नई दिल्ली: कानपुर कोर्ट ने आर्म्स एक्ट मामले में यूपी के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को दोबारा कोर्ट में सरेंडर करने के बाद उन्हें 1500 रुपये के जुर्माने के साथ 1 साल की जेल की सजा सुनाई गई है. हालांकि उन्हें जेल नहीं होगी क्योंकि, सत्र न्यायालय में अपील करने के लिए उन्हें जमानत दे दी गई है.
लेकिन शनिवार को अदालत में दोषी ठहराए जाने के बाद वह आदेश की फाइल लेकर फरार हो गए थे, जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी थी.
कहा था- अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे
सचान ने फोन कहा था कि वरिष्ठ वकीलों की एक टीम पूरे मामले का जायजा लेने के लिए संबंधित अदालत में है और वह उसी के अनुसार इस मुद्दे से निपटेंगे. सचान ने हालांकि इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञता जाहिर की कि तीन दशक पुराने शस्त्र अधिनियम मामले में शनिवार को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट-तीन की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया या नहीं.
मंत्री ने कहा था कि जो भी हो वह अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि शनिवार की रात अदालत की रीडर कामिनी ने मंत्री राकेश सचान के खिलाफ कोतवाली पुलिस में लिखित शिकायत दी थी. शिकायत में कहा गया था कि मंत्री सचान से संबंधित अदालत की शस्त्र अधिनियम मामले की फाइल उनके वकील के पास थी, जब उन्होंने आदेश पत्र और दोषसिद्धि आदेश सहित कुछ कागजात लिए और अचानक अदालत से गायब हो गए थे.
सचान को तीन दशक पुराने शस्त्र अधिनियम मामले में दोषी पाया गया था, सजा की मात्रा तय होने से पहले शनिवार को कानपुर की एक अदालत से ‘जमानत बांड प्रस्तुत किए बिना’ गायब होने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, मंत्री ने गायब होने के आरोप से इनकार करते हुए दावा किया था कि उनका मामला ‘अंतिम फैसले के लिए सूचीबद्ध नहीं था’.
अभियोजन अधिकारी (पीओ) ऋचा गुप्ता ने कहा था कि सचान दोषी ठहराए जाने के तुरंत बाद अदालत कक्ष से चले गए थे, जब अदालत ने बचाव पक्ष के वकील से सजा की मात्रा पर बहस करने को कहा था. अधिकारी ने कहा था कि मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक के बाद लिया गया था, यह मानते हुए कि बिना कार्रवाई के उन्हें छोड़ने से पीठासीन अधिकारी को परेशानी हो सकती है.
गुप्ता ने मामले की जानकारी देते हुए बताया था कि वर्ष 1991 में पुलिस ने राकेश सचान के पास से एक अवैध हथियार बरामद किया था. मंत्री सचान ने समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके प्रमुख अखिलेश यादव पर उनके ट्वीट और रिट्वीट के लिए हमला करते हुए कहा था, ‘जब हम उनके साथ थे तो बहुत अच्छे थे और अब भारतीय जनता पार्टी पार्टी (भाजपा) के साथ हैं तो हम ‘गिट्टी चोर’, फरार मंत्री बन गए हैं.’
सचान ने कहा था, ‘अखिलेश यादव ने सत्ता में रहते हुए हमारे सभी मामले लिखित रूप से वापस ले लिए थे और सभी मामले वापस लेने की कार्रवाई भी शुरू हो गई थी, लेकिन अब वह उन्हीं मामलों के लिए हमें निशाना बना रहे हैं.’ उन्होंने सपा प्रमुख को कोई भी बयान देने से पहले तथ्यों की जांच करने की सलाह दी.
शनिवार को सचान का मामला सामने आने के बाद पहले सपा और फिर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था, ‘सरकारी गिट्टी चोरी के मामले में आज भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को अदालत ने दोषी करार दिया और सजा सुनाई. सजा सुनते ही मंत्री अदालत से फरार हो गए, अब योगी जी बताएं कि अपने इस सरकारी गिट्टी चोर, फरार मंत्री के घर/द्वार/प्रतिष्ठान पर बुलडोजर कब चलाएंगे? बताएं योगी जी.’
गौरतलब है कि सचान ने 90 के दशक की शुरुआत में सपा के साथ राजनीति में प्रवेश किया था. 1993 और 2002 में वह घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये थे, जबकि 2009 में उन्होंने फतेहपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीता था. सचान 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. 2022 में कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद योगी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)