कहते हैं भाई-बहन का रिश्ता दुनिया में बेहद प्यारा और निराला होता है. इस रिश्ते में दोस्ती भी है, शरारत भी है और ममत्व भी. बचपन तक भाई-बहन दोस्ती के माहौल में रहते हैं लेकिन जैसे ही यौवन का आगमन होता है वैसे ही समाज की बनाई हुई धारणाएं दोनों को घेर लेती हैं और यहां से दोनों का बंटवारा शुरू हो जाता है. भाई घर के मर्द के रूप में उभर कर आने लगता है और बहन को ऐसी महिला होने की ट्रेनिंग दी जाने लगती है जिसे अपने घर की इज्जत को बनाकर रखना है और इस इज्जत के पहरेदार बना दिए जाते हैं भाई. यह कहानी भारत के हर घर की तो नहीं है लेकिन ज्यादातर भाई-बहन का रिश्ता आज भी भारत के घरों में इसी तरह बंटा हुआ है.
ऐसे समय में जब लड़कियां कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल ला रही हैं, सेना में शामिल हो रही हैं. विज्ञान के क्षेत्रों में मिसाल कायम कर रही है, हम आज भी रक्षाबंधन पर उनकी रक्षा करने का वादा ही कर रहे हैं. अगर आपको दिखाई दे रहा है कि देश में लड़कियां कितना कुछ बन सकती हैं तो आप उन्हें सिर्फ घर की इज्जत बनाकर ही क्यों रखना चाहते हैं?
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी महिलाओं ने अपने देश का नाम रोशन किया. मीरा बाई चानू से लेकर पी.वी सिंधु तक देश को सोना देने में लड़कियां आगे रहीं. शिवांगी सिंह ने देश की पहली महिला राफेल फाइटर जेट पायलट बनकर महिलाओं का परचम ऊंचा किया.
बचपन में जब हिंदी की क्लास में रक्षाबंधन के लिए निबंध लिखते थे तो पता चला कि रक्षाबंधन भाई-बहन का त्योहार है. इस दिन बहन भाई को राखी बांधती है और भाई बदले में उसकी रक्षा करने का वादा करता है. रक्षा उसकी इज्जत की. सालों से यह त्योहार मनाया जा रहा है. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध रही हैं और भाई उनकी रक्षा का वादा कर रहे हैं. लेकिन रक्षा सिर्फ शरीर की ही क्यों? क्या रक्षा सिर्फ लड़की की इज्जत की ही होनी चाहिए.
एक लड़की के पास उसके शरीर के अलावा भी बहुत कुछ होता है जो छीन लिया जाता है उससे! कभी प्यार से, कभी ज़बरदस्ती से या फिर किसी भी तरह. पर लड़कियों की रक्षा को उनके शरीर से ही जोड़ दिया जाता है जो कहीं ना कहीं घर के लोगों और उनकी सोने-चांदी की तरह संभाल कर रखी गयी इज्जत में छुपी होती है. लड़कियों के पास ऐसी और भी बहुत चीजें हैं जो सच में सुरक्षित नहीं, पर जब वो छीनी जाती है तो बहुत कम ही ये राखी वाले हाथ होते हैं जो रक्षा करते हैं.
रक्षा करो उनके सपनो की, इच्छाओं की, आत्म सम्मान की. इस रक्षाबंधन पर ऐसा कोई वादा किया जाए बहनों से तो कुछ बात बने..! उनका साथ देने का वादा, सम्मान करने के वादा, अवसर देने का वादा और रक्षा करने का वादा उन सभी चीज़ों की जो सच में रक्षा मांगते हैं, जो जीना चाहते हैं पर मार दिए जाते हैं. कुछ जो रक्षा कर लेती है खुद वो बचा लेती है. और बाकि तो बस!! मेरे सपने, मेरी इच्छाएं और मेरा सम्मान ये सब मांगते है रक्षा, उन ही हाथों से जिन पर हर साल बड़े प्यार से एक धागा इस विश्वास के साथ बांध देती हूं कि जब कोई नहीं समझेगा, जब इन सब के लूट लिए जाने का डर होगा तब ये भाई रक्षा करेगा और जिस दिन इनमे से ये किसी एक भी चीज़ की रक्षा कर पाये उस दिन मेरा रक्षा बंधन सफल होगा!
अब जब समय के साथ-साथ लोग बदल रहे हैं, समाज बदल रहा है तो हमारे त्योहारों को भी बदलना चाहिए. क्यों न हम अपने साथ-साथ अपने त्योहारों को भी मॉडर्न बनाएं. भाई को राखी बांधें और बदले में मांगे सम्मान और साथ मुश्किल समय में. एक ऐसा रिश्ता बने जिससे उम्मीद कर सकें जब दुनिया की रूढ़ियों की बेड़ियां पैरों में पहनाई जाएंगी तो भाई आगे आकर खड़ा होगा और रक्षाबंधन पर रक्षा करने का वादा पूरा करेगा.
बहनों का भी रक्षाबंधन
राखी बांधने का यह त्योहार अब सिर्फ भाई-बहन के बीच का ही नहीं रहा है. अब बहनें भी एक-दूसरे को राखी पहनाकर यह त्योहार मनाती है. एक-दूसरे की कलाई पर बांधा विश्वास का यह धागा सिर्फ धागा नहीं अपनेपन का एक ऐसा कवच है जो मुश्किल समय में आपको साहस देता है. मेरी दोस्त निगम का कोई भाई नहीं है लेकिन दो बहनें हैं. ये हर साल बड़े ही धूम-धाम से ही इस त्योहार को मनाते हैं. बहनें एक-दूसरे को राखी पहनाती हैं और एक-दूसरे से वादा करती हैं कि मुश्किलों में साथ देंगी.
समय के साथ-साथ जब सब कुछ मॉडर्न हो रहा है तो हमारे त्योहार भी मॉडर्न हों और बहनें बहनों को भी राखीं बांधे और वादा करें कि वे कभी अकेली नहीं होगी. जब दुनिया थोड़ी क्रूर हो जाएगी तो उनको एक साथी के रूप में सहारा देगा भाई या बहन भी. जब जिम्मेदारियों को बोझ बढ़ेगा तो एक कंधा और बढ़ेगा भार कम करने के लिए. भाई सिर्फ इज्जत की नहीं बहन के आत्मसम्मान की रक्षा करेगा, उसे एक एक ऐसा इंसान बनाने में मदद करेगा जो दुनिया की मुश्किलों को सामना डटकर कर सके.
व्यक्त विचार निजी है
(नूतन दिप्रिंट में पत्रकार हैं और @nootan98 पर ट्वीट करती हैं)
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