नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) नीति आयोग के सदस्य एवं वैज्ञानिक वी के सारस्वत ने रविवार को कहा कि सरकार को छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिए जिससे देश की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति में मदद मिलेगी और पुराने हो चुके ताप ऊर्जा संयंत्रों को बदला भी जा सकेगा।
सारस्वत ने यह भी कहा कि फ्लीट मोड उत्पादन के तहत स्थापित परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजनाओं में तेजी लाई जानी चाहिए ताकि बेस लोड जरूरत (24 घंटे की अवधि में बिजली की न्यूनतम मांग) को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि भविष्य में हमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर स्थापित करना चाहिए जिससे ऊर्जा जरूरतें पूरी की जा सकें। हमारा यह मानना भी है कि यह पुराने हो चुके ताप ऊर्जा संयंत्रों को बदलने का सबसे अच्छा तरीका है।’’
छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) आधुनिक परमाणु रिएक्टर होते हैं जिनकी ऊर्जा क्षमता 300 मेगावॉट प्रति इकाई तक होती है। यह परंपरागत परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की उत्पादन क्षमता का एक तिहाई है।
फ्लीट मोड के तहत एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण पांच वर्ष में किया जाता है। वर्तमान में भारत 22 रिएक्टर का परिचालन करता है जिसकी कुल क्षमता 6,780 मेगावॉट है।
सारस्वत ने बताया कि आधुनिक मॉड्यूलर रिएक्टर का फायदा यह है कि यह कारखाने में बन जाता है और इसका संचालन किसी भी एजेंसी द्वारा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें निजी क्षेत्र की भी बड़ी भागीदारी हो सकती है।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े एक सवाल के जवाब में सारस्वत ने कहा, ‘‘हमारी ऊर्जा सुरक्षा काफी बेहतर हुई है और अब हमारे यहां ऊर्जा की कमी नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि आज भारत अपनी पूरी ऊर्जा मांग को घरेलू स्तर पर ही पूरा कर रहा है।
भाषा मानसी प्रेम
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