scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमराजनीतिआबकारी नीति को लेकर मनीष सिसोदिया ने की CBI से अनिल बैजल के खिलाफ जांच की मांग

आबकारी नीति को लेकर मनीष सिसोदिया ने की CBI से अनिल बैजल के खिलाफ जांच की मांग

मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि आबकारी नीति को लेकर किए गए उनके फैसलों से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है.

Text Size:

नई दिल्ली: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को पूर्व उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि आबकारी नीति को लेकर किए गए उनके फैसलों से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है.

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘उपराज्यपाल (एलजी) ने कुछ शराब दुकान मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए यूटर्न लिया. एलजी ने 48 घंटे पहले स्वीकार की गई नीति को बदल दी. उनके इस फैसले से सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ और कुछ दुकानदारों को हजारों करोड़ का फायदा हुआ है. मैंने सीबीआई को लिखा है कि अनधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर पूर्व एलजी के रुख में बदलाव की जांच की जाए. ‘

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री को बीजेपी के हमलों का सामना करना पड़ रहा है, जिसने आप सरकार द्वारा शराब नीति को लागू करने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. हालांकि, सिसोदिया ने पूर्व उपराज्यपाल पर निशाना साधा है.

सिसोदिया ने कहा, ‘नई आबकारी नीति के तहत, अनधिकृत क्षेत्रों सहित दिल्ली भर में 849 दुकानें खोली जानी थीं. एलजी ने इस प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं की और इसे मंजूरी दे दी.’

उन्होंने कहा कि नीति के लागू होने से दो दिन पहले एलजी ने अपना रुख बदल दिया था, एक शर्त पेश करते हुए कि दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली नगर निगम से अनुमति की आवश्यकता होगी.

बैजल उस समय दिल्ली के उपराज्यपाल थे जब अरविंद केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति तैयार की इसे 17 नवंबर, 2021 को लागू किया गया था. सरकार ने अब नीति वापस ले ली है और 1 सितंबर से अपने उपक्रमों के माध्यम से पुरानी आबकारी व्यवस्था के तहत शराब की दुकानें चलाने की तैयारी कर रही है.

आबकारी नीति जिसके तहत शहर में वर्तमान में निजी शराब की दुकानें चल रही हैं, 31 अगस्त को खत्म हो रही है. दिल्ली सरकार के निगम 1 सितंबर से खुदरा शराब की दुकानें चलाएंगे और इसमें कोई निजी कंपनी नहीं होगी.

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मंगलवार को सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों या शिकायतों की जांच के दौरान भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) और सतर्कता निदेशालय (डीओवी) द्वारा प्रक्रियात्मक चूक और देरी को संज्ञान में लिया.


यह भी पढ़ें: कैसे रहे कश्मीर के बीते तीन साल, 3 अच्छे बदलाव और 3 बातें जो और भी बुरी हुईं


share & View comments