नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने रक्षा विनिर्माण कारखानों के निगमीकरण की वकालत करते हुए शनिवार को कहा कि इससे इन कंपनियों की वास्तविक क्षमता सामने आएगी।
अग्रवाल ने कहा कि असैन्य क्षेत्र के सार्वजनिक उद्यमों के कुछ दशक पहले हुए निगमीकरण की तर्ज पर रक्षा विनिर्माण कारखानों के लिए भी ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर दो वर्ष के भीतर भारत में एक और सिलीकॉन वैली बनाई जा सकती है।
निगमीकरण के तहत सरकारी स्वामित्व वाली इकाइयों को निजी कंपनियों की तर्ज पर कॉरपोरेट ढांचे में बदला जाता है। इस तरह सार्वजनिक स्वामित्व होते हुए भी ये पुनर्गठित इकाइयां अधिक सक्षमता से काम कर सकती हैं।
वेदांता की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, अग्रवाल ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) बेंगलुरु में दिए अपने संबोधन में सार्वजनिक रक्षा उपक्रमों को कॉरपोरेट ढांचे में बदलने की वकालत की। उन्होंने कहा, ‘‘हमें रक्षा विनिर्माण कारखानों के निगमीकरण पर ध्यान देना चाहिए ताकि इन कंपनियों की वास्तविक क्षमता सामने आ पाए। अभी ये कंपनियां 10 फीसदी क्षमता पर ही काम कर पा रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि रक्षा उपक्रमों के निगमीकरण से हजारों रोजगारों का सृजन होगा और इन कंपनियों का प्रदर्शन भी बेहतर होगा।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘वैश्विक बाजार नहीं चाहते हैं कि भारत घरेलू स्तर पर उत्पादन करे। वे चाहते हैं कि भारत केवल बाजार ही बना रहे।’’
भाषा मानसी प्रेम
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