़े हुए रक्तचाप के आरंभिक लक्षणों को प्रदर्शित करने वाले व्यक्तियों के मामले में बीपी की निगरानी के लिए एक दैनिक डायरी रखना अक्सर इस बात को तय करने निर्णायक में होता है कि उन्हें दवा की आवश्यकता है या सिर्फ अपनी जीवन शैली में संशोधन करने की.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः US कंपनी का दावा- ‘री-इंजीनियर्ड टी-सेल्स’ से रिलैप्स्ड मल्टिपल मायलोमा की थेरेपी में सफलता मिली


 

share & View comments